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UP: 4,000 दारोगाओं की चयन प्रकिया रद्द करने पर हाईकोर्ट ने फिर लगाई मुहर
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सिविल पुलिस और प्लाटून कमांडर में दरोगा के चार हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति प्रकिया रद्द करने के एकल पीठ के आदेश पर गुरूवार (6 जून) को मुहर लगा दी। एकल पीठ ने गत 24 अगस्त 2016 को अखिलेश सरकार के दौरान चयनित इन दरोगाओं की चयन प्रकिया लिखित परीक्षा के स्तर से रद्द कर दी थी और कुछ दिशानिर्देशों के साथ भर्ती प्रकिया को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया था। तमाम दरोगाओं की ट्रेनिंग भी लगभग पूरी हो चुकी है।
लखनऊ : इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सिविल पुलिस और प्लाटून कमांडर में दारोगा के चार हजार से अधिक पदों पर नियुक्ति प्रकिया रद्द करने के एकल पीठ के आदेश पर गुरूवार (6 जून) को मुहर लगा दी। एकल पीठ ने गत 24 अगस्त 2016 को अखिलेश सरकार के दौरान चयनित इन दरोगाओं की चयन प्रकिया लिखित परीक्षा के स्तर से रद्द कर दी थी और कुछ दिशानिर्देशों के साथ भर्ती प्रकिया को आगे बढ़ाने का निर्देश दिया था। तमाम दारोगाओं की ट्रेनिंग भी लगभग पूरी हो चुकी है।
उक्त निर्णय के खिलाफ दायर कई स्पेशल अपीलेें जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली की डिवीजन बेंच ने खारिज कर दीे। फैसला सुनाते हुए बेंच ने कहा कि चयन प्रकिया मे तमाम अनियमितता स्पष्ट थी। चयन प्रकिया में क्षैतिज आरक्षण को गलत तरीके से लागू किया था। पदों के तीन गुना से अधिक अभ्यर्थियों को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया था। कुछ अभ्यर्थियों को राउडिंग मार्कस दिए गए थे। जिससे अयोग्य अभ्यर्थियों को भी इंटरव्यू के लिए बुला लिया गया था। चयन के समय जो प्रकिया अपनायी गई थी वह सेवा नियमावली में दी गई प्रकिया के इतर थी। इन्हीं आधारों पर एकल पीठ ने चयर प्रकिया रद्द कर लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित कर नए सिरे से पूरी भर्ती प्रकिया पूरी करने का निर्देश राज्य सरकार को दिया था।
डिवीजन बेंच ने एकल पीठ के उक्त निर्णय मे कोई खामी नहीं पाई। बतातें चलें कि राज्य सरकार ने 2011 में 4010 पदों पर सिविल पुलिस और प्लाटून कमांडरों की भर्ती प्रकिया शुरू की थी। उक्त चयन प्रकिया 26 जून 2015 को पूरी कर ली गई थी। सफल अभ्यर्थियेां को ट्रेनिंग पर भी भेज दिया गया था। कुछ असफल कैंडिडेट्स ने उक्त चयन प्रकिया को रिट याचिका दायर कर हाईकेार्ट में चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि लिखित परीक्षा का परिणाम घोषित करने मे क्षैतिज आरक्षण का ठीक से पालन नहीं हुआ।
नियमों के अनुसार पदों के सापेक्ष तीन गुना के बजाय पांच गुना अभ्यर्थियेां को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया। जस्टिस राजन राय की सिंगल बेंच ने 24 अगस्त 2015 को उन कैंडिडेट्स की यचिकाओं पर चयन प्रकिया खारिज कर सरकार को निर्देश दिया था कि लिखित परीक्षा से भर्ती प्रकिया आगे बढ़ाकर उसे पूरा किया जाए। सिंगल जज के उपरोक्त फैसले के खिलाफ धर्मेंद्र कुमार और अन्य ने डिवीजन बेंच के सामने उक्त फैसले को चुनौती दी थी। राज्य सरकार ने भी अलग अपील फाइल कर उक्त फैसले को चुनौती दी थी। अलग-अलग दायर इन अपीलों पर सुनवाई कर डिवीजन बेंच ने गुरूवार को उन्हें खारिज कर दिया।
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