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यूपी : पीएम के निर्मल भारत अभियान में 28 लाख का घोटाला
रायबरेली : यूपी की राजधानी लखनऊ से सटे वीआईपी जिले रायबरेली में निर्मल भारत अभियान में लगभग 28 लाख का घोटाला सामने आया है। साल 2014 में निर्मल भारत अभियान के खाते से पांच समितियों के खाते में बिना चेक के करीब 58 लाख रुपये हस्तांतरित किये गए हैं। एफआईआर दर्ज होने के बाद बैंक ने खाते में 31 लाख 38 हजार वापस भेज दिए लेकिन अभी भी 28 लाख 15 हजार रुपये खाते में वापस नहीं आएं हैं। निर्मल भारत अभियान के खाते का संचालन तत्कालीन सीडीओ और जिला पंचायत राज अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से किया जाता था।
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वर्तमान जिला पंचायत राज अधिकारी चंद्र किशोर वर्मा ने इस प्रकरण की शिकायत जिलाधिकारी से की है। साल 2014 में ही तत्कालीन जिला पंचायत राज अधिकारी एस के यादव ने इस हस्तांतरण की जानकारी तत्कालीन सीडीओ हुबलाल और मिशन निदेशक को दे दी थी और इस बाबत एक प्रथम सूचना रिपोर्ट सदर कोतवाली में दर्ज कराई थी।
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पंचायती राज विभाग के अंतर्गत संचालित योजना निर्मल भारत अभियान का खाता जिला स्वच्छता समिति के नाम से बैंक आफ बड़ौदा की रायबरेली शाखा में संचालित है। इस खाते का संचालन पूर्व में सीडीओ और जिला पंचायत राज अधिकारी के संयुक्त हस्ताक्षर से किया जाता था।
जिला स्वच्छता समिति के खाते से 23 जनवरी 2014 को ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति, बाबा गोसाईन, ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति, रामसंडा, ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति, भागीपुर ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति, उत्तरपारा और ग्राम पेयजल एवं स्वच्छता समिति सरबहदा के खाते अलग अलग 11 लाख 90 हजार 609 रुपये ट्रांसफर किये गए यानी सभी पांच खातों में कुल 59 लाख 53 हजार 45 रुपये जमा किये गए। इस बाबत जब बैंक आफ बड़ौदा से जानकारी मांगी गयी तो बैंक का कहना था कि खातों में हस्तांतरण जिला पंचायत राज अधिकारी और सीडीओ के संयुक्त हस्ताक्षरित पत्र के क्रम में किया गया गया है।
हालाँकि तत्कालीन जिला पंचायत राज अधिकारी इस के यादव में इस संदिग्ध हस्तांतरण की जानकारी 27 जनवरी 2014 को तत्कालीन सीडीओ हुबलाल और मिशन निदेशक लखनऊ को दे दी थी और उसी दिन एक एफआईआर भी सदर कोतवाली में दर्ज कराई थी। एफआईआर दर्ज होने के बाद बैंक आफ बड़ौदा ने अपने स्तर से कार्यवाई करते हुए जिन पांच खातों में धनराशि हस्तांतरित की गयी थी उनमे से 31 लाख 38 हजार 45 रुपये 29 जनवरी 2014 को जिला स्वछता समिति के खाते पुनः हस्तांतरित कर दिए। लेकिन अभी भी 28 लाख 15 हजार रुपये खाते में वापस नहीं आएं है।
चौकाने वाली बात ये है कि बैंक में महज पत्र के अनुपालन में इतनी बड़ी राशि का भुगतान कैसे कर दिया और 28 लाख 15 हज़ार रुपये अभी तक खाते में वापस क्यों नहीं ट्रांसफर किये।
खास बात ये है कि सदर कोतवालों में जब मामला दर्ज था लेकिन पुलिस ने तत्कालीन सीडीओ हुबलाल से पूछताछ नहीं की। अगर डीपीआरओ इस घोटाले में शामिल थे तो फिर उन्होंने खुद एफआईआर क्यों दर्ज कराई?
आपको बता दें, पीएम नरेंद्र मोदी ने 2 अक्टूबर 2014 को स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी। यह महत्वाकांक्षी योजना पहले की सरकार के केंद्रीय ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम (1986-1999) और संपूर्ण स्वच्छता अभियान का बदला हुआ रूप है। संपूर्ण स्वच्छता अभियान का नाम 2012 में बदल कर निर्मल भारत अभियान कर दिया गया था।
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