Saptamesh Astrology: ज्योतिष शास्त्र कुंडली में सप्तमेश से जाने कैसा होगा भविष्य

Saptamesh Astrology: सप्तम भाव जीवनसाथी का कारक भाव होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी प्रथम भाव में स्थित हो तब जातक अपने नजदीकी रिश्तेदारी में या जान पहचान के महिला से शादी करता है। जातक की पत्नी अच्छे स्वभाव वाली और उत्तम चरित्र वाली महिला होती है।

By
Published on: 15 April 2023 11:07 PM IST
Saptamesh Astrology: ज्योतिष शास्त्र कुंडली में सप्तमेश से जाने कैसा होगा भविष्य
X
Saptamesh Astrology (Pic: Social Media)

प्रथम भाव

सप्तम भाव जीवनसाथी का कारक भाव होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी प्रथम भाव में स्थित हो तब जातक अपने नजदीकी रिश्तेदारी में या जान पहचान के महिला से शादी करता है। जातक की पत्नी अच्छे स्वभाव वाली और उत्तम चरित्र वाली महिला होती है। पति और पत्नी के मध्य इगो प्रॉब्लम हो सकती है।

द्वितीय भाव

सप्तमेश द्वितीय भाव में शुभ प्रभाव में विवाह के उपरांत धन प्राप्त करवाता है। सप्तम भाव और द्वितीय भाव दोनों मारक भाव होते हैं। यदि सप्तम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में स्थित हो तब यह प्रबल मारक बन जाता है। जातक स्वास्थ्य से संबंधित समस्या से पीड़ित रह सकता है।

तृतीय भाव

सप्तम भाव और तृतीय भाव एक दूसरे से नवपंचम संबंध स्थापित करते हैं जो कि एक उत्तम संबंध माना जाता है। परंतु सप्तम भाव मारक भाव होता है, तृतीय भाव आयु का कारक होता है, अतः मारक भाव के स्वामी का आयु के कारक भाव में स्थित होना शुभ नहीं माना जा सकता है। सप्तम भाव के स्वामी का तृतीय भाव में फल सप्तमेश की परिस्थिति पर निर्भर करेगा।

चतुर्थ भाव

सप्तम भाव चतुर्थ भाव का भावत भावम भाव है और सप्तम भाव चतुर्थ भाव में स्थित है, अतः चतुर्थ भाव को नैसर्गिक बल की प्राप्ति होती है। सप्तम भाव स्वयं के भाव से दशम स्थान में स्थित है, अतः सप्तम भाव को भी नैसर्गिक बल प्राप्त होता है।

पंचम भाव

सप्तम भाव विवाह का कारक भाव है। पंचम भाव लव या प्रेम का कारक भाव है। यदि सप्तम भाव का स्वामी पंचम भाव में स्थित हो तब जातक की प्रेम विवाह की संभावना बन सकती है।

छठा भाव

सप्तम भाव काम त्रिकोण से संबंधित होता है। छठा भाव रोग और बीमारी तथा बुरी आदत से संबंधित होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी छठे भाव में स्थित हो तब जातक सेक्सुअल प्रॉब्लम का सामना करता है।

सप्तम भाव

सप्तम भाव विवाह से संबंधित होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी सप्तम भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक की शादी जल्दी हो जाती है और जातक को वैवाहिक जीवन का उत्तम सुख प्राप्त होता है। जातक की अपने जीवनसाथी से उत्तम संबंध होते हैं।

अष्टम भाव

सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में शुभ प्रभाव में ससुराल से धन प्राप्त कराते हैं। सप्तम भाव से अष्टम केन्द्र से दुसरे भाव के कारण धनी परिवार में विवाह संपन्न होता है।अशुभ प्रभाव में ये अलगाव को भी दर्शाता है।

नवम भाव

सप्तम भाव का स्वामी नवम भाव में हो तो धार्मिक जीवनसाथी देता है। विवाह के बाद भाग्योदय होता है।

दशम भाव

सप्तम भाव का स्वामी दशम भाव में जीवनसाथी धन कमाने वाला होता है।

एकादश भाव

सप्तम भाव का स्वामी एकादश भाव में जीवनसाथी से लाभ प्राप्त कराता है।

द्वादश भाव

सप्तम भाव का स्वामी द्वादश भाव में हो ये तो ये अशुभ माना जाता है। जीवनसाथी के साथ अलगाव अस्पताल के खर्च कोर्ट मुकदमे को ये भाव दर्शाता है। वृषभ लग्न की कुंडली में मंगल सप्तमेश होते हैं। यदि मंगल या सप्तम भाव किसी ग्रह से पीड़ित ना हो तो ऐसे व्यक्ति का 20 - 21 वर्ष में विवाह का योग बनता है। ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार 18 वर्ष में विवाह का योग बताया गया है और 30- 40 वर्ष पहले होता भी था। इस कुंडली में मंगल पर केतु की दृष्टि है और सप्तम भाव में राहु एवं शनि की दृष्टि है। राहु और शनि दोनों ही विलंब से विवाह का योग बनाते हैं। ऐसे योग में 32 - 35 वर्ष के बाद ही विवाह का योग बनता है। कई बार तो 40 तक भी हो जाता है।

(कुमुद सिंह)

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!