TRENDING TAGS :
World Haemophilia Day 2025: हीमोफीलिया क्या है, कैसे होता है, विश्व हीमोफीलिया दिवस पर जानें बचाव के उपाय
Haemophilia Day 2025: हर साल हीमोफीलिया के प्रति जागरूकता फैलाने और पीड़ितों को सहयोग देने के उद्देश्य से विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है।
World Haemophilia Day 2025 (फोटो साभार- सोशल मीडिया)
World Haemophilia Day 2025: रक्त हमारे शरीर का जीवनतत्व है। इसके बिना शरीर की कोई भी क्रिया सुचारू रूप से नहीं चल सकती। जब रक्तस्राव सामान्य समय से अधिक समय तक होता है और रुकने का नाम नहीं लेता, तो यह एक गंभीर रोग की ओर संकेत करता है जिसे 'हीमोफीलिया' कहा जाता है। इसी गंभीर बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने और पीड़ितों को सहयोग देने के उद्देश्य से हर वर्ष 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। यह दिन न केवल जन जागरूकता का प्रतीक है, बल्कि यह चिकित्सा क्षेत्र में शोध, इलाज और सहायता के लिए एक वैश्विक मंच भी है।
हीमोफीलिया क्या है (Haemophilia Kya Hai In Hindi)?
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
हीमोफीलिया (Hemophilia) एक आनुवंशिक रक्त विकार (Genetic Blood Disorder) है जिसमें खून के थक्के बनने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है। यह बीमारी तब होती है जब शरीर में थक्के बनाने वाले प्रोटीन, जिन्हें "क्लॉटिंग फैक्टर्स" कहते हैं, की मात्रा बहुत कम होती है या वे पूरी तरह से अनुपस्थित होते हैं।
मुख्यतः हीमोफीलिया दो प्रकार का होता है:
हीमोफीलिया ए (Hemophilia A): इसमें फैक्टर VIII की कमी होती है। यह सबसे सामान्य प्रकार है।
हीमोफीलिया बी (Hemophilia B): इसमें फैक्टर IX की कमी होती है। इसे 'क्रिसमस डिज़ीज़' भी कहा जाता है।
इस विकार से पीड़ित व्यक्ति को मामूली चोट या आंतरिक रक्तस्राव भी घातक हो सकता है क्योंकि उसका खून स्वाभाविक रूप से नहीं जमता।
विश्व हीमोफीलिया दिवस का इतिहास (World Haemophilia Day History)
विश्व हीमोफीलिया दिवस की शुरुआत 1989 में हुई थी। यह दिन फ्रैंक श्नाबेल (Frank Schnabel) की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिन्होंने World Federation of Hemophilia (WFH) की स्थापना की थी। फ्रैंक स्वयं भी हीमोफीलिया के मरीज थे और उन्होंने इस बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए वैश्विक मंच तैयार किया।
इस दिन का उद्देश्य है (Haemophilia Day Purpose)
हीमोफीलिया और अन्य रक्त विकारों के बारे में जागरूकता फैलाना। लोगों को जांच और इलाज के प्रति प्रेरित करना। सरकारों और संगठनों का ध्यान इस दिशा में खींचना।
हीमोफीलिया के लक्षण (Haemophilia Symptoms In Hindi)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
हीमोफीलिया के लक्षण रोग की गंभीरता पर निर्भर करते हैं। इसके सामान्य लक्षण इस प्रकार हैं:-
1- बार-बार नाक से खून आना
2- मसूड़ों से खून आना
3- छोटे कट या खरोंच में भी रक्तस्राव का देर से रुकना
