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भगवान विष्णु पर टिप्पड़ी कर बुरे फंसे CJI गवई, VHP ने दी नसीहत, सोशल मीडिया पर बवाल
भगवान विष्णु पर टिप्पणी को लेकर CJI बीआर गवई विवादों में, VHP ने दी नसीहत और सोशल मीडिया पर मचा बवाल। जानिए पूरा मामला और CJI की सफाई।
CJI Gavai lord Vishnu controversy: खजुराहो के प्रसिद्ध जावरी मंदिर में भगवान विष्णु की खंडित मूर्ति की मरम्मत से जुड़े एक मामले की सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस बीआर गवई की एक टिप्पणी पर सोशल मीडिया और विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने जमकर बवाल मचाया था। अब इस मामले में खुद चीफ जस्टिस गवई ने सफाई दी है, जिसमें उन्होंने कहा कि उनके बयान को सोशल मीडिया पर गलत तरीके से पेश किया गया। यह पूरा मामला दिखाता है कि कैसे सोशल मीडिया पर बिना सोचे-समझे दी गई प्रतिक्रियाएं एक बड़े विवाद का रूप ले सकती हैं।
क्या थी वह 'विवादास्पद' टिप्पणी?
सुनवाई के दौरान, चीफ जस्टिस गवई ने याचिकाकर्ता को यह कहते हुए फटकार लगाई थी कि "आपकी अर्जी जनहित याचिका नहीं है, बल्कि प्रचार याचिका है।" उन्होंने आगे कहा था, "यदि आप भगवान विष्णु के इतने कट्टर भक्त हैं, तो फिर उन्हीं से प्रार्थना कीजिए।" उनकी इसी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर वायरल किया गया और उन्हें हिंदू आस्था का अपमान करने वाला बताया गया। इस पर, विश्व हिंदू परिषद के कार्यकारी अध्यक्ष आलोक कुमार ने चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखकर कहा था कि "मुख्य न्यायाधीश की मौखिक टिप्पणी ने हिन्दू धर्म की आस्थाओं का उपहास उड़ाया है।" उन्होंने यह भी नसीहत दी थी कि "जजों को भी अपनी वाणी पर संयम रखना होगा।"
CJI की 'सफाई' और 'सॉलिसिटर जनरल' का 'समर्थन'
बढ़ते विवाद को देखते हुए, चीफ जस्टिस गवई ने खुद इस पर बयान दिया। उन्होंने कहा, "मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं। मेरे बयान को सोशल मीडिया पर गलत ढंग से पेश किया गया।" उन्होंने यह भी कहा कि अगले दिन उन्हें किसी ने बताया कि उनकी टिप्पणी को सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है।सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने भी चीफ जस्टिस का बचाव करते हुए कहा कि वे उन्हें पिछले 10 सालों से जानते हैं और वे हर धार्मिक स्थल पर जाते हैं और सभी का आदर करते हैं। मेहता ने कहा कि यह एक गंभीर मसला है और आज के समय में हर एक्शन पर सोशल मीडिया में गलत रिएक्शन होता है।
'सोशल मीडिया ट्रायल' पर 'बड़ी' बहस
यह मामला सिर्फ एक टिप्पणी का नहीं, बल्कि आज के समाज में चल रहे 'सोशल मीडिया ट्रायल' का एक बड़ा उदाहरण है। बिना संदर्भ समझे किसी के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश करना और उस पर लोगों का गुस्सा भड़काना एक गंभीर मुद्दा है। वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने भी कहा कि "ऐसी चीजों का सामना तो हम हर दिन करते हैं। इस तरह किसी को बदनाम नहीं किया जा सकता।" यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम बिना सोचे-समझे किसी भी वायरल खबर पर प्रतिक्रिया दे रहे हैं, और क्या यह प्रवृत्ति हमारे समाज में न्याय और सद्भाव के लिए खतरा बन रही है।
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