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दिव्यांग भाई के सुसाइड के बाद भी नहीं पूरी हो सकी उसकी अंतिम इच्छा, और फिर...
कानपुर: एक दिव्यांग युवक ने अपनी जिन्दगी से ऊब कर सुसाईड कर लिया। उसकी चाह थी कि मेरे मरने के बाद मेरे भाई की जिन्दगी में रोशनी लौट आए। उसने सुसाईड करने से पहले सुसाईड नोट लिखा कि मेरे मरने के बाद मेरी आंखे मेरे भाई को दे दी जाएं। जान देने के बाद भी उसकी यह अंतिम इच्छा पूरी नहीं हो सकी। वजह रही कि छह घंटे से अधिक समय बीत जाने के कारण डाक्टरों ने कार्निया निकालने से इंकार कर दिया। घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया हैl
बड़े भाई की एक आंख थी खराब
नौबस्ता थाना क्षेत्र स्थित राजीव विहार में रहने वाली मालती के पति किशोरी लाल की 9 साल पहले मौत हो चुकी है। मालती के चार बेटे बबलू ,नरेन्द्र ,जीतेन्द्र और पवन हैं। जीतेन्द्र एक पैर से विकलांग था। जिसकी वजह से वो परेशान रहता था। जिन्दगी उस पर बोझ बन रही थी। जीतेन्द्र एक ऑटो पार्ट शॉप में काम करता था।
जीतेन्द्र अपने बड़े भाई बबलू को सबसे ज्यादा प्यार करता था। बबलू भी जीतेन्द्र का ध्यान रखता था। दोनों भाइयों के बीच का प्यार देखकर सभी हैरान थे। बबलू की एक आंख जन्म से ही ख़राब थी और उम्र बढ़ने के साथ ही बबलू को दूसरी आंख से भी कम दिखने लगा था। जिसकी वजह से बबलू का भी आम जीवन प्रभावित हो रहा था।
जिंदगी से ऊब कर किया सुसाइड
मृतक के रिश्तेदार भानु पासवान के मुताबिक जीतेन्द्र बहुत सरल स्वाभाव का था। वो अपने भाई से बहुत प्रेम करता था उसने सोचा कि दिव्यांग होने की वजह से मेरा जीवन तो बर्बाद है। क्यों न मैं सुसाइड करके अपने भाई बबलू की जिन्दगी रोशनी से भर दूं।
बीते गुरुवार की रात खाना खाने के बाद जीतेन्द्र कमरे में सोने के लिए चला गया। इसके बाद जीतेन्द्र ने धन्नी के सहारे फांसी लगा ली। शुक्रवार सुबह जब देर तक जीतेन्द्र नहीं उठा तो भाई उसे जगाने के लिए गया। जीतेन्द्र के भाई ने देखा कि जीतेन्द्र का शव फंदे से लटक रहा था। यह देखते ही वो चीख पड़ा और सभी को घटना की जानकारी दी।
सुसाइड नोट में लिखी अंतिम इच्छा
नरेन्द्र ने बताया कि पुलिस को घटना की सूचना देने के बाद उसके शव को फंदे से उतारा गया। पुलिस ने कमरे से एक सुसाईड नोट बरामद किया। जब सुसाईड नोट में लिखी बातें पढ़ी गईं तो सभी हैरान रह गए। जीतेन्द्र की इच्छा के अनुसार उसे डाक्टर के पास ले जाया गया। डाक्टरों ने बताया कि मौत के छह घन्टे के भीतर ही कार्निया निकाली जा सकती है। लेकिन मृतक की मौत हुए छह घंटे से अधिक का समय बीत चुका है और यह आंखे बेकार हो चुकी हैं। जीतेन्द्र की अंतिम इच्छा पूरी नहीं हो सकी। इस बात का दुःख पूरे परिवार समेत बड़े भाई बबलू को सबसे अधिक है।
नौबस्ता इन्स्पेक्टर संतोष सिंह के मुताबिक एक दिव्यांग युवक ने सुसाईड किया था। उसने एक सुसाईड नोट भी लिखा था। वो अवसाद में था। शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। परिजनों की तरफ से किसी प्रकार की अभी तक तहरीर नहीं मिली है।
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