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Delhi Assembly Election 2025: बिजवासन में कड़े मुकाबले में फंसे कैलाश गहलोत, कांग्रेस और आप ने मुकाबले को त्रिकोणीय बनाया

Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली के बिजवासन सीट पर सबकी निगाहें इसलिए भी लगी हुई हैं क्योंकि यहां पर आप सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे कैलाश गहलोत चुनाव लड़ रहे हैं।

Anshuman Tiwari
Published on: 2 Feb 2025 12:43 PM IST (Updated on: 2 Feb 2025 12:49 PM IST)
BJP Kailash Gehlot, Delhi Election 2025
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BJP Kailash Gehlot (Photo: Social Media)

Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली के विधानसभा चुनाव में जिन सीटों पर कड़ा मुकाबला हो रहा है,उनमें बिजवासन सीट भी शामिल है। इस सीट पर सबकी निगाहें इसलिए भी लगी हुई हैं क्योंकि यहां पर आप सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे कैलाश गहलोत चुनाव लड़ रहे हैं। आप से इस्तीफा देने के बाद वे इस बार भाजपा के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं।

कांग्रेस ने इस क्षेत्र से विधायक रह चुके कर्नल देवेंद्र सहरावत को चुनाव मैदान में उतारकर गहलोत की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सुरेंद्र भारद्वाज अपनी पार्षद पत्नी पूनम भारद्वाज की ओर से किए गए कामों के आधार पर वोट मांग रहे हैं। इस क्षेत्र में तीनों दलों की ओर से मजबूत उम्मीदवार उतार देने के कारण त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद जताई जा रही है।

केजरीवाल पर हमलावर गहलोत

कैलाश गहलोत आम आदमी पार्टी के दमदार नेता रहे हैं और उन्होंने पिछले साल नवंबर में पार्टी से इस्तीफा देने के बाद भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। वे आतिशी की सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और उनका इस्तीफा आप के लिए बड़ा झटका माना गया था। आप से इस्तीफा देते समय गहलोत ने शीशमहल और यमुना की सफाई का मुद्दा उठाते हुए अरविंद केजरीवाल को घेरा था।

गहलोत का कहना था कि दिल्ली सरकार अपना अधिकांश समय केंद्र सरकार से लड़ने में बिताती है और ऐसे में दिल्ली का विकास कभी नहीं हो सकता। बाद में भाजपा ने गहलोत को बिजवासन क्षेत्र में उतार कर केजरीवाल के जख्मों पर नमक छिड़कने का काम किया था।

कैलाश गहलोत

अच्छी छवि को भुनाने की कोशिश

जाट बिरादरी से ताल्लुक रखने वाले गहलोत नजफगढ़ विधानसभा सीट से 2015 और 2020 में चुनाव जीत चुके हैं। आप से इस्तीफा देते वक्त उनका कहना था कि मेरे पास भाजपा में जाने के सिवा कोई विकल्प नहीं बचा था। भाजपा ने इस बार बिजवासन विधानसभा सीट से गहलोत को उतार कर आप को चुनौती देने की कोशिश की है।

आप नेता और मंत्री के रूप में गहलोत की अच्छी छवि रही है। आप सरकार में उनके पास कई मंत्रालय थे और परिवहन मंत्री के रूप में उनकी छवि काफी बेहतर रही है। वे इस चुनाव क्षेत्र में अपनी छवि के आधार पर वोट मांग रहे हैं। उन्हें अपनी बिरादरी का भी अच्छा खासा समर्थन हासिल हो रहा है।

कैलाश गहलोत

कांग्रेस और आप से मिल रही कड़ी चुनौती

दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी कर्नल देवेंद्र सहरावत को भी मजबूत उम्मीदवार माना जा रहा है। 2014 के लोकसभा चुनाव में वे आम आदमी पार्टी के टिकट पर दक्षिण दिल्ली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ चुके हैं। उस समय उन्होंने 4 लाख से अधिक वोट हासिल किए थे। 2015 में उन्होंने आप के टिकट पर इस क्षेत्र से चुनाव जीता था।

विधायक के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने क्षेत्र में कई काम कराए थे और अब वे अपने कामों के आधार पर क्षेत्र के लोगों से वोट देने की अपील कर रहे हैं। क्षेत्र में पानी की समस्या का निदान करने के लिए उन्होंने काफी प्रयास किया था और ऐसे में उनकी दावेदारी को भी मजबूत माना जा रहा है।

2020 में इस सीट से आम आदमी पार्टी के बीएस जून चुनाव जीते थे मगर इस बार पार्टी ने सुरेंद्र भारद्वाज को टिकट दिया है । आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी सुरेंद्र भारद्वाज की पत्नी पूनम भारद्वाज पार्षद रही हैं। पूनम भारद्वाज ने बिजवासन क्षेत्र में सक्रिय रहते हुए कई काम कराए हैं और आप प्रत्याशी अपनी पत्नी की ओर से क्षेत्र में कराए गए कामों के आधार पर लोगों से वोट मांग रहे हैं।

बिजवासन क्षेत्र का जातीय समीकरण

बिजवासन विधानसभा क्षेत्र का जातीय समीकरण देखा जाए तो इस क्षेत्र में जाट,यादव, ब्राह्मण और अनुसूचित जाति के मतदाताओं की अच्छी खासी संख्या है। इस विधानसभा क्षेत्र में ग्यारह गांव भी शामिल हैं जिनमें से आठ गांव में जाट बिरादरी के मतदाता सबसे ज्यादा हैं।

जाट बिरादरी के इन मतदाताओं पर भाजपा ने निगाहें गड़ा रखी हैं। इस इलाके में फाइव स्टार होटल है तो झुग्गी झोपड़ी वाला इलाका भी है। वैसे इस विधानसभा क्षेत्र में मध्यम वर्ग के मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है और वही मतदाता निर्णायक भूमिका अदा करेंगे।

कैलाश गहलोत

क्या है इलाके की मुख्य समस्या

इस विधानसभा क्षेत्र में मतदाताओं की संख्या करीब दो लाख दस हजार है। क्षेत्र के लोग तमाम समस्याओं से जूझ रसे हैं जिसमें पीने के पानी की समस्या सबसे प्रमुख है। तीनों दलों के प्रत्याशी क्षेत्र के मतदाताओं को पानी की समस्या का निदान करने का आश्वासन दे रहे हैं। इस चुनाव में भी पीने के पानी के समस्या के साथ सीवर का मुद्दा गरमाया हुआ है।

इस सीट पर किसी भी प्रकार की हवा या लहर नहीं दिख रही है। तीनों दलों के प्रत्याशी जोरदार प्रचार में जुटे हुए हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि तीनों दलों ने इस क्षेत्र में मजबूत प्रत्याशी उतारे हैं और क्षेत्र में त्रिकोणीय मुकाबला होने की उम्मीद है। चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में तीनों दलों ने पूरी ताकत लगा रखी है और ऐसे में यह देखने वाली बात होगी कि कौन सा दल चुनावी बाजी जीतने में कामयाब होता है।



Ragini Sinha

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