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सिर्फ एक कश...ये है शौक या शमशान की ओर पहला कदम? सामने आया सिगरेट-हुक्का के व्यापार और विनाश तक का पूरा सच, पढ़िए रिपोर्ट
चाहे सिगरेट का एक कश हो या हुक्का, तंबाकू का धुआं केवल फेफड़ों तक ही नहीं बल्कि आपकी ज़िंदगी के हर पहलू को बुरी तरह से प्रभावित करता है। हुक्का और सिगरेट की लत विश्वभर में करोड़ों लोगों को लग चुकी है।
increasing trend of cigarettes (photo credit: social media)
एक कश... फिर दूसरा कश... और फिर एक आदत जो धीरे-धीरे आपके लिए जानलेवा बन जाती है। चाहे सिगरेट का एक कश हो या हुक्का, तंबाकू का धुआं केवल फेफड़ों तक ही नहीं बल्कि आपकी ज़िंदगी के हर पहलू को बुरी तरह से प्रभावित करता है। हुक्का और सिगरेट की लत विश्वभर में करोड़ों लोगों को लग चुकी है। इनका उपयोग केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि सामाजिक, आर्थिक और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं को भी जन्म देता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि ये आदत केवल आपका स्वास्थ्य ही नहीं बिगाड़ती, बल्कि एक पूरा वैश्विक उद्योग आपके इस नुक़सान से अरबों की कमाई कर रहा है?
हुक्का और सिगरेट लत की लकीर कहां से शुरू हुई ?
सिगरेट - 9वीं शताब्दी में सिगरेट की शुरुआत अमेरिका से हुई थी, जब तंबाकू को रोल करके पीने का चलन शुरू हुआ। 20वीं शताब्दी आते-आते सिगरेट एक ग्लोबल ट्रेंड बन चुका था।
हुक्का- हुक्का की शुरुआत भारत के मुगल काल में हुआ था, जब धातु और कांच से बने हुक्के में तंबाकू जलाकर पीने का चलन शुरू हुआ था। यह बाद में मिडिल ईस्ट और अफ्रीका तक फैल गया।
सिगरेट के अंदर क्या होता है ? (Ingredients of Addiction)
- निकोटीन (लत लगाने वाला ज़हर)
- टार (कैंसर होने वाला पदार्थ)
- कार्बन मोनोऑक्साइड
- फार्मलडिहाइड
- अमोनिया
- लगभग 7,000 रसायन, जिनमें से 70 से ज़्यादा कैंसरजन्य (carcinogenic) हैं।
हुक्का में क्या होता है ?
- फ्लेवर वाला तंबाकू (शिशा/मोलासिस)
- कोयले का धुआं
- धातु, गंध और फ्लेवरिंग एजेंट्स
- एक घंटे की हुक्का सेशन में व्यक्ति तकरीबन 100 सिगरेट जितना धुआं अपने अंदर लेता है!
दुनिया और भारत में तंबाकू की लत
WHO की रिपोर्ट के मुताबिक, दुनियाभर में तकरीबन 1.3 अरब लोग तंबाकू का सेवन करते हैं। हर साल लगभग 80 लाख से ज्यादा मौतें तंबाकू से जुड़ी बीमारियों के कारण होती हैं। वहीं भारत में करीब 27 करोड़ लोग तंबाकू का सेवन करते हैं इनमें सिगरेट, बीड़ी, हुक्का, गुटखा, जर्दा मुख्य रूप से सबसे ज्यादा हैं। Global Adult Tobacco Survey (GATS) के मुताबिक, 15 वर्ष की उम्र से ऊपर के लगभग 28.6% भारतियों में तंबाकू उत्पादों का सेवन तेजी से बढ़ रहा है। आज शहरी युवाओं में बड़े रफ़्तार के साथ हुक्के का प्रचलन बढ़ा है। मेट्रो शहरों में कैफे और लाउंज कल्चर ने इसे और भी ज्यादा ‘फैशनेबल नशा’ बना दिया है। वहीं हुक्का का सेवन गांवों और कस्बों में भी पारंपरिक रूप से प्रचारित है।
तंबाकू का कारोबार
- SkyQuest Technology की रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2024 में दुनियाभर में तंबाकू उद्योग की वैल्यू तकरीबन 850 अरब डॉलर के आसपास थी। हालांकि, रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि साल 2023 में बाजार का आकार 895.03 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- कई मीडिया एजेंसी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में सिगरेट और तंबाकू के उत्पादों से सरकार को हर साल तकरीबन 72,788 करोड़ रुपये से ज्यादा टैक्स मिलता है।
- लेकिन इसके उलट, WHO के मुताबिक, तंबाकू से होने वाली बीमारियों के इलाज में हर साल 1 लाख करोड़ से ज्यादा का खर्च होता है।
- भारत में ITC, Godfrey Phillips जैसे ब्रांड प्रमुख हैं।
सिगरेट कितने प्रकार की होती हैं ?
