बिहार का देव सूर्य मंदिर में छठ पूजा : यहां जो भी आता है व्रत करने होता है बहुत भाग्यशाली लोग, जानिए इसकी महिमा

Aurangabad Dev Surya Mandir Chhath Puja: देव मंदिर में सात रथों से सूर्य की उत्कीर्ण प्रस्तर मूर्तियां अपने तीनों रूपों उदयाचल, मध्याचल और अस्ताचल सूर्य के रूप में विद्यमान हैं। पूरे भारत में सूर्य देव का यही एक मंदिर है जो पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है।

Suman  Mishra
Written By Suman Mishra
Published on: 7 Oct 2022 6:00 AM IST (Updated on: 7 Oct 2022 7:29 AM IST)
Bihar ke Aurangabad Dev Surya Mandir
X

सांकेतिक तस्वीर ( सौ. से सोशल मीडिया)

Bihar ke Aurangabad Dev Surya Mandir

बिहार के औरंगाबाद का देव सूर्य मंदिर में छठ व्रत

महाआस्था का महापर्व छठ आने में कुछ हफ्ते शेष रह गए है। इस पर्व को लेकर लोगों में गहरी आस्था है। इसमें सूर्य को जल देकर निर्जला व्रत किया जाता है।यह व्रत 4 दिवसीय होता है। वैसे तो पूरे देश में अब छठ व्रत मनाया जाने लगा है।लेकिन खासकर यह व्रत बिहार में गहरी आस्था के साथ मनाया जाता है।

बिहार के औरंगाबाद जिले का देव सूर्य मंदिर हजारों साल से आस्था का केंद्र बना हुआ है। ऐतिहासिक और धार्मिक दृष्टिकोण से यह विश्व प्रसिद्ध मंदिर है। इसका निमार्ण काल त्रेतायुग माना जाता है। त्रेतायुगीन इस मंदिर परिसर में हर साल चैत्र और कार्तिक मास में महापर्व छठ व्रत के लिए भीड़ उमड़ती है।

पश्चिमाभिमुख देव सूर्य मंदिर की अभूतपूर्व स्थापत्य कला इसकी कलात्मक भव्यता को दिखाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसका निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने स्वयं अपने हाथों से किया। काले और भूरे पत्थरों से बने मंदिर की बनावट उड़ीसा के पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर से मिलती है।


औरंगाबाद का देव सूर्य मंदिर का इतिहास

मंदिर के निर्माणकाल के संबंध में मंदिर के बाहर लगे एक शिलालेख के अनुसार, 12 लाख 16 हजार वर्ष त्रेता युग के बीत जाने के बाद इला पुत्र ऐल ने देव सूर्य मंदिर का निर्माण आरंभ करवाया था। शिलालेख से पता चलता है कि इस पौराणिक मंदिर का निर्माण काल एक लाख पचास हजार साल से ज्यादा हो गया है।

देव मंदिर में सात रथों से सूर्य की उत्कीर्ण प्रस्तर मूर्तियां अपने तीनों रूपों उदयाचल, मध्याचल और अस्ताचल सूर्य के रूप में विद्यमान हैं। पूरे भारत में सूर्य देव का यही एक मंदिर है जो पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है। इस मंदिर परिसर में दर्जनों प्रतिमाएं हैं। मंदिर में शिव की जांघ पर बैठी पार्वती की दुर्लभ प्रतिमा है।

करीब एक सौ फीट ऊंचा यह सूर्य मंदिर स्थापत्य और वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। बिना सीमेंट के प्रयोग किए आयताकार, वर्गाकार, गोलाकार, त्रिभुजाकार आदि कई रूपों और आकारों में काटे गए पत्थरों को जोड़कर बनाया गया। यह मंदिर अत्यंत आकर्षक है।

तमाम हिंदू मंदिरों के विपरीत पश्चिमाभिमुख देव सूर्य मंदिर 'देवार्क' माना जाता है जो श्रद्धालुओं के लिए सबसे ज्यादा फलदायी एवं मनोकामना पूर्ण करने वाला है। सर्वाधिक प्रचारित जनश्रुति के अनुसार, ऐल एक राजा थे, जो श्वेत कुष्ठ रोग से पीड़ित थे। एक बार शिकार करने देव के वनप्रांत में पहुंचने के बाद राह भटक गए। राह भटकते भूखे-प्यासे राजा को एक छोटा सा सरोवर दिखाई पड़ा, जिसके किनारे वे पानी पीने गए और अंजलि में भरकर पानी पिया।

पानी पीने के क्रम में वह यह देखकर घोर आश्चर्य में पड़ गए कि उनके शरीर के जिन जगहों पर पानी का स्पर्श हुआ, उन जगहों के श्वेत कुष्ठ के दाग चले गए। शरीर में आश्चर्यजनक परिवर्तन देख प्रसन्नचित राजा ऐल ने यहां एक मंदिर और सूर्य कुंड का निर्माण करवाया था।

