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Haryana: दिग्गजों की दावेदारी से कांग्रेस का बढ़ गया सिरदर्द,जीत मिली तो CM पद का फैसला नहीं होगा आसान

Haryana Election: इस बार के विधानसभा चुनाव में हुड्डा दूसरे नेताओं की अपेक्षा अपने ज्यादा समर्थकों को टिकट दिलाने में कामयाब हुए हैं। इसे लेकर दूसरे नेताओं में नाराजगी भी दिखी है। 2005 से 2014 तक वे दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

Anshuman Tiwari
Published on: 7 Oct 2024 10:27 AM IST
Haryana Election ( Pic- NewsTrack)
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Haryana Election ( Pic- NewsTrack)

Haryana Election: दिग्गजों की दावेदारी से कांग्रेस का बढ़ गया सिरदर्द,जीत मिली तो CM पद का फैसला नहीं होगा आसान हरियाणा में एग्जिट पोल के नतीजे सामने आने के बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस को काफी मजबूत स्थिति में माना जा रहा है। एग्जिट पोल के नतीजे के मुताबिक कांग्रेस बीजेपी को बड़ा झटका देती हुई दिख रही है। राज्य में कांग्रेस की अच्छी हवा को देखते हुए कांग्रेस नेताओं ने शनिवार को वोटिंग खत्म होने से पहले ही पूर्ण बहुमत मिलने का दावा करना शुरू कर दिया था।


यदि एग्जिट पोल में लगाए गए पूर्वानुमान वास्तविकता में बदले तो कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद का फैसला करना आसान साबित नहीं होगा। मतदान से पहले ही मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान शुरू हो चुकी है। हालांकि सभी वरिष्ठ नेताओं की ओर से हाईकमान का फैसला करने की बात कही जा रही है मगर किसी एक नाम पर सहमति बनाना और वरिष्ठ नेताओं को संतुष्ट करना कांग्रेस हाईकमान के लिए काफी मुश्किल साबित होगा।

सीएम पद की रेस में हुड्डा का नाम सबसे आगे

वैसे कांग्रेस को बहुमत मिलने की स्थिति में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम सीएम पद की रेस में सबसे आगे माना जा रहा है। इस बार के विधानसभा चुनाव में हुड्डा दूसरे नेताओं की अपेक्षा अपने ज्यादा समर्थकों को टिकट दिलाने में कामयाब हुए हैं। इसे लेकर दूसरे नेताओं में नाराजगी भी दिखी है। 2005 से 2014 तक वे दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। विधानसभा चुनाव से पहले ही हुड्डा समर्थकों ने उन्हें सीएम फेस बताना शुरू कर दिया था। हालांकि कांग्रेस हाईकमान ने गुटबाजी से बचने के लिए किसी भी नेता को सीएम फेस घोषित नहीं किया था। हुड्डा ने लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी पार्टी की अगुवाई की है और ऐसे में उनकी दावेदारी को नकारना हाईकमान के लिए भी मुश्किल साबित होगा। चुनाव नतीजे आने से पहले ही हुड्डा ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अभी रिटायर नहीं हुए हैं। वैसे उन्होंने यह भी भी कहा है कि सीएम पद का फैसला पार्टी हाईकमान की ओर से किया जाएगा।


शैलजा बोलीं-मेरी अनदेखी नहीं कर सकता हाईकमान

सिरसा से पिछला लोकसभा चुनाव जीतने वाली कांग्रेस की पूर्व प्रदेश अध्यक्ष कुमारी शैलजा भी सीएम पद की मजबूत दावेदार मानी जा रही हैं। मजे की बात यह है कि हरियाणा की राजनीति में उन्हें हुड्डा का धुर विरोधी माना जाता रहा है। विधानसभा चुनाव में हुड्डा के वर्चस्व से नाराज होकर उन्होंने कई दिनों तक चुनाव प्रचार में हिस्सा नहीं लिया था। बाद में राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के मानने पर यह प्रचार करने के लिए उतरी थीं।


हरियाणा में वोटिंग से पहले ही उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि मुख्यमंत्री पद का फैसला कांग्रेस हाईकमान की ओर से ही किया जाएगा मगर हाई कमान मेरी दावेदारी को नजरअंदाज नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि वे एक वरिष्ठ नेता हैं और उनमें इतना वजन है कि उन्हें इस शीर्ष पद के लिए सबसे आगे माना जा सकता है।हरियाणा कांग्रेस में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री पद का सबसे मजबूत दावेदार जरूर माना जा रहा है मगर शैलजा भी अपनी दावेदारी छोड़ने को तैयार नहीं दिख रही हैं।

रेस में उभरे कई अन्य नेताओं के भी नाम

इन दोनों वरिष्ठ नेताओं के अलावा कुछ अन्य नेता भी सीएम पद की दौड़ में बने हुए हैं। भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्यमंत्री न बनने की स्थिति में उनके बेटे और रोहतक से सांसद दीपेंद्र हुड्डा को मुख्यमंत्री पद का मजबूत दावेदार माना जा रहा है। वैसे चुनाव प्रचार के दौरान अपनी रैलियों में दीपेंद्र हुड्डा अपने पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम उछलते रहे हैं। दीपेंद्र हुड्डा का कहना है कि हरियाणा में कांग्रेस की सरकार बनना तय है। हाईकमान ही मुख्यमंत्री पद को लेकर विवाद खत्म करेगा।कांग्रेस महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष उदयभान को भी मुख्यमंत्री पद का मजबूत दावेदार बताया जा रहा है। सुरजेवाला ने भी सीएम की कुर्सी पर निगाहें गड़ा रखी हैं।


चौंकाने वाला नाम आ सकता है सामने

वैसे सियासी जानकारों का यह भी कहना है कि वरिष्ठ नेताओं के बीच सीएम पद को लेकर खींचतान की स्थिति में पार्टी हाईकमान की ओर से कोई चौंकाने वाला नाम सामने लाया जा सकता है। अभी मतगणना से पहले कांग्रेस नेता इस बाबत चुप्पी साधे हुए हैं।हरियाणा में शैलजा और सुरजेवाला दोनों विधानसभा चुनाव लड़कर मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी को मजबूत बनाना चाहते थे मगर पार्टी हाईकमान की ओर से इस बात की अनुमति नहीं दी गई।


राजस्थान जैसे बन रहे सियासी हालात

इस बार के विधानसभा चुनाव में हुड्डा अपने सहयोगियों और समर्थकों को सर्विधिक टिकट दिलाने में कामयाब रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री पद की रेस में उनका नाम सबसे आगम माना जा रहा है। वैसे हरियाणा जैसा पेंच राजस्थान में भी फंस गया था। पार्टी हाईकमान की ओर से अशोक गहलोत के नाम पर मुहर लगाए जाने के बाद सचिन पायलट ने गहलोत राज में लगातार नाम नाक में दम किए रखा। अब ऐसी ही स्थिति हरियाणा में भी बनती हुई दिख रही है। शैलजा और हुड्डा के बीच संबंध सहज और मधुर नहीं हैं ऐसे में पार्टी हाईकमान के लिए मुख्यमंत्री पद पर फैसला करना लोहे के चने चबाने जैसा होगा



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Shalini Rai

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