1. फिल्टर सिगरेट – सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली सिगरेट, जिसमें फिल्टर लगा होता है
2. नॉन-फिल्टर सिगरेट – वो सिगरेट जो की अधिक तीव्र धुआं और टार बनाता है
3. लाइट और अल्ट्रा-लाइट सिगरेट – कम टार और निकोटीन, लेकिन सेहत पर असर उतना ही
4. फ्लेवर सिगरेट – मेंथॉल, चॉकलेट, फ्रूट फ्लेवर आदि में सिगरेट मार्केट में मौजूद है
5. ई-सिगरेट (Vape) – इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट जो निकोटीन वेपोर के रूप में देती है
6. बिड़ी – भारत में काफी समय से प्रचलित है जो की तेंदू पत्ते में तंबाकू भरकर बनाई जाती है
एक-एक कश में कई बीमारियां लेती हैं जन्म:
1. फेफड़े का कैंसर (lung cancer): लगभग 90% केस का बड़ा कारण सिगरेट है।
2. हृदय रोग (heart disease): निकोटीन ब्लड प्रेशर और हार्ट रेट को बढ़ा देता है, जिससे हार्ट अटैक का खतरा और अधिक बढ़ जाता है।
3. अस्थमा और सांस की लेने की समस्या (Asthma and respiratory problems): विशेषतौर पर ये समस्याएं हुक्का पीने वालों में ज्यादा हो रही हैं।
4. गर्भावस्था में खतरा (Dangers in Pregnancy): महिलाओं में सिगरेट हुक्का गर्भावस्था में जोखिम पैदा करता है जिससे गर्भपात, समयपूर्व प्रसव, और शिशु की मृत्यु हो सकती है।
5. मस्तिष्क पर प्रभाव (effect on brain): सिगरेट या हुक्का से आपका ध्यान, नींद और मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है जिससे आप चिड़चिड़े हो जाते हैं।
लोग क्यों पीते हैं सिगरेट ?
1. निकोटिन की लत (Nicotine Addiction)
WHO के मुताबिक, निकोटिन एक शक्तिशाली नशा देने वाला पदार्थ है। जब व्यक्ति सिगरेट पीता है, तो निकोटिन मस्तिष्क में डोपामिन (dopamine) नाम का एक रसायन छोड़ता है।
क्या होता है डोपामिन ?
डोपामाइन एक न्यूरोट्रांसमीटर है, जिससे अस्थायी आनंद और तनाव से राहत (stressfree) महसूस होता है। यह मस्तिष्क में तंत्रिका कोशिकाओं के बीच सूचना का आदान-प्रदान करने में सहायता करता है। इसे "खुशी का हार्मोन" (Happiness Harmone) या "पुरस्कार हार्मोन" भी कहा जाता है क्योंकि यह आनंद, प्रेरणा और ध्यान जैसी भावनाओं से जुड़ा होता है।
2. तनाव और मानसिक दबाव से मिलती है राहत
National Institute on Drug Abuse (NIDA, USA) की रिपोर्ट के मुताबिक, कई लोग मानसिक तनाव, अकेलापन या डिप्रेशन के दौरान सिगरेट पीना शुरू करते हैं। भारत में भी AIIMS की एक स्टडी के मुताबिक तकरीबन 60% लोग तनाव से मुक्ति के लिए सिगरेट का सेवन करते हैं।
3. समाज और दोस्ती का दबाव (Peer Pressure)
आमतौर पर आजकल के युवाओं में सिगरेट पीने की शुरुआत अक्सर दोस्तों या सहकर्मियों के दबाव में होती है। Global Adult Tobacco Survey (GATS) 2016-17 के मुताबिक, भारत में 15 से 24 साल के युवाओं में से लगभग 33% ने सिगरेट पीना केवल मौज-मस्ती या दोस्ती के कारण शुरू किया।
4. युवाओं में फैशन या कूल दिखने की सोच
तमाम फिल्मों, सोशल मीडिया या विज्ञापनों में सिगरेट को एक पॉवरफुल, स्मार्ट, स्टाइल स्टेटमेंट के रूप में दिखाया जाता है। यही कारण है कि युवा इसे बोल्ड और स्मार्ट दिखने के लिए अपनाते हैं।
5. पारिवारिक पृष्ठभूमि या परिवेश
अगर घर में कोई सदस्य सिगरेट पीता है, तो बच्चों में इसकी संभावना 2 गुना ज्यादा बढ़ जाती है जिसके कारण वे भी भविष्य में इसकी ओर आकर्षित हो ही जाते हैं।
भारत में सिगरेट से जुड़ी महत्वपूर्ण आंकड़े:
साल 2016-17 GATS रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में धूम्रपान करने वाले लोगों की संख्या तकरीबन 10 करोड़ आसपास है जिसमें निकोटिन की लत के शिकार 80% से ज्यादा धूम्रपान करने वाले भारतीय लोग हैं। भारत में पहली बार सिगरेट पीने की वाले की औसत उम्र 17-18 वर्ष है। WHO के मुताबिक, भारत में तंबाकू के कारण हर साल लगभग 13 लाख से भी ज्यादा मौतें होती हैं।
क्या सिगरेट की तुलना में हुक्का सुरक्षित है?
