क्यों राजेश यबाजी ने 9 साल बाद Bellandur का BlackBuck ऑफिस बंद किया?

बेंगलुरु के Bellandur में नौ साल बाद BlackBuck ने अपना ऑफिस बंद करने का फैसला किया। CEO राजेश यबाजी ने लंबी यात्रा और टूटती सड़कें मुख्य कारण बताए, जो टेक कंपनियों के लिए चिंता बढ़ा रहे हैं।

Sonal Girhepunje
Published on: 17 Sept 2025 10:01 AM IST (Updated on: 17 Sept 2025 10:05 AM IST)
Rajesh Yabaji
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Rajesh Yabaji (Photo - Social Media)

Why Rajesh Yabaji Shut Office After 9 Years: डिजिटल ट्रकिंग प्लेटफॉर्म BlackBuck अब बेंगलुरु के Bellandur इलाके से अपना ऑफिस बंद कर रहा है। कंपनी ने यह फैसला नौ सालों के बाद लिया है। BlackBuck के CEO राजेश कुमार यबाजी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (Twitter) पर इसकी जानकारी दी। उन्होंने अपने पोस्ट में ऑफिस को “घर” बताया और इसे छोड़ते समय दिल टूटने वाला इमोजी भी इस्तेमाल किया।

क्या है समस्या?

राजेश यबाजी के अनुसार, सबसे बड़ी समस्या है लंबी यात्रा और खराब सड़कें। कर्मचारियों को ऑफिस आने-जाने में 1.5 घंटे से अधिक लगते हैं। आउटर रिंग रोड (ORR), बेल्लंदुर की सड़कें गड्डों से भरी हैं, धूल ज्यादा है और सड़कें टूटती जा रही हैं। Bellandur कभी एक विकसित टेक हब था, लेकिन अब यह खराब बुनियादी ढांचे, जाम और सरकारी लापरवाही के लिए जाना जाता है। यबाजी ने कहा कि उन्हें अगले पांच सालों में कोई सुधार नहीं दिख रहा।

सरकार की प्रतिक्रिया

बेंगलुरु के उपमुख्यमंत्री ने कहा कि “बेंगलुरु एक योजनाबद्ध शहर नहीं था, और चीज़ें सुधारने में समय लगता है।” हालांकि, यह जवाब कई लोगों को संतोषजनक नहीं लगा।

यह केवल एक कंपनी की समस्या नहीं है

ORR कॉरिडोर, विशेष रूप से सिल्क बोर्ड से केआर पुरम तक तक, में 500 से ज्यादा IT कंपनियां हैं और रोजाना लगभग 10 लाख लोग यहां से ऑफिस आते हैं। पिछले साल वाहनों की संख्या में 45% वृद्धि हुई है। Bellandur अभी भी शहर के पैसे जुटाने में सबसे बड़ा योगदान देता है, लेकिन यहां की सड़कें और सुविधाएं लगातार खराब होती जा रही हैं।

ऑनलाइन प्रतिक्रियाएँ और आलोचना

लोगों ने यबाजी की तारीफ की क्योंकि उन्होंने अपने कर्मचारियों की भलाई को सबसे पहले रखा। वहीं, पूर्व Infosys CFO मोहनदास पाई ने कहा कि यह सरकार की बड़ी विफलता है और तुरंत सुधार होना चाहिए। BJP के राज्य अध्यक्ष B Y विजयेंद्र ने भी माना कि शहर की सड़कें और बुनियादी सुविधाएं दबाव में हैं, लेकिन लोगों ने उनसे सवाल किया कि वे खुद इस इलाके के प्रतिनिधि हैं तो उन्होंने अब तक क्या किया।

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