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बदलाव की बयार या कुछ और! जदयू नेता फिरोज ने लगाए 'जय श्रीराम' के नारे
पटना : बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में नवगठित सरकार को विश्वासमत हासिल हो जाने के बाद जनता दल (युनाइटेड) के नेता खुर्शीद उर्फ फिरोज अहमद विधानसभा परिसर में 'जय श्रीराम' के नारे लगाते दिखे। इस पर अचानक सत्ता पाए भाजपा विधायकों को गदगद और मुस्कराते देखे गए। पूर्व गन्ना मंत्री फिरोज ने कहा, "अगर जय श्रीराम के नारे लगाने से बिहार की दस करोड़ जनता का फायदा होता है, तो मैं सुबह-शाम जयश्री राम कहूंगा।"
उन्होंने कहा, "हमारे इस्लाम में नफरत करने की कोई जगह नहीं है, इस्लाम की बुनियाद मोहब्बत और प्रेम का होता है। मैं रहीम के साथ राम को भी पूजता हूं, खुदा आत्मा में बसते हैं।"
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बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले के सिकटा विधानसभा क्षेत्र से विधायक फिरोज का मानना है कि किसी भी धर्म या जाति की अवाम को बचाने के लिए सूली पर भी चढ़ना पड़े तो चढ़ना चाहिए, इस्लाम यही सिखाता है।
फिरोज ने अपने हाथ में बंधा रक्षासूत्र दिखाते हुए कहा, "धर्म आत्मा में होता है, मैंने लगभग सभी धार्मिक स्थलों पर माथा टेका है और मैं सभी धर्मो को मानता हूं। मैं राम की पूजा करता हूं और रहीम को भी मानता हूं।"
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उन्होंने आगे कहा, "मैं अब तक विभिन्न क्षेत्रों में 25 मंदिरों का निर्माण करवा चुका हूं। छठ पर्व के मौके पर हजारों सूप और टोकरी का नि:शुल्क वितरण मैं करवाता हूं।"
उनका कहना है कि धर्म आस्था का प्रतीक है और किसी भी धर्म में जनहित, राज्यहित और देशहित की बात कही गई है।
जदयू नेता फिरोज अहमद के मुंह से 'जय श्रीराम' सुनना उनके भाजपा वाले साथियों को जरूर खुश कर गया, लेकिन फिरोज की 'नेक नीयत' उन्हें शायद ही पसंद आए, क्योंकि धर्म के नाम पर नफरत ही भाजपा की सियासत की बुनियाद रही है। आजादी से पहले और बाद के सैकड़ों उदाहरण हैं। फिरोज शायद गुजरात व अन्य राज्यों के दंगों को भूल चुके हैं। वह अब शायद गोरक्षकों को भी माफ कर देंगे।
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