4- मांसपेशियों और जोड़ों में सूजन व दर्द
5- मूत्र या मल में रक्त आना
6- अनायास आंतरिक रक्तस्राव
7- चोट लगने पर अत्यधिक खून बहना
बच्चों में यह जन्म के कुछ समय बाद ही स्पष्ट हो जाता है, खासकर जब वे घुटनों के बल चलने या गिरने लगते हैं।
विश्व हीमोफीलिया दिवस का महत्व (Haemophilia Significance)
सन् 2000 में किए गए एक अनुमान के अनुसार, विश्वभर में लगभग 4 लाख लोग—अर्थात हर 10,000 जीवित जन्मों में से एक—हीमोफीलिया जैसे रक्तस्राव विकार से प्रभावित थे। इनमें से मात्र 25% लोगों को ही उचित और प्रभावी उपचार उपलब्ध हो पाया था।
हालाँकि, वर्ष 2019 में प्रकाशित एक विस्तृत मेटा-विश्लेषण ने इस आँकड़े को और भी गंभीर रूप में प्रस्तुत किया। इस अध्ययन के अनुसार, वंशानुगत रक्तस्राव विकारों से ग्रस्त पुरुषों की वास्तविक संख्या करीब 11.25 लाख है, जो पहले के अनुमानों से कहीं अधिक है।
स्थिति और भी चिंताजनक तब हो जाती है जब यह पता चलता है कि उच्च आय वाले देशों में भी केवल 15% वैश्विक जनसंख्या को ही हीमोफीलिया का प्रभावी उपचार सुलभ है। जबकि निम्न और मध्यम आय वर्ग के देशों में उपचार के अभाव, निदान की सीमित पहुँच और जागरूकता की कमी के कारण मृत्यु दर और बीमारी की गंभीरता कहीं अधिक पाई जाती है।
इस पृष्ठभूमि में, वर्ष 2025 में विश्व हीमोफीलिया दिवस अपनी 31वीं वर्षगांठ मना रहा है। इस दिवस का मूल उद्देश्य है—समाज, सरकार और नीति-निर्माताओं का ध्यान इस विकार की गंभीरता की ओर आकर्षित करना और रक्तस्राव संबंधी बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बेहतर उपचार, रोकथाम और नियंत्रण सुनिश्चित करना। यह दिन जनसामान्य को प्रोत्साहित करता है कि वे हीमोफीलिया से प्रभावित लोगों की आवाज़ बनें, उनके अधिकारों की रक्षा करें और इस वैश्विक स्वास्थ्य संकट के समाधान हेतु सामूहिक सहयोग प्रदान करें।
हीमोफीलिया का कारण (Haemophilia Causes)
हीमोफीलिया मुख्यतः एक वंशानुगत बीमारी है। यह X क्रोमोसोम से जुड़ी बीमारी है, जो अधिकतर पुरुषों को प्रभावित करती है जबकि महिलाएं इसके वाहक होती हैं। इसका मतलब यह हुआ कि माँ के माध्यम से यह बीमारी बेटे में आ सकती है।हालांकि कुछ मामलों में यह बीमारी म्युटेशन (Gene Mutation) के कारण भी हो सकती है, जहां परिवार में इस रोग का कोई इतिहास नहीं होता।
निदान और परीक्षण (Haemophilia Diagnosis and Testing)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
हीमोफीलिया के निदान के लिए निम्नलिखित परीक्षण किए जाते हैं:-
क्लॉटिंग फैक्टर टेस्ट (Factor Assay): यह विशेष रूप से यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि कौन सा फैक्टर अनुपस्थित या कम है।
PT और aPTT टेस्ट: खून जमने की समयसीमा को मापने के लिए।
जेनेटिक टेस्टिंग: वंशानुगत कारणों की पुष्टि के लिए।
गर्भावस्था के दौरान भी गर्भस्थ शिशु में हीमोफीलिया की संभावना को देखकर जांच की जा सकती है।
उपचार (Haemophilia Treatment In Hindi)
हीमोफीलिया का कोई स्थायी इलाज नहीं है लेकिन इसे नियंत्रित किया जा सकता है। आधुनिक चिकित्सा के तहत:-
