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दिल्ली हाईकोर्ट: बलात्कार से पैदा बच्चा मां से अलग मुआवजा पाने का हकदार
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को एक केस में व्यवस्था देते हुए कहा कि बलात्कार के कारण जन्म लेने वाला बच्चा उसकी मां को मिले किसी भी तरह के मुआवजे से अलग मुआवजे का हकदार है। अदालत ने यह फैसला उस मामले में सुनाया जिसमें अपनी नाबालिग सौतेली बेटी का बलात्कार करने के जुर्म में दोषी को स्वाभाविक मृत्यु तक की अवधि के लिए जेल भेज जा चुका है।
कोर्ट ने घटाई मुआवजा राशि
हालांकि अदालत ने कहा कि बाल यौन अपराध संरक्षण कानून या दिल्ली सरकार की पीड़ित मुआवजा योजना में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। इस संबंध में कानून तय कर चुके हाई कोर्ट ने बलात्कार पीड़ित को मुआवजे की राशि निचली अदालत द्वारा निर्धारित 15 लाख रुपए से घटाकर साढे सात लाख रुपए कर दी।
पीड़ित की गोपनीयता कायम रखें
अदालत ने कहा कि उच्च राशि दिल्ली सरकार द्वारा तय 2011 मुआवजा योजना के खिलाफ है। कोर्ट ने बलात्कार की पीड़ित की गोपनीयता कायम रखने के दिशा निर्देशों को नजरअंदाज करने के मामले में निचली अदालत के आदेश में खामी पाई।
क्या कहा कोर्ट ने?
मामले की सुनवाई कर रही न्यायमूर्ति गीता मित्तल और न्यायमूर्ति आरके गौबा की पीठ ने कहा कि नाबालिग या बालिग महिला के बलात्कार से जन्म लेने वाली संतान निश्चित रूप से अपराधी के कृत्य की पीड़ित है। वह उसकी मां को मिले मुआवजे की राशि से अलग मुआवजे का हकदार है।'
कानून में यह 'रिक्ति' अदालत के ध्यान में उस समय आई जब वह नाबालिग सौतेली बेटी के बलात्कार के दोषी और उम्रकैद पाने वाले व्यक्ति की अपील पर सुनवाई कर रही थी। बलात्कार की शिकार पीडिता ने 14 साल की उम्र में बच्चे को जन्म दिया था।
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