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यहां की सरकार रोज देती है बकरी की बलि, कोर्ट ने दिया बड़ा फैसला
समाज में सुधार लाने के लिए सभी कुरीतियों को खत्म करने के लिए बदलाव लाना राज्य की जिम्मेदारी है । ऐसी प्रथाओं का हिस्सा बनने की बजाय, राज्य को मंदिरों में जानवरों की बलि के खिलाफ कानून लाना चाहिए क्योंकि यह व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के खिलाफ है ।
त्रिपुरा: ऐसा मंदिर जहां 500 साल पुरानी प्रथा पर रोक लग गई है । ये मंदिर है माता त्रिपुरेश्वरी का जहां हर दिन इस मशहूर ‘शक्तिपीठ’ में राज्य सरकार की तरफ से एक बकरी की बलि दी जाती है ।
हाई कोर्ट ने हिंदू मंदिरों में जानवरों की बलि पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है । 72 पन्नों के अपने आदेश में, चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस अरिंदम लोढ़ की बेंच ने कहा कि अन्य मंदिरों की तरह, त्रिपुरेश्वरी मंदिर की नियमित गतिविधियों में सरकार की भूमिका सीमित है ।
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सरकारी पैसे का इस्तेमाल मंदिर में रोज एक बकरी की बलि देने के लिए करना संविधान के खिलाफ
बेंच का ये भी कहना है कि सरकारी पैसे का इस्तेमाल मंदिर में रोज एक बकरी की बलि देने के लिए करना संविधान के अनुच्छेद 25(2)(a) में बताई गई सेकुलर गतिविधि के तहत नहीं आता ।
कोर्ट ने आगे कहा कि समाज में सुधार लाने के लिए सभी कुरीतियों को खत्म करने के लिए बदलाव लाना राज्य की जिम्मेदारी है । ऐसी प्रथाओं का हिस्सा बनने की बजाय, राज्य को मंदिरों में जानवरों की बलि के खिलाफ कानून लाना चाहिए क्योंकि यह व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के खिलाफ है ।
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हाई कोर्ट ने मुख्य सचिव और सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को निर्देश दिया है त्रिपुरा के उन मंदिरों में CCTV कैमरा लगाए जाएं, जहां बलि दी जाती है ।
अदालत में नहीं चले त्रिपुरा सरकार के तर्क
त्रिपुरा सरकार ने भारत में शामिल होने की शर्तों का हवाला दिया था. इनमें कहा गया था कि सरकार माता त्रिपुरेश्वरी के और अन्य मंदिरों की परंपरागत ढंग से पूजा करेगी । सरकार का तर्क था, चूंकि ऐसी प्रथा (जानवरों की बलि) स्वतंत्रता के पहले, महाराजा के समय से जारी थी और घरेलू जानवर की बलि पूजा का हिस्सा है, यह अभी भी होता है और इसे रोका नहीं जा सकता ।
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एडवोकेट सुभाष भट्टाचर्जी की PIL में खामी निकालते हुए त्रिपुरा सरकार ने कहा कि याचिका में कहीं भी ‘बकरीद के दौरान मुस्लिम समुदाय की ओर से जानवरों की बलि को कोई चुनौती नहीं दी गई है ।’ सरकार ने आरोप लगाया कि याचिका का मकसद सिर्फ हिंदुओं की भावनाओं को आहत करना है ।
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