SEBI ने Adani समूह को Hindenburg मामले में क्लीन चिट दी, गौतम अडानी बोले- आरोप लगाने माफी मांगे

Adani Hindenburg Case: हिंडनबर्ग रिपोर्ट पर SEBI की क्लीन चिट के बाद गौतम अडानी ने झूठे आरोप लगाने वालों से राष्ट्रीय माफी की मांग की। उन्होंने निवेशकों के नुकसान पर दुख जताया।

Shivam Srivastava
Published on: 18 Sept 2025 8:45 PM IST (Updated on: 18 Sept 2025 9:10 PM IST)
Gautam Adani
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Gautam Adani (Photo - Social Media)

Adani Hindenburg Case: अडानी समूह के अध्यक्ष गौतम अडानी ने गुरुवार को उन लोगों से “राष्ट्रीय माफी” की मांग की, जिन्होंने हिंडनबर्ग रिसर्च के “झूठे दावे” फैलाए। यह मांग भारत के प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) द्वारा अडानी समूह को उनके खिलाफ लगे “बिना आधार” के आरोपों से क्लीन चिट देने के बाद आई है, जिसमें समूह पर खुलासे के नियमों का उल्लंघन या धोखाधड़ी करने का आरोप था।

गौतम अडानी ने X पर एक पोस्ट में समूह की पारदर्शिता और ईमानदारी के प्रति प्रतिबद्धता जताई और उन निवेशकों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की जिन्होंने इस रिपोर्ट के कारण पैसे खोए। उन्होंने लिखा, “गहन जांच के बाद SEBI ने पुनः पुष्टि की कि हेंडनबर्ग के दावे निराधार थे। पारदर्शिता और ईमानदारी अडानी समूह की पहचान रही है। हम उन निवेशकों के दर्द को महसूस करते हैं जिन्होंने इस धोखाधड़ीपूर्ण और प्रेरित रिपोर्ट के कारण नुकसान उठाया। जो लोग झूठे दावे फैलाते हैं, वे राष्ट्र से माफी माँगें।”

अमेरिका स्थित शॉर्ट सेलर हिंडनबर्ग ने फंड रूटिंग के जरिए संबंधित पक्ष के लेन-देन छिपाने का आरोप लगाया था, जिससे बाजार में भारी उतार-चढ़ाव आया और अडानी समूह के बाजार मूल्य पर असर पड़ा। अब मिली क्लीन चिट से समूह को बड़ी राहत मिली है और महीनों की जांच का अंत हुआ है।

अडानी समूह के अध्यक्ष ने X पर कहा, “हम भारत की संस्थाओं, जनता और राष्ट्र निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता में अडिग हैं। सत्यमेव जयते! जय हिंद!”

SEBI ने गुरुवार को हिंडनबर्ग द्वारा अडानी समूह पर लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया। SEBI ने निष्कर्ष निकाला कि लिस्टिंग एग्रीमेंट या SEBI की लिस्टिंग ऑब्लिगेशन और डिस्क्लोज़र रिक्वायरमेंट्स (LODR) का उल्लंघन नहीं हुआ है और संबंधित पक्ष के लेन-देन नहीं माने जाएंगे।

SEBI ने बताया कि लिस्टिंग एग्रीमेंट और LODR के नियमों के अनुसार, किसी सूचीबद्ध कंपनी और असंबंधित पार्टी के बीच लेन-देन को “संबंधित पक्ष के लेन-देन” के अंतर्गत नहीं माना जाता, जब यह विवादित लेन-देन हुए थे, हालांकि 2021 के संशोधन के बाद इसे शामिल किया गया है। SEBI ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि नियमों को बनाने की प्रक्रिया में कोई गैरकानूनी कदम नहीं था और कोई उचित कारण नहीं था कि SEBI को अपने संशोधनों को रद्द करने का निर्देश दिया जाए।

SEBI ने यह भी कहा कि SEBI अधिनियम की धारा 12A और धोखाधड़ी व अनुचित व्यापार प्रथाओं से संबंधित नियमों का उल्लंघन नहीं पाया गया। जांच में कोई धोखाधड़ी, गलत प्रस्तुति या धन की गबन साबित नहीं हुई और सभी धन को ब्याज सहित वापस कर दिया गया। इसलिए सभी आरोप गलत साबित हुए।

SEBI ने निष्कर्ष दिया कि अडानी समूह या उसके व्यक्तियों पर कोई दायित्व या दंड नहीं लगाया गया और मामले को बिना किसी निर्देश के बंद कर दिया गया।

जनवरी 2023 में हेंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की थी जिसमें अडानी समूह पर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था, जिससे कंपनी के शेयर मूल्य में भारी गिरावट आई थी। उस समय समूह ने इन आरोपों को नकार दिया था।

अडानी समूह ने बार-बार हेंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया है। अडानी एंटरप्राइजेज की वार्षिक बैठक (AGM) में समूह अध्यक्ष गौतम अडानी ने कहा था कि वे “एक विदेशी शॉर्ट सेलर द्वारा लगाए गए आधारहीन आरोपों का सामना कर रहे हैं, जो हमारे दशकों की मेहनत पर सवाल उठाते हैं।”

Shivam Srivastava

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Shivam Srivastava is a multimedia journalist with over 4 years of experience, having worked with ANI (Asian News International) and India Today Group. He holds a strong interest in politics, sports and Indian history.

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