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Bank Workload Crisis: बैंक ऑफ बड़ौदा मैनेजर की आत्महत्या ने उठाए गंभीर सवाल
Bank Workload Crisis: 52 वर्षीय शिवशंकर मित्रा, जो बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे, ने शाखा के अंदर ही फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।
Suicide of Bank of Baroda Manager (Image Credit-Social Media)
Bank Workload Crisis: महाराष्ट्र के पुणे जिले में स्थित बड़ौदा बैंक की बारामती शाखा से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। 52 वर्षीय शिवशंकर मित्रा, जो शाखा में मुख्य प्रबंधक के पद पर कार्यरत थे, ने शाखा के अंदर ही फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। उन्होंने हाल ही में "स्वास्थ्य कारणों और अत्यधिक कार्यभार" का हवाला देते हुए अपना इस्तीफा सौंपा था और नोटिस पीरियड पर चल रहे थे। उनके पास से बरामद सुसाइड नोट में 'काम का दबाव' आत्महत्या की वजह बताया गया है। इस घटना ने न सिर्फ बैंकिंग सेक्टर में काम करने वालों के मानसिक स्वास्थ्य की स्थिति पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि कर्मचारियों की कमी और बढ़ते काम के बोझ पर भी एक नई बहस शुरू कर दी है।
1. इस्तीफे के बाद भी खत्म नहीं हुआ मानसिक तनाव:
उत्तर प्रदेश के प्रयागराज से ताल्लुक रखने वाले शिवशंकर मित्रा बारामती ब्रांच में बतौर चीफ मैनेजर तैनात थे। उन्होंने 11 जुलाई को अपना इस्तीफा सौंपा था, जिसमें उन्होंने साफ तौर पर लिखा था कि उन्हें स्वास्थ्य समस्याएं हैं और कार्य का अत्यधिक दबाव अब सहन नहीं हो रहा। नियमों के अनुसार वे 90 दिनों की नोटिस अवधि पूरी कर रहे थे और इस दौरान नियमित रूप से बैंक के कामकाज में लगे हुए थे।
17 जुलाई की रात को उन्होंने अपने सहकर्मियों को बैंक का शटर बंद करने की जिम्मेदारी लेते हुए जल्दी जाने को कहा। रात करीब 9:30 बजे सुरक्षाकर्मी भी चला गया। पुलिस जांच में सामने आया कि मित्रा ने उसी दिन एक सहकर्मी से रस्सी मंगवाई थी, जिसे बाद में उन्होंने आत्महत्या के लिए इस्तेमाल किया।
करीब 10 बजे रात को उन्होंने बैंक की छत से फांसी लगा ली। जब वे रात में घर नहीं पहुंचे और फोन नहीं उठा रहे थे, तो उनकी पत्नी बैंक पहुंची। अंदर से कोई जवाब नहीं मिलने पर अन्य स्टाफ को बुलाया गया। जब दरवाजा खोला गया, तो मित्रा का शव पंखे से लटका मिला।
2. सुसाइड नोट में ‘काम का दबाव’ और आंखों का दान:
पुलिस निरीक्षक विलास नाले ने पुष्टि की कि घटनास्थल से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ है। उसमें किसी के खिलाफ कोई आरोप नहीं था, लेकिन उन्होंने बैंक कर्मचारियों पर बढ़ते दबाव को आत्महत्या की वजह बताया। मित्रा ने अपनी पत्नी और बेटी से माफी मांगी और यह भी लिखा कि वे मरने के बाद अपनी आंखें दान करना चाहते हैं।
फिलहाल, पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए शव भेजा है और एक आकस्मिक मृत्यु रिपोर्ट (ADR) दर्ज की गई है। हालांकि, जांच अधिकारी यह पता लगा रहे हैं कि क्या नोटिस पीरियड के दौरान मित्रा पर किसी प्रकार का अतिरिक्त मानसिक या काम का दबाव डाला गया।
3. बैंक यूनियन का आरोप - स्टाफ की भारी कमी और बेतरतीब योजनाएं जिम्मेदार:
ऑल इंडिया बैंक ऑफ बड़ौदा ऑफिसर्स एसोसिएशन ने इस घटना की कड़ी निंदा की है और इसे बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक गंभीर चेतावनी बताया है। यूनियन ने बयान में कहा, "यह एक आत्ममंथन का समय है। बैंक अधिकारी और कार्यपालक अत्यधिक मानसिक दबाव में हैं, जिसका कारण है - बेतरतीब और एक-दूसरे से टकराती हुई योजनाएं।"
यूनियन का कहना है कि बैंक में कर्मचारियों की संख्या कम है, इसलिए एक ही व्यक्ति को कई काम करने पड़ते हैं। इससे उन पर बहुत दबाव बनता है और उनका मन परेशान रहने लगता है।
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