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जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में दो डिफेंस इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन कॉरीडोर
नई दिल्ली : वित्त मंत्री अरुण जेटली में संसद में आम बजट 2018-19 पेश करते हुए रक्षा क्षेत्र के लिए कोई महत्वपूर्ण घोषणा नहीं की। सिर्फ इतना संकेत दिया कि रक्षा क्षेत्र के लिए पर्याप्त बजट सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता रहेगी। वैसे, रक्षा बजट में मात्र दो फीसदी की वृद्धि की गयी है। अगर कहा जाए कि रक्षा मंत्रालय को क्या मिला तो सिर्फ इतना कि जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में दो डिफेंस इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन कॉरीडोर की स्थापना की जाएगी।
बजट पेश करते हुए जेटली ने कहा कि पिछले साढ़े तीन वर्षों में रक्षा बलों के आधुनिकीकरण और कार्य क्षमताओं में वृद्धि पर सरकार का जोर रहा है। उन्होंने देश की सीमाओं पर मिलने वाली चुनौतियों से निपटने और जम्मू कश्मीर तथा पूर्वोत्तर भारत में आंतरिक सुरक्षा को बनाए रखने में सैन्य बलों की भूमिका कि प्रशंसा की। इसके अलावा बताया गया कि देश में रक्षा उत्पादन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं, ताकि रक्षा जरूरतों के मामले में देश आत्मनिर्भर बन सके।
जेटली ने कहा कि रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को उदार बनाने के साथ-साथ निजी निवेश के लिए द्वार खोल दिए गए है। सरकार देश में दो रक्षा औद्योगिक उत्पादन गलियारों के विकास के लिए कदम उठाएगी। उन्होंने कहा कि सरकार औद्योगिक उद्योगों के अनुकूल रक्षा उत्पादन नीति 2018 लेकर आएगी ताकि सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और मध्यम लघु सूक्ष्म उद्योगों द्वारा घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित किया जा सके। इसके इतर सरकार ने रक्षा बजट में बेहद मामूली वृद्धि करते हुए उसे दो लाख 67 हजार करोड़ रुपये से बढ़ाकर दो लाख 82 हजार करोड़ रुपये कर दिया है।
वित्तमंत्री ने कहा कि सरकार 2018 में उद्योग अनुकूल रक्षा उत्पादन नीति लाने जा रही है, जिसके जरिए सार्वजनिक क्षेत्र, निजी क्षेत्र और एमएसएमई द्वारा घरेलू उत्पादन को बढ़ावा दिया जाएगा। उन्होंने कहा, जब राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) सरकार सत्ता में आई तब रक्षा बलों की क्षमता को बेहतर और आधुनिक बनाने के लिए काफी जोर दिया गया। हमारी रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए देश को आत्मनिर्भर बनाने और प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को पर्याप्त बजट समर्थन सुनिश्चित करने में सक्षम आंतरिक सुरक्षा उत्पादन को विकसित और पोषण करने के लिए कई पहलें की गई हैं। उन्होंने कहा, रक्षा उत्पादन में हमने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को उदार बनाने समेत निजी निवेश को मंजूरी दी है।
गौरतलब है कि पिछली बार वित्त मंत्री ने देश के रक्षा बजट के लिए 2,74,114,12 करोड़ रुपये का आवंटन किया था। जो कि 2016-17 के मुकाबले 2017-18 में केवल छह फीसद बढ़ाया गया था। इस बार तो केवल दो फीसद ही बढ़ा है। हालांकि इस आवंटन में डिफेंस पेंशन को शामिल नहीं किया गया था। हथियारों की खरीद के लिए इसमें 86,488 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था जबकि पिछले वित्त वर्ष यानी 2015-16 में यह रकम 78,586 करोड़ रुपये थी।
गौरतलब है कि रक्षा मंत्रालय की समिति देश के जीडीपी के मुकाबले बजट को 2.5 फीसदी रखने की सिफारिश कर चुकी है ताकि हथियारों की कमी और उसकी खरीद में तेजी लाई जा सके। पिछले साल का रक्षा बजट देश के कुल जीडीपी का 1.62 फीसदी था। रक्षा मंत्रालय की समिति में सरकार की पिछली बार भी काफी आलोचना की थी कि इससे रक्षा तैयारियों पर असर पड़ता है।
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