संसद भवन बंद कर दो... सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से भड़के बीजेपी सांसद, जानिये क्या है मामला

गुरुवार को वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में लगभग एक घंटे तक सुनवाई चली। कोर्ट ने कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए केंद्र से सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके बाद याचिकाकर्ता पांच दिनों के भीतर अपनी प्रतिक्रिया देंगे। अगली सुनवाई 5 मई को होगी।

Newstrack          -         Network
Published on: 19 April 2025 4:42 PM IST
संसद भवन बंद कर दो... सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से भड़के बीजेपी सांसद, जानिये क्या है मामला
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Nishikant Dubey (Photo:  Social Media)

Waqf Act Controversy: वक्फ संशोधन कानून को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो चुकी है, लेकिन इसके साथ ही राजनीतिक गलियारों में भी इस पर गर्मा-गर्म बहस छिड़ गई है। गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केंद्र सरकार से सात दिन के भीतर जवाब मांगा है, लेकिन इसी बीच झारखंड के गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे का तीखा बयान सामने आया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "अगर कानून सुप्रीम कोर्ट को ही बनाना है, तो संसद भवन को बंद कर देना चाहिए।"


रिजिजू और धनखड़ ने भी दी अपनी प्रतिक्रिया

निशिकांत दुबे के बयान से पहले भी इस मुद्दे पर कई अहम नेता अपनी बात रख चुके हैं। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी न्यायपालिका की भूमिका पर सवाल उठाए थे। रिजिजू ने कहा था, "विधायिका और न्यायपालिका को एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए। अगर कल को सरकार न्यायपालिका में दखल देने लगेगी, तो वह भी उचित नहीं होगा। हमारे संविधान में शक्तियों का बंटवारा स्पष्ट रूप से किया गया है।"

सुप्रीम कोर्ट ने जताई कुछ प्रावधानों पर आपत्ति

गुरुवार को वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में लगभग एक घंटे तक सुनवाई चली। कोर्ट ने कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए केंद्र से सात दिनों के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। इसके बाद याचिकाकर्ता पांच दिनों के भीतर अपनी प्रतिक्रिया देंगे। अगली सुनवाई 5 मई को होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने इस बीच आदेश दिया है कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति और वक्फ संपत्तियों में किसी तरह का बदलाव न किया जाए।

उपराष्ट्रपति ने भी उठाया सवाल

इससे पहले उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 142 को लेकर भी चिंता जताई थी। उन्होंने कहा, "भारत में ऐसी स्थिति नहीं होनी चाहिए जहां न्यायपालिका राष्ट्रपति को निर्देश दे। अनुच्छेद 142 अब लोकतांत्रिक संस्थाओं के खिलाफ न्यायपालिका की परमाणु मिसाइल बन गया है।"

धनखड़ ने यह भी जोड़ा कि सुप्रीम कोर्ट को केवल अनुच्छेद 145(3) के तहत ही संविधान की व्याख्या करने का अधिकार है, और वह भी तभी जब कम से कम पांच या उससे अधिक न्यायाधीशों की पीठ हो।

उनका यह बयान उस समय आया जब सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु राज्यपाल बनाम तमिलनाडु सरकार के मामले में फैसला दिया था। इस मामले में राज्य सरकार ने राज्यपाल पर 10 विधेयकों को मंजूरी न देने का आरोप लगाया था।

Shivam Srivastava

Shivam Srivastava

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