भगवान भास्कर का यह मंदिर सदियों से लोगों को मनोवांछित फल देनेवाला पवित्र धर्मस्थल है। ऐसे यहां सालभर देश के विभिन्न जगहों से लोग आकर मन्नत मांगते हैं और सूर्य देव द्वारा इसकी पूर्ति होने पर अर्घ्य देने आते हैं। छठ पर्व के दौरान यहां लाखों लोग जुटते हैं। यहां छठ पर्व करने आने वाले लोगों में न केवल बिहार और झारखंड के लोग होते हैं। बल्कि बिहार के आस-पास के राज्यों के लोगों के साथ विदेशों से भी लोग यहां सूर्योपासना के लिए पहुंचते हैं।

छठ पर्व के लिए प्रमुख सूर्य मंदिर

छठ सूर्य की उपासना का पर्व है। जो कार्तिक मास की चतुर्थी से शुरू होकर सप्तमी तिथि तक होता है। पहले दिन को नहाय-खाई के रूप में जानते हैं। जिसमें छठ का व्रत रखने वाले लोग स्नान-ध्यान कर छठ पर्व की तैयारी शुरू करते हैं।

इस महापर्व का दूसरा दिन खरना होता है जिसमें व्रती प्रसाद स्वरुप गुड़ का खीर बनाकर घर-परिवार के लोगों को देतीं हैं। यहीं से 36 घंटे का निर्जला व्रत शुरू होता है।जो क्रमशः सप्तमी तिथि तक चलता है। वैसे तो इस पर्व में सूर्य की उपासना के लिए लोग किसी नदी या तालाब के किनारे अस्त होते सूर्य और उगते सूर्य को अर्घ्य देते हैं। सूर्योपासना के इस महापर्व पर देश के सूर्य मंदिरों के बारे जानते हैं।

पहले बात करते हैं उड़ीसा का कोणार्क सूर्य मंदिर जिसे दुनियां भर में लोग जानते हैं। इस मंदिर को रथ का स्वरुप देकर बनाया गया है। भगवान सूर्य का यह मंदिर प्राचीन वास्तु काला का प्रतीक है। इस मंदिर का निर्माण 13 वीं शताब्दी में राजा नरसिंह देव ने करवाया था।

यह सूर्य मंदिर मध्यप्रदेश के ग्वालियर में स्थित है। इस सूर्य मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है। पूरब दिशा वाले इस मंदिर में सात घोड़ों पर सवार सूर्य का स्वरुप अद्भुत है। मंदिर का मुख पूरब दिशा की ओर होने से सूरज की पहली किरणें जब मंदिर में प्रवेश करती है तो मंदिर का सौंदर्य अनूठा दिखता है।

यह सूर्य मंदिर बिहार के भोजपुर जिले में स्थित है। इस सूर्य मंदिर का निर्माण राजा सूबा ने करवाया था। यह सूर्य मन्दिर 52 पोखरों के बीच में स्थित है। यहां छठ पर्व के दौरान लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इस मंदिर के संबंध में ऐसा कहा जाता है कि जो भी सच्चे मन से छठ पूजा करता है उसके सारे रोग कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।

यह मंदिर गुजरात के मोढ़ेरा में स्थित है। अहमदाबाद शहर से लगभग 100 किलोमीटर पर अवस्थित है। इस मंदिर का निर्माण भीमसेन सोलंकी प्रथम ने करवाया था। इस मंदिर के गर्भगृह के अंदर की लंबाई 51 फुट 9 इंच और चौड़ाई 25 फुट 8 इंच है। इस मंदिर का निर्माण कुछ इस तरह किया गया था कि जिसमें सूर्योदय होने पर सूर्य की पहली किरण मंदिर के गर्भगृह को रोशन करे। सभामंडप के आगे एक विशाल कुंड स्थित है जिसे लोग सूर्यकुंड या रामकुंड के नाम से जानते हैं।

Suman  Mishra

Suman Mishra

एस्ट्रोलॉजी एडिटर

मैं वर्तमान में न्यूजट्रैक और अपना भारत के लिए कंटेट राइटिंग कर रही हूं। इससे पहले मैने रांची, झारखंड में प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया में रिपोर्टिंग और फीचर राइटिंग किया है और ईटीवी में 5 वर्षों का डेस्क पर काम करने का अनुभव है। मैं पत्रकारिता और ज्योतिष विज्ञान में खास रुचि रखती हूं। मेरे नाना जी पंडित ललन त्रिपाठी एक प्रकांड विद्वान थे उनके सानिध्य में मुझे कर्मकांड और ज्योतिष हस्त रेखा का ज्ञान मिला और मैने इस क्षेत्र में विशेषज्ञता के लिए पढाई कर डिग्री भी ली है Author Experience- 2007 से अब तक( 17 साल) Author Education – 1. बनस्थली विद्यापीठ और विद्यापीठ से संस्कृत ज्योतिष विज्ञान में डिग्री 2. रांची विश्वविद्यालय से पत्राकरिता में जर्नलिज्म एंड मास कक्मयूनिकेश 3. विनोबा भावे विश्व विदयालय से राजनीतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!