क्या मुसीबत में भारत! ट्रम्प की अरब देशों से मेगा-डील अब बन सकती है समस्या

Donald Trump Deal Arab Countries: सऊदी अरब, कतर और यूएई के इस दौरे में अमेरिका में 600 बिलियन डॉलर का सऊदी निवेश, 142 बिलियन डॉलर का हथियार सौदा और कतर से 96 बिलियन डॉलर का बोइंग ऑर्डर शामिल है।

Neel Mani Lal
Published on: 17 May 2025 1:31 PM IST
Donald Trump Mega Deal with Arab Countries Becomes a Problem for India
X

Donald Trump Mega Deal with Arab Countries Becomes a Problem for India

Donald Trump Deal Arab Countries: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का हाल ही में संपन्न पश्चिम एशिया दौरा, भारत के सामने नई चुनौतियां लेकर आया है। ट्रम्प ने इस दौरे में 2 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा के व्यापारिक सौदे करने के साथ रणनीतिक डिप्लोमेसी भी खेली है। ट्रम्प पहले से ही अमेरिका के पक्ष में टैरिफ रणनीति को पूरी शिद्दत से लागू करने में जुटे हुए हैं और उन्होंने इसी दौरे में भारत के बारे में जीरो टैरिफ की बात भी कही है।

सऊदी अरब, कतर और यूएई के इस दौरे में अमेरिका में 600 बिलियन डॉलर का सऊदी निवेश, 142 बिलियन डॉलर का हथियार सौदा और कतर से 96 बिलियन डॉलर का बोइंग ऑर्डर शामिल है। अमेरिका ने इसके अलावा तुर्की को हथियार बेचने की डील, सीरिया को मदद तथा ईरान की घेराबंदी भी कर ली है। ये सभी घटनाक्रम भारत के लिए अवसर और चुनौतियां दोनों पेश करते हैं। तुर्की ने जिस तरह से खुल कर पाकिस्तान का पक्ष लिया है वो चिंताजनक है, और अब अमेरिका ने तुर्की के साथ बड़ी हथियार डील कर डाली है।

आर्थिक अवसर और चुनौतियां

ट्रंप के दौरे ने भारत के लिए महत्वपूर्ण आर्थिक रास्ते खोले हैं, खासकर टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में। ट्रम्प द्वारा बिडेन युग के "एआई डिफ्यूजन रूल" को रद्द करने का निर्णय एक गेम-चेंजर है। इस पहल से भारत को अत्याधुनिक अमेरिकी तकनीक तक पहुँच मिलेगी। एनवीडिया ने सऊदी अरब को एआई चिप्स की सप्लाई करने के लिए सौदे किए हैं, भारत इसका फायदा उठा सकता है।

दूसरी तरफ भारत के लिए एक बड़ी चुनौती है सऊदी अरब द्वारा अमेरिका में 600 बिलियन डॉलर के इन्वेस्टमेंट का करार करना। इससे सऊदी अरब भारत में लगी पूंजी को हटा सकता है। सऊदी अरब के सार्वजनिक निवेश फंड्स ने भारत के तमाम क्षेत्रों में महत्वपूर्ण निवेश कर रखे हैं। यहां से निकाल कर जब अमेरिका में निवेश जाने लगेगा तो भारत में पूंजी का फ्लो रुक सकता है।

ट्रंप का “अमेरिका फर्स्ट” नज़रिया और पश्चिम एशिया गठबंधनों पर जोर का एक नतीजा ये हो सकता है कि अमेरिका का फोकस इंडो-पैसिफिक हट जाए। इससे "क्वाड" जैसे ढांचे कमजोर हो सकते हैं, जहां भारत एक प्रमुख भागीदार है। यह बदलाव चीन को मजबूती दे सकता है जिससे भारत को एक नई चुनौती मिलेगी।

क्षेत्रीय स्थिरता

सीरिया पर प्रतिबंध हटाने और ईरान के साथ परमाणु वार्ता को आगे बढ़ाने सहित ट्रम्प के कूटनीतिक कदम पश्चिम एशिया को स्थिर कर सकते हैं, जो भारत के लिए बहुत अच्छा साबित होगा। अमेरिका - ईरान वार्ता में प्रगति भारत की ईरान के चाबहार बंदरगाह तक निरंतर पहुँच सुनिश्चित कर सकती है, जो पाकिस्तान में चीन के ग्वादर बंदरगाह का एक रणनीतिक जवाब है।

अमेरिका का दबाव

ये तय है कि ट्रम्प का बिजनेस और लेनदेन वाला नज़रिया भारत पर अमेरिकी दबाव बनाएगा। ट्रम्प भारत से मनमाफिक ट्रेड डील का दबाव बना सकते हैं और रूस तथा चीन के खिलाफ इस्तेमाल भी कर सकते हैं।

Admin 2

Admin 2

Next Story