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लालबहादुर शास्त्री के जन्मस्थली पर पहुंचे सीएम-गवर्नर, परिजनों ने उठा दिया मौत का मामला
वाराणसी: पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न लाल बहादुर शास्त्री के रामगनर पैतृक आवास को उनके स्मृति संग्रहालय के रूप में तब्दील कर दिया गया है। इसका उद्घाटन करने गुरुवार को प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ वाराणसी पहुंचे। इस मौके पर संग्रहालय के मुख्य द्वार पर लगी लाल बहादुर शास्त्री मूर्ति और संग्रहालय के अंदर लगी ललिता शास्त्री की मूर्ति का भी अनावरण किया गया।
इच्छाशक्ति वाले व्यक्ति थे लाल बहादुर शास्त्री
‘‘लाल बहादुर शास्त्री स्मृति भवन संग्रहालय’’ का लोकापर्ण करने के बाद लौटते समय पत्र-प्रतिनिधियों से अनौपचारिक वार्ता करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री के रूप में लाल बहादुर शास्त्री जी ने एक गौरवशाली नेतृत्व दिया उन्होंने कहा कि इस देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर करने का काम, या फिर 1965 के युद्ध में गौरवशाली विजय दिलाने का मामला रहा हो, एक संवेदनशील इंसान के साथ साथ राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति दृढ़ इच्छाशक्ति का परिचय शास्त्री जी ने दिया था। उसका परिणाम इस देश के बहादुर जवानों के शौर्य पराक्रम से 1965 के युद्ध में विजय प्राप्त हुई थी। जय जवान-जय किसान का नारा देकर इस देश को संदेश देकर शास्त्री जी गए है। उनकी स्मृतियों से समाज प्रेरणा प्राप्त करता रहे इस दृष्टि से यहां पर यह स्मारक प्रेरणादाई केंद्र के रूप में सदैव मार्ग दर्शन देता रहेगा। मुख्यमंत्री ने कहा की हम इसके लिए कॉरपस फंड बनाएंगे, जिससे इस भव्य स्मारक को आगे बढ़ाया जा सकेगा।
शास्त्री जी के मौत की निष्पक्ष जांच की मांग
इस मौके पर लाल बहादुर शास्त्री के दूसरे बेटे अनिल शास्त्री ने कहा कि स्व. लाल बहादुर शास्त्री जी की मौत आज भी संदेह के घेरे में है। इसके कई कारण हैं। जिस कमरे में वह थे उसी कमरे में अचानक उनकी मौत हो जाना, वह भी नाटकीय ढंग से। ये हमारे लिए आश्चर्यजनक था। दो घँटे पहले ही तशकंद समझौते पर हस्ताक्षर हुए और उसके बाद उनकी मौत की खबर आती है। इस वजह से हमारा शक बना हुआ है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से हमारा अनुरोध है कि शास्त्री जी के मौत से संबंधित दस्तावेजों का खुलासा होना चाहिए।
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