Coronavirus Vaccine: दुनिया की पहली नेजल वैक्सीन है iNCOVACC, जानें कैसे ये अलग है कोवीशील्ड और कोवैक्सीन से

Coronavirus Vaccine: नेजल वैक्सीन सामान्य तौर पर बूस्टर डोज के तौर पर या प्राथमिक डोज के तौर पर लगाया जा सकता है। जबकि कोवैक्सीन और कोवीशील्ड दोनों वैक्सीन को लेने वाले नेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के रूप में ले सकते हैं।

Anant kumar shukla
Published on: 26 Jan 2023 8:58 PM IST
iNCOVACC is the world first nasal vaccine
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iNCOVACC is the world first nasal vaccine (Social Media)

Coronavirus Vaccine: गणतंत्र दिवस के अवसर भारत बायोटेक की नेजल कोरोना वैक्सीन लांच की गई। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया और विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस वैक्सीन को लॉन्च किया। इस वैक्सीन का नाम iNCOVACC है। इसे स्वदेशी वैक्सीन निर्माता कंपनी भारत बायोटेक ने बनाया है। पिछले साल दिसंबर में भारत कंपनी ने घोषणा घोषणा किया था कि वह इस वैक्सीन को सरकार को मात्र 325 रुपये प्रति शॉट, जबकी निजी टीकाकरण केंद्रों को 800 रुपये प्रति शॉट के हिसाब से बेचेगी।

iNCOVACC व पहले से मौजूद अन्य वैक्सीन में अंतर

  • नेजल वैक्सीन ऐसी वैक्सीन होती है जिसे सीधे नाक के जरिए दिया जाता है। इसे किसी को भी बड़े आसानी से दिया जा सकता है। इसे इंट्रानेजल वैक्सीन कहा जाता है। किसी को नेजल वैक्सीन का डोज लगाने के लिए इंजेक्शन लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। जिन लोगों को सूई से डर लगता है उनके लिए राहत भरी खबर है।
  • नेजल वैक्सीन सामान्य तौर पर बूस्टर डोज के तौर पर या प्राथमिक डोज के तौर पर लगाया जा सकता है। जबकि कोवैक्सीन और कोवीशील्ड दोनों वैक्सीन को लेने वाले नेजल वैक्सीन को बूस्टर डोज के रूप में ले सकते हैं।
  • नेजल वैक्सीन संक्रमण और ट्रांसमिशन के विरूद्ध भी बहुत असरदार साबित होगी। इसका डोज नाक के माध्यम से दिया जाता है। इस लिए यह सीधे उसी जगह असर करेगी जहां कोरोना वायरस सबसे तेज फैलता है। इस लिए माना जा रहा है कि यह पहले की वैक्सीन की तुलना में ज्यादा असरदार होगा। नेजल वैस्कीन के आ जाने से इंजेक्शन के माध्यम से फैलने वाले संक्रमण का खतरा भी कम हो जाएगा।
  • नेजल वैक्सीन का सबसे अधिक फायदा यह है कि इसका डोज देने के लिए कर्मचारियों को किसी प्रकार की ट्रेनिंग की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके अलावा इसके स्टोरेज कज स्टोरेज की समस्या अन्य वैक्सीन की तुलना में कम होगी। जिन वैक्सीन को अभी तक लगाया जा रहा है, उसके भंडारण के लिए सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी।
  • इसके पहले आने वाले वैक्सीन की एक शीशी में कई डोज होते हैं। जो कि एक बार खुलने के बाद ज्यादा देर तक नहीं रखा जा सकता। नेजल वैक्सीन आ जाने से वैक्सीन की बर्बादी भी कम होगी। इस वैक्सीन को नाक के माध्यम से डाला जाएगा जिससे नाक से फैलने वाले संक्रमण का खतरा भी कम हो जाएगा।
Anant kumar shukla

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Content Writer

अनंत कुमार शुक्ल - मूल रूप से जौनपुर से हूं। लेकिन विगत 20 सालों से लखनऊ में रह रहा हूं। BBAU से पत्रकारिता में पोस्ट ग्रेजुएशन (MJMC) की पढ़ाई। UNI (यूनिवार्ता) से शुरू हुआ सफर शुरू हुआ। राजनीति, शिक्षा, हेल्थ व समसामयिक घटनाओं से संबंधित ख़बरों में बेहद रुचि। लखनऊ में न्यूज़ एजेंसी, टीवी और पोर्टल में रिपोर्टिंग और डेस्क अनुभव है। प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काम किया। रिपोर्टिंग और नई चीजों को जानना और उजागर करने का शौक।

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