मामूली नहीं जान की दुश्मन है हाई BP की बीमारी, 1-2 नहीं पूरे 7 तरीकों से दिल पर करती है अटैक, अभी दे दें ध्यान, वरना...?

High BP: हाई ब्लड प्रेशर एक साइलेंट किलर है, जो धीरे-धीरे दिल और ब्लड वेसेल्स को नुकसान पहुंचाता है। समय पर नियंत्रण न होने पर यह कई गंभीर बीमारियों का कारण बनता है।

Akriti Pandey
Published on: 30 Oct 2025 6:30 AM IST
High BP
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High BP: हाई ब्लड प्रेशर यानी हाइपरटेंशन को अक्सर “साइलेंट किलर” कहा जाता है क्योंकि यह धीरे-धीरे ब्लड वेसेल्स और दिल को नुकसान पहुंचाता है। लगातार हाई बीपी होने पर दिल को ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है और समय पर पहचान व इलाज न मिलने पर यह हार्ट अटैक, हार्ट फेल्योर और कई अन्य खतरनाक बीमारियों का कारण बन सकता है।

कोरोनरी आर्टरी डिजीज (CAD)

हाई ब्लड प्रेशर से दिल की धमनियों की दीवारें मोटी और सख्त हो जाती हैं। इनमें फैट और कोलेस्ट्रॉल का जमाव यानी प्लाक बनना शुरू हो जाता है, जिससे ब्लड फ्लो कम हो जाता है। इसके लक्षणों में सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ और थकान शामिल हैं। समय रहते ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करके इस बीमारी से बचा जा सकता है।

एंजाइना

हाई बीपी के कारण धमनियां सिकुड़ जाती हैं और दिल को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिल पाती। इसका परिणाम होता है एंजाइना, जिसमें छाती में दर्द या जलन महसूस होती है। अगर दर्द आराम करने पर भी नहीं जाता, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

हार्ट अटैक

हाई ब्लड प्रेशर से बनी प्लाक अचानक फट सकती है, जिससे खून का थक्का बन जाता है। यह ब्लड फ्लो को रोक देता है और दिल की मांसपेशियों में ऑक्सीजन की कमी पैदा कर सकता है। कुछ ही मिनटों में हार्ट अटैक की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।

लेफ्ट वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी (LVH)

लगातार ज्यादा मेहनत करने से दिल का बायां हिस्सा मोटा और सख्त हो जाता है। इसे लेफ्ट वेंट्रिकुलर हाइपरट्रॉफी कहते हैं। शुरू में लक्षण दिखाई नहीं देते, लेकिन धीरे-धीरे थकान, सांस फूलना और सूजन जैसी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। इसे नियंत्रित न करने पर यह हार्ट फेल्योर में बदल सकता है।

हार्ट फेल्योर

कई बार दिल की पंपिंग सामान्य दिखती है, लेकिन वह सही तरीके से भर नहीं पाता। हाई बीपी से दिल की दीवारें सख्त हो जाती हैं और ब्लड फ्लो कम हो जाता है। इसे HFpEF कहा जाता है और यह गंभीर स्वास्थ्य समस्या है।

अनियमित धड़कन (Arrhythmia)

लंबे समय तक हाई बीपी रहने से दिल का स्ट्रक्चर और इलेक्ट्रिकल सिस्टम प्रभावित होता है। इससे धड़कनें अनियमित और तेज हो जाती हैं, जिसे एट्रियल फिब्रिलेशन कहा जाता है। लक्षणों में दिल की तेज धड़कन, चक्कर और थकावट शामिल हैं।

माइक्रो वैस्कुलर एंजाइम

हाई ब्लड प्रेशर दिल की छोटी ब्लड सेल्स को प्रभावित करता है। ये सेल्स सख्त हो जाती हैं और फैल नहीं पातीं, जिससे ऑक्सीजन की कमी होती है। इसके लक्षणों में छाती में दर्द और थकान दिखाई देते हैं।

Disclaimer: यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है। हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है। NEWSTRACK इस आर्टिकल में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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