फैक्टर रिप्लेसमेंट थेरेपी (Factor Replacement Therapy): फैक्टर VIII या IX को बाहरी रूप से शरीर में इंजेक्ट किया जाता है।
प्रोफाइलेक्टिक थेरेपी: नियमित रूप से फैक्टर दिया जाता है ताकि रक्तस्राव की संभावना कम रहे।
हेमोस्टेटिक एजेंट्स: जो खून को तेजी से जमाने में मदद करते हैं।
दर्द निवारक और फिजियोथेरेपी: मांसपेशियों और जोड़ों में सूजन और दर्द के इलाज के लिए।
वर्ष 2025 में विश्व हीमोफीलिया दिवस की थीम है (Haemophilia Day Theme 2025)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
"सभी के लिए पहुँच: महिलाओं और लड़कियों को भी रक्तस्राव होता है"।
यह थीम विशेष रूप से उन महिलाओं और लड़कियों की ओर ध्यान आकर्षित करती है जो रक्तस्राव विकारों से प्रभावित हैं, परंतु जिन्हें अक्सर उचित रूप से न तो पहचाना जाता है और न ही समुचित उपचार मिल पाता है। ऐसे मामलों में निदान की दर कम होती है और देखभाल की पहुँच सीमित रहती है।
इस वर्ष की थीम का उद्देश्य स्पष्ट है— रक्तस्राव विकारों से पीड़ित प्रत्येक महिला और लड़की को समान स्वास्थ्य सेवाएं और उपचार उपलब्ध कराना, ताकि वे भी गुणवत्तापूर्ण जीवन जी सकें और इस चुनौती से सम्मानजनक रूप से जूझ सकें। यह एक समावेशी स्वास्थ्य दृष्टिकोण की आवश्यकता को रेखांकित करता है, जिसमें लिंग के आधार पर भेदभाव के बिना हर व्यक्ति को देखभाल का अधिकार प्राप्त हो।
भारत में हीमोफीलिया का परिदृश्य (Hemophilia Scenario In India)
(फोटो साभार- सोशल मीडिया)
वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया (WFH) द्वारा 2017 में प्रकाशित वार्षिक वैश्विक सर्वेक्षण के अनुसार, उस वर्ष विश्वभर में हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्तियों की संख्या लगभग 1.96 लाख थी। इन आँकड़ों में भारत शीर्ष स्थान पर रहा, जहाँ लगभग 19,000 मामलों की आधिकारिक पुष्टि की गई थी।
हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह संख्या असल में काफी अधिक हो सकती है। भारत जैसे विशाल और विविधतापूर्ण देश में लगभग 80% हीमोफीलिया के मामले अब भी पंजीकृत नहीं हैं, जिससे वास्तविक आँकड़ा दो लाख के करीब होने का अनुमान है। यह परिदृश्य स्वास्थ्य प्रणाली की पहुँच, जागरूकता की कमी और सीमित संसाधनों की ओर संकेत करता है।
हीमोफीलिया का उपचार
हालांकि हीमोफीलिया का पूर्णत: इलाज वर्तमान में उपलब्ध नहीं है, परंतु विभिन्न चिकित्सकीय उपायों के माध्यम से इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। निम्नलिखित उपचार पद्धतियाँ इस दिशा में सहायक हैं:
यह उपचार प्लाज्मा का वह घटक है जिसमें थक्के बनाने वाले प्रमुख कारकों— फैक्टर VIII, वॉन विलेब्रांड फैक्टर और फाइब्रिनोजेन—की उच्च मात्रा पाई जाती है। इसे धीरे-धीरे जमा करके और पुनः पिघलाकर प्राप्त किया जाता है, जिससे आवश्यक प्रोटीन अलग हो जाते हैं।
यह विशेषकर आपातकालीन स्थितियों में उपयोगी होता है।
