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योगी सरकार को बडी राहत, 68,500 शिक्षक भर्ती की नहीं होगी CBI जांच
न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले में ऐसी कोई वजह या सामग्री नही दिखाई देती जिसकी वजह से सीबीआई से जांच कराई जाए। अदालत ने कहा कि ऐसे मामले में एकल पीठ द्वारा सीबीआई जांच का आदेश दिया जाना उचित नहीं है। अदालत ने एकल पीठ के आदेश को खारिज कर दिया।
लखनऊ: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्रदेश में सहायक शिक्षकों के 68 हजार 500 पदों पर भर्ती प्रकिया में कथित गड़बड़ी के लेकर एकल पीठ द्वारा पारित सीबीआई जांच के आदेश को रद कर दिया है। डिवीजन बेंच ने पहले ही 11 दिसम्बर 2018 केा एकल पीठ के उक्त आदेश पर अंतरिम रेाक लगा दी थी और साथ ही सीबीआई को इस मामले में दर्ज की गयी प्राथमिकी के संदर्भ में कोई कार्यवाही करने से भी रेक दिया है ।
चीफ जस्टिस गोविंद माथुर व जस्टिस मनीष माथुर की डिवीजन बेचं ने राज्य सरकार की ओर से दायर विशेष अपील केा मंजूर करते हुए कहा कि प्रकरण में एकल पीठ के समछ ऐसा कोई मैटीरियल नहीं था कि सीबीआई जांच का आदेश दिया जाताा।
सरकार की ओर से पक्ष रखते हुए महाधिवक्ता राघवेंद्र सिंह ने पूूर्व में तर्क दिया था कि पूरी भर्ती प्रकिया पारदर्शी व निष्कलंक है। इसमें किसी प्रकार का अपराधिक कृत्य या षणयंत्र शामिल नही है जबकि एकल पीठ ने अपने आदेश में बिना किसी सबूत और जाचं के ही भर्ती में भ्रष्टाचार करार दे दिया जो कि सरासर तथ्यें के विपरीत और मनमाना है।
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महाधिवक्ता का यह भी तर्क था कि कुछ अभ्यर्थियें के मामले में परीक्षक से गलती हो गयी थी जिसे स्वीकार करते हुए ठीक कर लिया गया था जिसके बाद एकल पीठ के सीबीआई जांच का केई औचित्य नहीं था। उनका तर्क था कि एकल पीठ का बिना तथ्यें के बिना ठीक से देखे व समझे ही पारित किया गया है लिहाजा ठहरने येग्य नहीं है।
अपने आदेश में कहा कि बिना जाचं के ही किस प्रकार किसी भर्ती प्रकिया में भष्टाचार होने की बात आदेश में रिकार्ड की जा सकती थी जबकि एकल पीठ के समछ कोई ऐसा मैटीरियल नहीं था। कोर्ट ने कहा कि केवल इस वजह से सरकार की ओर से गठित जांच कमेटी मेें सरकार के तीन अफसर थे यह नहीं कहा जा सकता है कि जाचं निष्पक्ष नही हेाती।
उल्लेखनीय हो कि एकल पीठ के जस्टिस इरशाद अली ने गत 1 नंवबर, 2018 को शिक्षक भर्ती में प्रथम दृष्टया भ्रष्टाचार होने की बात कहते हुए सीबीआई के भर्ती मामले में पूरी चयन प्रक्रिया की जांच के आदेश दे दिए थे। साथ ही एकल पीठ ने कहा था कि यदि सीबीआई जाचं में शिक्षा विभाग के किसी अधिकारी की संलिप्तता आती हो तो सक्षम अधिकारी उसके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही सुनिश्चित करें।
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ये है मामला
यह मामला प्रदेश में हो रही 68500 प्राइमरी शिक्षकों की भर्ती से जुड़ा है। याची ने याचिका दायर कर कहा था कि उसने जब उत्तर पुस्तिका से मिलान किया तो पाया कि उसको कम अंक दिए गए हैं। सुनवाई के समय यह बात प्रकाश में आई थी कि उत्तर पुस्तिका की बार कोडिंग में भिन्नता है। इस मामले में अदालत ने सरकार से कहा था कि जांच कराए। राज्य सरकार ने जांच भी कराई थी। सुनवाई के समय बताया गया था कि कई उत्तर पुस्तिकाओ में कुछ गड़बड़ियां पाई गई है। गत एक नवम्बर को अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि सीबीआई इस मामले की जांच छह माह में पूरी करे। इसी आदेश को डिवीजन बेंच के सामने चुनौती दी गई थी। पीठ ने पूरी सुनवाई के बाद सोमवार को अपना यह फैसला दिया है।
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