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भले मिग-35 उड़ाने में आसान हो, लेकिन युद्धक गतिविधियां अधिक चुनौतीपूर्ण
मॉस्को : मिग-35 की आधुनिक प्रौद्योगिकी और प्रणालियां इस विमान को उड़ाने को आसान बना सकती हैं, लेकिन इसके कारण अधिक जटिल कार्य भी पैदा हो रहे हैं। ऐसा एमएकेएस एयरोस्पेस एक्जिबिशन में नई पीढ़ी के मिग-35 विमान को उड़ाने वाले पायलट का कहना है।
पहली बार सार्वजनिक तौर पर मिग-35 में उड़ान भरने वाले प्रमुख परीक्षण पॉयलट बेलयेव मिखाइल से विमान के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा कि यह मिग-29 के ही समान है, जिसे भारतीय वायुसेना और भारतीय नौसेना संचालित करती है, लेकिन यह उससे ज्यादा उन्नत है। बेलयेव को स्टॉर ऑफ द हीरो ऑफ रसिया सम्मान प्राप्त है। यह रूसी संघ की सर्वोच्च मानद उपाधि है।
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एयरशो से इतर मिखाइल ने कहा, "इसमें नए इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व नई हथियार प्रणाली है। यह हवा से हवा, हवा से जमीन और हवा से समुद्र में मार करने वाली मिसाइलों से लैस है।"
मिग-29 से तुलना करते हुए उन्होंने कहा, "इसमें एक नया एयरफ्रेम, फ्लाई बाई वायर नियंत्रण, ग्लास कॉकपिट व नाइट विजन वाले चश्मे हैं। यह हवा में ही ईंधन भरने में सक्षम है।"
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यह पूछे जाने पर कि मिग-29 की तुलना में मिग-35 में उड़ान भरना आसान था? उन्होंने कहा, "मिग-29 पॉयलट के लिए मूल बातें एक समान हैं, लेकिन इसके अनुकूलन में थोड़ा समय लगेगा। आधुनिक युद्ध अधिक जटिल है। लड़ाकू विमानों के ज्यादा उन्नत हो जाने के साथ, काम बढ़ जाते हैं, जिन्हें करना होता है।"
उन्होंने कहा, "नई प्रणाली इसे उड़ाने में आसान बनाती है, लेकिन इसके बाद युद्ध के कार्य ज्यादा चुनौतीपूर्ण हो जाते हैं। इस विमान के अस्तित्व में आने से नए कार्य पैदा हुए हैं, इसके जरिए अधिक जटिल युद्धक कार्य किए जा सकते हैं।"
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