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प्राइमरी शिक्षकों को बीएलओ बनाए जाने पर रोक: कोर्ट
लखनऊ: हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने प्राथमिक शिक्षकों को बूथ लेवल अधिकारी का दायित्व दिए जाने पर शनिवार को रोक लगा दी है। प्राइमरी शिक्षकों की ओर से इस सम्बंध में जारी किए गए राज्य सरकार के 27 अगस्त, 4 सितम्बर और 6 सितम्बर के आदेशों को चुनौती दी गई थी। उक्त आदेशों में शिक्षकों को मतदाता सूची के पुनरीक्षण का दायित्व सौंपा गया है।
राज्य सरकार ने मांगा जवाब देने का समय
यह आदेश जस्टिस इरशाद अली की बेंच ने रचना पांडेय व अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर पारित किया। याचियों की ओर से निःशुल्क व अनिवार्य शिक्षा के प्रति बच्चों का अधिकार अधिनियम की धारा- 27 व वर्ष 2011 के नियम 21(3) का हवाला देते हुए तर्क दिया गया था कि इन प्रावधानों में स्पष्ट है कि दस वर्षीय जनगणना, आपदा राहत कर्तव्य व स्थानीय निकाय, राज्य विधान सभा और लोकसभा चुनावों के अतिरिक्त किसी अन्य गैर-शिक्षण कार्य की जिम्मेदारी शिक्षकों को नहीं दी जाएगी। याचियों की ओर से यह भी दलील दी गई कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण के कार्य को चुनाव सम्बंधी कार्य भी नहीं कहा जा सकता क्योंकि किसी भी चुनाव की फिलहाल अधिसूचना जारी नहीं की गई है। उक्त प्रावधानों को देखते हुए, राज्य सरकार द्वारा मतदाता सूची के पुनरीक्षण की जिम्मेदारी शिक्षकों को देने के आदेश विधि सम्मत नहीं है। राज्य सरकार की ओर से याचिका पर जवाब देने के लिए समय दिए जाने की मांग की गई। इस पर कोर्ट ने फिलहाल याचियों को बीएलओ की जिम्मेदारी दिए जाने पर रोक लगा दी।
कोर्ट ने मामले पर विचार की आवश्यकता पाते हुए, सरकार को जवाब के लिए तीन सप्ताह का समय दिया, साथ ही याचियों को इसके बाद के दो सप्ताह में प्रत्युत्तर दाखिल करना होगा। उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी हाईकोर्ट गैर-शिक्षण कार्यों में शिक्षकों की ड्यूटी लगाने पर रोक लगा चुका है।
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