आजकल जिस तरह से सिगरेट और हुक्का का चलन बढ़ रहा है वैसे ही एक बढ़ा सवाल भी लोगों के मन में बड़ा वहम बना हुआ है कि सिगरेट ज्यादा नुकसानदायक है या फिर हुक्का! ये जानना आपके लिए बेहद ज़रूरी है कि आप अपने दिमाग में केवल एक मिथक बनाये हुए हैं कि हुक्का सिगरेट से कम हानिकारक है। हकीकत में, हुक्का सेशन में व्यक्ति जितना धुआं अपने अंदर लेता है, वह सिगरेट के मुकाबले करीब 20 गुना ज्यादा हो सकता है। कोयले के कारण कार्बन मोनोऑक्साइड की मात्रा और भी ज्यादा होती है। लकिन सच्चाई ये भी है कि सिगरेट भी आपकी सेहत के लिए बेहद नुकसानदायक है।
कौन-सा टेस्ट करवाना ज़रूरी है?
यदि कोई व्यक्ति लंबे समय से सिगरेट या हुक्का का सेवन कर रहा है, तो स्वास्थ्य की ये जांच करवाना ज़रूरी है:
1. फेफड़ों का एक्स-रे या HRCT स्कैन कराया जाना आवश्यक है।
2. पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट (PFT) – PFT से फेफड़ों की कार्यक्षमता का सही तरीके से पता लगाया जाता है।
3. कार्सिनोमा मार्कर टेस्ट (CMT) – इस टेस्ट के माध्यम से कैंसर की संभावना की जांच की जाती है।
4. निकोटीन/कोटिनिन लेवल टेस्ट – शरीर में निकोटीन की मात्रा कितनी है ये मापने हेतु कोटिनिन लेवल टेस्ट करवाया जाता है।
5. ECG और ईको टेस्ट – ये टेस्ट खासतौर से हृदय की स्थिति जानने के लिए किया जाता है।
6. ब्लड टेस्ट – इस टेस्ट में CBC, ESR, CRP से संक्रमण और सूजन की स्थिति का पता लगाया जाता है।
तंबाकू से बचाव कैसे करें?
1. जनजागरूकता: स्कूलों, कॉलेजों और दफ्तरों में तंबाकू विरोधी अभियान चलाया जाना चाहिए।
2. परिवार की भूमिका: बच्चों को छोटी उम्र से ही तंबाकू के दुष्परिणाम की शिक्षा देना चाहिए।
3. काउंसलिंग और थेरेपी: निकोटीन डिपेंडेंसी के लिए मनोवैज्ञानिक सहायता लिया जा सकता है।
4. निकोटीन रिप्लेसमेंट थेरेपी: सिगरेट की लत से बचने के लिए गम, पैच, टैबलेट जैसे विकल्प भी अपनाये जा सकते हैं।
5. सख्त कानून: सार्वजनिक जगहों पर पूर्ण प्रतिबंध और सख्त जुर्माना लगाना चाहिए।
3. करें व्यायाम : योग, ध्यान और आयुर्वेदिक इलाज जैसे ब्राह्मी, अश्वगंधा आदि तंबाकू के लत से आपको बचा सकते हैं।
4. हेल्पलाइन नंबर: सपोर्ट ग्रुप और हेल्पलाइन (जैसे 1800-11-2356) का सहारा लें।
मुख्य बातों पर एक बार गौर ज़रूर करें :
तंबाकू सिर्फ एक लत या नशा नहीं है बल्कि ये आपकी सेहत को धीरे-धीरे नष्ट कर देती है। सिगरेट और हुक्का दोनों ही सेहत के लिए बेहद खतरनाक हैं।भारत में करोड़ों लोग इसकी चपेट में हैं और ये आंकड़ा प्रतिदिन तेजी से बढ़ रहा है। अब आपको आए आकर इस जोखिम भरे लत के लिए सख्त कदम उठाना चाहिए और व्यक्तिगत, पारिवारिक और सामाजिक स्तर पर इसके खिलाफ लड़ना चाहिए क्योंकि शुरुआत पहले आपसे ही होगी।
अंत में...
एक सिगरेट बुझाने से आग कभी खत्म नहीं होगी... लेकिन शायद आपकी ज़िंदगी जरूर ख़त्म हो सकती है। तंबाकू की लत केवल आपकी नहीं बल्कि यह आपके परिवार, समाज और भविष्य में आने वाली पीढ़ियों का भी दुश्मन है। अब समय जागने का है क्योंकि सिगरेट का हर कश, हर धुआं, आपको मौत के और नज़दीक ले जा रहा है। तो समय रहते इसका समाधान करें क्योंकि एक स्वस्थ जीवन ही असली सुख है इसीलिए स्वस्थ 'जिंदगी चुनें, मौत का धुआं नहीं... '