30 सितंबर तक फाइल करें टैक्स ऑडिट रिपोर्ट, इस टैक्स नियम के तहत कौन शामिल है?

Tax Audit Report Filing Deadline: अगर आप व्यवसायी या पेशेवर हैं, तो 30 सितंबर तक टैक्स ऑडिट रिपोर्ट फाइल करना जरूरी है। जानें कौन इस नियम के दायरे में आता है और डेडलाइन मिस होने पर क्या पेनाल्टी लग सकती है।

Sonal Girhepunje
Published on: 18 Sept 2025 4:19 PM IST
30 सितंबर तक फाइल करें टैक्स ऑडिट रिपोर्ट, इस टैक्स नियम के तहत कौन शामिल है?
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Tax Audit Report Filing Deadline: टैक्सपेयर्स के लिए सबसे महत्वपूर्ण तारीखों में से एक है 30 सितंबर, जब टैक्स ऑडिट रिपोर्ट फाइल करने की अंतिम तारीख है। अगर आप व्यवसाय या पेशे से जुड़े हैं और आपके लिए अकाउंट ऑडिट जरूरी है, तो यह जानकारी आपके लिए बेहद जरूरी है।

पहले 15 सितंबर तक उन टैक्सपेयर्स के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन थी, जिनके लिए ऑडिट जरूरी नहीं था। बाद में सरकार ने इसे 16 सितंबर तक बढ़ा दिया। अब उन टैक्सपेयर्स के लिए, जिनके अकाउंट्स ऑडिटेड हैं, 30 सितंबर तक रिपोर्ट फाइल करना अनिवार्य है।

टैक्स ऑडिट रिपोर्ट क्या है?

Income Tax Act, 1961 के सेक्शन 44एबी के तहत कुछ टैक्सपेयर्स के लिए टैक्स ऑडिट रिपोर्ट फाइल करना जरूरी है। अगर आपका बिजनेस है और टर्नओवर 1 करोड़ रुपये से ज्यादा है, तो आपको ऑडिट रिपोर्ट फाइल करनी होगी। वहीं, अगर आपके ट्रांजेक्शन 95% डिजिटल हैं, तो टर्नओवर की लिमिट बढ़कर 10 करोड़ रुपये हो जाती है। इसका मुख्य उद्देश्य है कैशलेस ट्रांजेक्शंस को बढ़ावा देना और टैक्स पेमेंट को आसान बनाना।

कौन-कौन से पेशेवर टैक्स ऑडिट में आते हैं?

कुछ पेशेवरों के लिए भी टैक्स ऑडिट रिपोर्ट फाइल करना जरूरी है। इसमें शामिल हैं फ्रीलांसर, डॉक्टर, वकील, आर्किटेक्ट और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स (CA)। अगर इनकी सालाना आय 50 लाख रुपये से ज्यादा है, तो उन्हें ऑडिट कराना होगा। इसके अलावा, सेक्शन 44एडीए के तहत आने वाले टैक्सपेयर्स, जो प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम में आते हैं और अपनी आय निर्धारित रेट से कम दिखाते हैं, उनके लिए भी ऑडिट रिपोर्ट फाइल करना अनिवार्य है।

प्रिजम्प्टिव टैक्स स्कीम और इसके फायदे

केवल कुछ खास पेशेवर प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम (Presumptive Taxation Scheme) का फायदा ले सकते हैं। इस स्कीम में उनकी 50% ग्रॉस रिसीट्स उनकी इनकम मानी जाती है। शर्त यह है कि ग्रॉस रिसीट्स 50 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। वहीं, अगर रिसीट्स में कैश हिस्सेदारी 5% से ज्यादा नहीं है, तो लिमिट बढ़कर 75 लाख रुपये हो जाती है। इस स्कीम का फायदा लेने वाले पेशेवरों में डॉक्टर, वकील, CA, कंपनी सेक्रेटरी, कॉस्ट अकाउंटेंट, इंजीनियर, आर्किटेक्ट और फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े प्रोफेशनल्स शामिल हैं।

प्रिजम्प्टिव टैक्स में ऑडिट रिपोर्ट फाइल करना अनिवार्य है?

अगर कोई टैक्सपेयर दावा करता है कि उसकी एक्चुअल इनकम 50% से कम है, तो उसे बुक्स ऑफ अकाउंट मेंटेन करनी होगी और ऑडिट कराना होगा। अन्यथा, प्रिजम्प्टिव टैक्सेशन स्कीम के तहत टैक्सपेयर सिर्फ निर्धारित रेट के हिसाब से टैक्स भर सकता है।

Tax Audit रिपोर्ट फाइल न करने पर क्या लगेगा?

अगर टैक्सपेयर्स टैक्स ऑडिट रिपोर्ट समय पर फाइल नहीं करते, तो उनके टर्नओवर का 0.5% या 1.5 लाख रुपये (जो कम हो) पेनाल्टी लग सकती है। लेकिन अगर रिपोर्ट फाइल न करने की सही वजह है, तो इन्कम टैक्स डिपार्टमेंट पेनाल्टी माफ कर सकता है।

Sonal Girhepunje

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