वैभव हत्याकाण्ड : वकीलों की मनुहार से बची राजधानी पुलिस की लाज 

Rishi
Published on: 19 Dec 2017 9:51 PM IST
वैभव हत्याकाण्ड : वकीलों की मनुहार से बची राजधानी पुलिस की लाज 
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लखनऊ : पुलिस और अधिवक्ताओं के बीच भले ही 36 का आकड़ा रहता हो लेकिन राजधानी के चर्चित वैभव तिवारी हत्याकाण्ड में पुलिस के जवानो ने वकीलों के सामने मान मनुव्वल कर पुलिस की लाज बचा ली। हजरतगंज चौराहे के करीब पूर्व विधायक के बेटे की ह्त्या ने पुलिस के इकबाल पर ही सवालिया निशान लगा दिए थे। लखनऊ पुलिस 72 घंटे बीत जाने के बाद भी खाली हाथ थी। लेकिन वकीलों के सामने नतमस्तक पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर अपराधी विक्रम सिंह और सूरज शुक्ला को कचहरी से गिरफ्तार कर लिया। हत्याकाण्ड की वजह पैसे का लेनदेन और वर्चस्व की लड़ाई बताई जा रही है। पुलिस ने आरोपियों को अदालत में पेश कर 3 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया है। विक्रम सिंह महिला सब इंस्पेक्टर का बेटा है।

सात लाख के लेनदेन में हुई थी वैभव तिवारी की ह्त्या

शनिवार को वैभव तिवारी की सात लाख रूपए के लेनदेन ह्त्या की गई थी। वैभव तिवारी और सूरज शुक्ला पार्टनरशिप में बिल्डिंग कांस्ट्रक्शन का करते थे। हुसैनगंज में बिल्डिंग निर्माण में प्रॉफिट को लेकर सूरज और वैभव के बीच काफी दिनों से विवाद चल रहा था। शनिवार की रात टेलीफोनिक बातचीत के बाद सूरज अपने साथी विक्रम के साथ बातचीत करने कसमण्डा हाउस पहुंचा था। जहां विवाद बढ़ने पर विक्रम सिंह ने वैभव को गोली मार दी। जिस से उस की मौत हो गई।

दरअसल बीजेपी नेता का पुत्र होने के नाते वैभव किसी भी कीमत पर दबने को तैयार नहीं था। जबकि आपराधिक प्रवृति के विक्रम सिंह की शह पर सूरज शुक्ला भी मनबढ़ हो चला था। यही कारण है की वर्चस्व की लड़ाई और पैसे के विवाद में वैभव की ह्त्या हो गई।

हज़रतगंज चौराहे के करीब कसमंडा हाउस में हुई थी ह्त्या

लखनऊ पुलिस जिस हिस्ट्रीशीटर अपराधी विक्रम सिंह और सूरज शुक्ला को गिरफ्तार करने का दावा कर खुद की पीठ थपथपा रही हैं। दरअसल उन दोनों की गिरफ्तारी वकीलों से घंटों की मनुहार के बाद संभव हो सकी। शनिवार की रात भीड़भाड़ वाले इलाके हजरतगंज चौराहे के करीब कसमंडा हाउस में पूर्व विधायक प्रेम प्रकाश उर्फ़ जिप्पी तिवारी के बेटे वैभव तिवारी की गोली मार कर ह्त्या कर दी गई थी। इस मामले में परिजनों ने हजरतगंज के हिस्ट्रीशीटर अपराधी विक्रम सिंह और सूरज शुक्ला के खिलाफ ह्त्या का मुकदमा दर्ज कराया था।

हत्याकाण्ड के बाद से ही पुलिस के इकबाल पर सवाल उठ रहे थे। सर्विलांस से लेकर मुखबिर तंत्र से नाकामी के बाद पुलिस ने अपनी निगाह अदालत पर टिका दी थी। आरोपी वकील के संपर्क में थे। पुलिस के आज हाथ पैर उस वक़्त फूल गए जब दोनों आरोपी अदालत में अपने वकील तक पहुँच गए। इस के बाद घंटों मनुहार के बाद आरोपियों ने अपनी शर्तों के साथ पुलिस के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

आरोपियों की शर्त पर हुई दोनों की गिरफ्तारी

अदालत पहुँच चुके हिस्ट्रीशीटर अपराधी विक्रम सिंह और सूरज शुक्ला ने अपने वकीलों के जरिये पुलिस के सामने शर्त रखी थी, कि वकीलों की मौजूदगी में ही वह अदालत में अपनी गिरफ्तारी देगा और पुलिस आज ही उस को अदालत में पेश करेगी। शर्तों के मुताबिक ही पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट से हिरासत में लेने के बाद आज ही अदालत में पेश कर दिया।

दरअसल पुलिस परिवार में पला बढ़ा विक्रम सिंह कनून के दावं पेंच अच्छे से जनता था। इसी लिए वह पुलिस के हाथ नहीं लगना चाहता था। विक्रम सिंह के खिलाफ हजरतगंज, अलीगंज, गोमतीनगर, और गाजीपुर में ह्त्या, ह्त्या का प्रयास, लूट, डकैती, गुंडा टैक्स और एनएसए जैसी गंभीर धाराओं में 41 मुकदमे दर्ज हैं।

एसएसपी का दावा पुलिस ने की गिरफ्तारी

एसएसपी लखनऊ दीपक कुमार ने दावा किया है कि पुलिस ने दोनों आरोपियों को उस वक़्त गिरफ्तार किया है जब दोनों आत्मसमर्पण के लिए न्यायालय जा रहे थे।

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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