यह प्लाज्मा रक्तदान के तुरंत बाद अलग किया जाता है और इसमें सभी थक्के कारक मौजूद होते हैं, जैसे— फैक्टर V, VIII, IX और फाइब्रिनोजेन। FFP का उपयोग रक्तस्राव रोकने के लिए किया जाता है और यह कुछ खास परिस्थितियों में विशेषकर उपयोगी होता है, जहाँ फैक्टर केंद्रों की उपलब्धता सीमित हो।
यह हीमोफीलिया का सबसे आम और प्रभावशाली उपचार है। इसमें कृत्रिम रूप से तैयार थक्के कारकों को रक्त में इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है, जिससे रक्तस्राव रोका या रोका जा सकता है।इस उपचार को दो प्रकारों में दिया जाता है: ऑन-डिमांड थेरेपी – जब रक्तस्राव हो रहा हो।प्रोफिलैक्टिक थेरेपी रक्तस्राव की संभावनाओं को पहले से ही कम करने के लिए नियमित रूप से।यह एक सिंथेटिक दवा है जो शरीर में मौजूद स्टोर थक्के कारकों को रक्त प्रवाह में छोड़ने में सहायक होती है।यह उपचार मुख्यतः हल्के हीमोफीलिया ए वाले मरीजों के लिए उपयुक्त है और अक्सर नाक के स्प्रे या इंजेक्शन के रूप में दिया जाता है।
यह भविष्य का इलाज मानी जा रही तकनीक है। इसका उद्देश्य उस आनुवंशिक दोष को ठीक करना है जो हीमोफीलिया का कारण बनता है।हाल के कुछ नैदानिक परीक्षणों में उल्लेखनीय सफलता प्राप्त हुई है, जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि आने वाले वर्षों में यह स्थायी इलाज के रूप में सामने आ सकता है।
बार-बार रक्तस्राव के कारण जोड़ो में होने वाली सूजन और क्षति को रोकने के लिए भौतिक चिकित्सा बहुत आवश्यक है। यह मरीजों को चलने-फिरने में मदद देती है और जीवन की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है।
हीमोफीलिया से पीड़ित व्यक्तियों को कुछ दवाओं, जैसे:एस्पिरिन,नॉन-स्टेरायडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स (NSAIDs) से सावधानीपूर्वक बचना चाहिए, क्योंकि ये दवाएं रक्त को पतला कर देती हैं और रक्तस्राव को बढ़ा सकती हैं।
भारत को क्या करने की आवश्यकता है?
सभी मरीजों की पहचान और रिकॉर्डिंग के लिए एक केंद्रीकृत राष्ट्रीय डेटाबेस होना चाहिए।थक्के कारक (Factors) को रोगियों को मुफ्त या सब्सिडी दर पर उपलब्ध कराना आवश्यक है। हीमोफीलिया के लक्षणों, निदान और उपचार के बारे में आम जनता, खासकर ग्रामीण समुदायों में जागरूकता फैलाना जरूरी है. हर ज़िले में न्यूनतम एक उपचार केंद्र होना चाहिए, जहाँ प्रशिक्षित स्टाफ, दवाएं और फैक्टर उपलब्ध हों।जैसे वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया भारत के कई राज्यों में कार्यक्रम चला रही है, वैसे सहयोग से मरीजों को बेहतर सुविधा मिल सकती है।
विश्व हीमोफीलिया दिवस केवल एक दिन नहीं है, यह एक आंदोलन है – चिकित्सा, मानवीय करुणा और सहयोग का। यह हमें याद दिलाता है कि हीमोफीलिया जैसी गंभीर बीमारी से लड़ने के लिए समाज के हर वर्ग को एकजुट होना होगा। आज आवश्यक है कि हम सिर्फ सहानुभूति न रखें, बल्कि सक्रिय रूप से ऐसे मरीजों की सहायता करें। सरकार, चिकित्सक, समाजसेवी और आम नागरिक – सभी को मिलकर एक ऐसा भविष्य बनाना चाहिए जिसमें हीमोफीलिया से ग्रसित कोई भी व्यक्ति असहाय न रहे।
"हीमोफीलिया की लड़ाई कठिन है, लेकिन साथ मिलकर इसे जीता जा सकता है।"