Swiggy और Zomato की डिलीवरी अब होगी महंगी, 22 सितम्बर से लागू होगा 18% GST

Swiggy, Zomato और Magicpin पर 22 सितम्बर से 18% जीएसटी, बढ़े प्लेटफॉर्म शुल्क के साथ अब फूड डिलीवरी होगी और महंगी।

Sonal Girhepunje
Published on: 16 Sept 2025 1:29 PM IST
Swiggy Zomato Food Delivery Gets Costlier
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Swiggy Zomato Food Delivery Gets Costlier (Photo - Social Media)

Swiggy Zomato Food Delivery Gets Costlier: अब ऑनलाइन खाना मंगवाना और भी महंगा होने जा रहा है। 22 सितम्बर 2025 से स्विगी (Swiggy), जोमैटो (Zomato) और मैजिकपिन(Magicpin) जैसी फूड डिलीवरी कंपनियों की सेवाओं पर 18% जीएसटी लागू हो जाएगा। यह टैक्स सीधे डिलीवरी शुल्क पर लगाया जाएगा, जिससे हर ऑर्डर की कीमत बढ़ जाएगी। पहले ही इन कंपनियों ने अपना प्लेटफॉर्म शुल्क बढ़ा दिया है और अब इस नए टैक्स के कारण ग्राहकों पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। स्विगी, जोमैटो और मैजिकपिन भारत में करोड़ों लोगों की पसंदीदा फूड डिलीवरी ऐप्स हैं, लेकिन अब ग्राहकों को हर ऑर्डर पर करीब ₹2 से ₹2.6 ज्यादा चुकाना होगा। त्योहारों के समय जब ऑर्डर की संख्या बढ़ जाती है, तब इसका सीधा असर आम लोगों की जेब पर पड़ेगा।

कितनी बढ़ेगी डिलीवरी की कीमत?

स्विगी, जोमैटो और मैजिकपिन ने हाल ही में अपने प्लेटफॉर्म शुल्क बढ़ा दिए हैं। स्विगी ने कुछ शहरों में शुल्क बढ़ाकर ₹15 (जीएसटी सहित) कर दिया है। वहीं, जोमैटो ने इसे ₹12.50 (जीएसटी छोड़कर) तय किया है और मैजिकपिन ने भी अपना शुल्क ₹10 प्रति ऑर्डर कर दिया है। अब 22 सितम्बर से डिलीवरी शुल्क पर 18% जीएसटी भी लगेगा, जिससे हर ऑर्डर महंगा हो जाएगा। अनुमान है कि इस टैक्स से जोमैटो उपयोगकर्ताओं पर करीब ₹2 और स्विगी ग्राहकों पर करीब ₹2.6 का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। यानी अब ऑनलाइन फूड डिलीवरी ऐप्स से खाना मंगवाना पहले से ज्यादा महंगा साबित होगा और ग्राहकों की जेब पर सीधा असर डालेगा।

वित्त मंत्रालय ने क्यों लगाया GST?

वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को जारी अपने FAQ में यह स्पष्ट किया कि अब स्थानीय डिलीवरी सेवाओं पर 18% जीएसटी देना अनिवार्य होगा। इसका सीधा मतलब है कि चाहे डिलीवरी सीधे की जाए या किसी ऐप जैसे स्विगी और जोमैटो के जरिए, हर स्थिति में टैक्स लगेगा। अगर डिलीवरी सेवा किसी रजिस्टर्ड व्यक्ति द्वारा सीधे दी जाती है, तो 18% जीएसटी वही व्यक्ति देगा। लेकिन अगर डिलीवरी ई-कॉमर्स ऑपरेटर (ईसीओ) यानी स्विगी या जोमैटो के माध्यम से किसी गैर-रजिस्टर्ड व्यक्ति द्वारा दी जाती है, तो जीएसटी भरने की जिम्मेदारी ईसीओ पर होगी। वहीं, अगर डिलीवरी किसी रजिस्टर्ड सप्लायर के जरिए ईसीओ से की जाती है, तो टैक्स उसी सप्लायर को अदा करना होगा।

ग्राहकों पर क्या असर होगा?

फूड डिलीवरी कंपनियां पिछले कुछ समय से प्लेटफॉर्म फीस को अपनी अतिरिक्त कमाई का साधन बना रही हैं। अब उस पर 18% GST भी जुड़ गया है। इससे ऑनलाइन खाना मंगवाना और भी महंगा हो जाएगा। त्योहारों के सीजन में जब ऑर्डर ज्यादा होते हैं, तब ग्राहकों की जेब पर सीधा असर पड़ेगा।

Sonal Girhepunje

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