Pushya Nakshatra 2025: पुष्य नक्षत्र कब पड़ रहा है? इस समय कौन से काम होगें सफल

Pushya Nakshatra: इस बार वर्ष 2025 में यह नक्षत्र 14 और 15 अक्टूबर को पड़ रहा है, जो धन-समृद्धि प्राप्ति और खरीदारी के लिए बहुत ही सर्वोत्तम समय है।

Akriti Pandey
Published on: 16 Sept 2025 5:40 PM IST
Pushya Nakshatra 2025
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Pushya Nakshatra 2025 

Pushya Nakshatra 2025 : दिवाली से पहले आने वाले पुष्य नक्षत्र का हमेशा से ही विशेष महत्व रहा है। ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक, पुष्य नक्षत्र हर महीने आता है, लेकिन दिवाली से ठीक पहले पड़ने वाला पुष्य नक्षत्र अत्यंत शुभ माना गया है। इस बार वर्ष 2025 में यह नक्षत्र 14 और 15 अक्टूबर को पड़ रहा है, जो धन-समृद्धि प्राप्ति और खरीदारी के लिए बहुत ही सर्वोत्तम समय है। इन दिनों में सोना-चाँदी, वाहन, संपत्ति, बहीखाता और त्योहारों की तैयारी के लिए खरीदारी करना लाभकारी बताया माना जाता है। यही वजह है कि लोग दिवाली से पहले इस खास तिथि का इंतज़ार करते हैं।

जानें शुभ मुहूर्त

14 अक्टूबर 2025 – सुबह 11:54 से पूरी रात तक

15 अक्टूबर 2025 – सुबह 6:22 से दोपहर 12:00 बजे तक

इसके अलावा, चौघड़िया मुहूर्त भी कुछ इस प्रकार रहेगा –

सुबह का समय (चर, लाभ, अमृत): सुबह 11:54 से दोपहर 1:33 बजे तक

दोपहर का समय (शुभ): दोपहर 3:00 से शाम 4:26 बजे तक

शाम का समय (लाभ): शाम 7:26 से रात 9:00 बजे तक

रात्रि (शुभ, अमृत, चर): रात 10:33 से सुबह 3:14 बजे तक (15 अक्टूबर को )

क्या हैं पुष्य नक्षत्र का महत्व

पुष्य नक्षत्र को देवी लक्ष्मी का जन्म नक्षत्र माना जाता है। इसलिए इस दिन सोना या अन्य कीमती वस्तुएँ खरीदना घर में लक्ष्मी को आमंत्रित करने के समान होता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन खरीदा गया सोना, चाँदी या संपत्ति दीर्घकालिक सुख, समृद्धि और स्थायी धन लाभ की ओर ले जाती है।

इसलिए पुष्य नक्षत्र और दिवाली से पहले आने वाला धनतेरस, दोनों ही सोने और निवेश के लिए सबसे शुभ अवसर माने जाते हैं। इस दिन की गई खरीदारी से घर में हमेशा सकारात्मकता और देवी लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है।

पुष्य नक्षत्र में जन्मे लोग बढ़ते हैं आगे

पुष्य नक्षत्र में जन्मे लोग अपनी मेहनत और लगन से जीवन में आगे बढ़ते हैं। ये मिलनसार स्वभाव के होते हैं। ये अपने जीवन में सत्य और न्याय को महत्व देते हैं। ये किसी भी परिस्थिति में सत्य से विचलित नहीं होना चाहते, यदि किसी कारणवश इन्हें सत्य से विचलित होना पड़े तो ये दुखी और अप्रसन्न रहते हैं। ये आलस्य को अपने ऊपर हावी नहीं होने देते और एक जगह टिककर रहना पसंद नहीं करते।

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