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Maa Durga Chalisa Ka Paath दुर्गा चालीसा का पाठ संकट से मुक्ति का मार्ग, कब और कैसे करना चाहिए?
Maa Durga Chalisa Ka Paath in Hindi दुर्गा चालीसा का पाठ नवरात्रि और प्रतिदिन करने से माँ दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है। जानें दुर्गा चालीसा का महत्व, पाठ विधि और इसके चमत्कारिक लाभ।
Durga Chalisha दुर्गा चालीसा : शारदीय नवरात्रि और चैत्र नवरात्रि के दौरान हर साल देवी के सभी रूपों की पूजा अर्चना करने का विधान है। इसके साथ ही दुर्गा चालीसा का जाप नियमित रूप से करने से देवी का आशीर्वाद जीवन में विद्यमान रहता है। नवरात्रि के दिनों के अलावा भी दुर्गा चालीसा का नित्य पाठ करने से मां दुर्गा अपने भक्त पर प्रसन्न होती हैं और वे हर तरह के संकट दूर करती हैं।यहां जानते है दुर्गा चालीसा और उसके महत्व पढ़ने का समय कब है...
दुर्गा चालीसा
नमो नमो दुर्गे सुख करनी।
नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी।
तिहूं लोक फैली उजियारी॥
शशि ललाट मुख महाविशाला।
नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥
रूप मातु को अधिक सुहावे।
दरश करत जन अति सुख पावे॥
तुम संसार शक्ति लै कीना।
पालन हेतु अन्न धन दीना॥
अन्नपूर्णा हुई जग पाला।
तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी।
तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥
शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।
ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥
रूप सरस्वती को तुम धारा।
दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।
परगट भई फाड़कर खम्बा॥
रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।
हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥
लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।
श्री नारायण अंग समाहीं॥
क्षीरसिन्धु में करत विलासा।
दयासिन्धु दीजै मन आसा॥
हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।
महिमा अमित न जात बखानी॥
मातंगी अरु धूमावति माता।
भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥
श्री भैरव तारा जग तारिणी।
छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥
केहरि वाहन सोह भवानी।
लांगुर वीर चलत अगवानी॥
कर में खप्पर खड्ग विराजै।
जाको देख काल डर भाजै॥
सोहै अस्त्र और त्रिशूला।
जाते उठत शत्रु हिय शूला॥
नगरकोट में तुम्हीं विराजत।
तिहुंलोक में डंका बाजत॥
शुंभ निशुंभ दानव तुम मारे।
रक्तबीज शंखन संहारे॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी।
जेहि अघ भार मही अकुलानी॥
रूप कराल कालिका धारा।
सेन सहित तुम तिहि संहारा॥
परी गाढ़ संतन पर जब जब।
भई सहाय मातु तुम तब तब॥
अमरपुरी अरु बासव लोका।
तब महिमा सब रहें अशोका॥
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।
तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥
प्रेम भक्ति से जो यश गावें।
दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।
जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥
जोगी सुर मुनि कहत पुकारी।
योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी॥
शंकर आचारज तप कीनो।
काम अरु क्रोध जीति सब लीनो॥
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।
काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥
शक्ति रूप का मरम न पायो।
शक्ति गई तब मन पछितायो॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी।
जय जय जय जगदम्ब भवानी॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।
दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो।
तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥
आशा तृष्णा निपट सतावें।
रिपू मुरख मौही डरपावे॥
शत्रु नाश कीजै महारानी।
सुमिरौं इकचित तुम्हें भवानी॥
करो कृपा हे मातु दयाला।
ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।
जब लगि जिऊं दया फल पाऊं ।
तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं ॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।
सब सुख भोग परमपद पावै॥
देवीदास शरण निज जानी।
करहु कृपा जगदम्ब भवानी॥
॥ इति श्री दुर्गा चालीसा सम्पूर्ण ॥
दुर्गा चालीसा का पाठ कैसे करना चाहिए?
दुर्गा चालीसा का पाठ करने के लिए आप सुबह या शाम के समय स्नान करके, स्वच्छ वस्त्र पहनें। इसके बाद माँ दुर्गा की प्रतिमा या तस्वीर के सामने बैठें और फूल, रोली, दीप, अक्षत और प्रसाद अर्पित करें। इसके बाद, पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ चालीसा का पाठ करें। पाठ के अंत में माँ दुर्गा की आरती करें और प्रसाद बाँट दें।
दुर्गा चालीसा की उत्पत्ति
दुर्गा चालीसा की उत्पत्ति माँ दुर्गा का जन्म क्यों हुआ। महिषासुर नामक राक्षस का वध करने के लिए सभी देवताओं ने अपनी शक्तियों को मिलाकर एक आदि शक्ति को जन्म दिया, जिन्हें आज माँ दुर्गा के रूप में पूजा जाता है। माँ दुर्गा ने महिषासुर का वध करके देवताओं को उसके अत्याचारों से मुक्ति दिलाई और उन्हें स्वर्ग लोक वापस दिलाया।
देवी-दास जी ने दुर्गा चालीसा की रचना की थी, जिनके बारे में माना जाता है कि वह माँ दुर्गा के बहुत बड़े उपासक थे। उन्होंने इस चालीसा में माँ दुर्गा के विभिन्न रूपों और उनकी महिमा का विस्तार से वर्णन किया है। कई पौराणिक कथाओं में देवी दुर्गा को इस संसार का संचालक भी माना गया है, क्योंकि उनमें ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों के गुण समाहित हैं।
दुर्गा चालीसा पाठ के लाभदुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से कई तरह के लाभ मिलते हैं:
यह पाठ मानसिक तनाव और चिंता को दूर करके मन को शांति प्रदान करता है।
इस चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति अपने शत्रुओं पर विजय प्राप्त करता है और शत्रुओं का प्रभाव कम होता है।
यह पाठ आत्मविश्वास को बढ़ाता है और विशेष कार्यों में सफलता दिलाता है।
इसके पाठ से बुरी शक्तियों से छुटकारा मिलता है और परिवार का भी बचाव होता है।
नियमित जाप से आर्थिक लाभ होता है और जीवन में आने वाले दुखों से लड़ने की शक्ति मिलती है। इसके अलावा, व्यक्ति अपना खोया हुआ सम्मान और संपत्ति भी वापस पा सकता है।
यदि मन में कोई निराशा हो, तो इस चालीसा के नियमित पाठ से वह दूर हो जाती है।
दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करके व्यक्ति अपनी सभी भावनाओं पर समान रूप से नियंत्रण पा सकता है।मान रूप से नियंत्रण पाया जा सकता है।
नोट: इस आर्टिकल में दी गई सभी जानकारी ज्योतिषाचार्यों और पारंपरिक मान्यताओं पर आधारित है। हमारा उद्देश्य केवल आप तक पहुँचाना है। इसे सिर्फ़ सूचना के रूप में लें और किसी भी महत्वपूर्ण निर्णय से पहले अपनी समझ और विशेषज्ञ सलाह अवश्य लें।
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