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‘‘मानवीय उत्कर्ष’’मानव जीवन की सार्थकता है- डाॅ0 चिन्मय पण्ड्या
यह जीवन मात्र पेट-परिवार तक सीमित न रहे, समाज को प्रेरणा प्रकाश, राष्ट्र की गरिमा-गौरव तथा पीड़ा पतन से जूझ रहे मानव को ऊपर उठाने, पीड़ा निवारण के क्षेत्र में हमा
लखनऊ:यह जीवन मात्र पेट-परिवार तक सीमित न रहे, समाज को प्रेरणा प्रकाश, राष्ट्र की गरिमा-गौरव तथा पीड़ा पतन से जूझ रहे मानव को ऊपर उठाने, पीड़ा निवारण के क्षेत्र में हमारा ज्ञान, धन, बल, प्रभाव, पुरुषार्थ बिना अपेक्षा किये लगता है इसी को मानवीय उत्कर्ष कहते हैं। जिन लोगों ने अपने जीवन के इन प्रतिभाओं का अपने समय पर अपने लिए कठोरता दूसरे के उदारता के रूप में प्रयोग किया है, वे आज इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं, उन्हें राष्ट्र प्रति वर्ष याद करता है और नमन करता है। इसी उदे्श्य के लिए मानव जीवन मिला है।छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए उक्त बातें देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रतिकुलपति एवं विशेष प्रतिनिधि अखिल विश्व गायत्री परिवार के डाॅ0 चिन्मय पण्ड्या ने कही।
‘‘मानवीय उत्कर्ष’’मानव जीवन की सार्थकता है- डाॅ0 चिन्मय पण्ड्या
देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रतिकुलपति एवं विशेष प्रतिनिधि अखिल विश्व गायत्री परिवार के डाॅ0 चिन्मय पण्ड्या के 2 दिवसीय लखनऊ प्रवास का आज आखिरी दिन था। इसी क्रम में आज के.जी.एम.यू. के सांटिफिक कन्वेन्शन सेन्टर लखनऊ में ‘‘मानवीय उत्कर्ष’’ के विषय पर संस्थान के वी.सी., एच.ओ.डी., वरिष्ठ चिकित्सक तथा चिकित्सा की शिक्षा ले रहे छात्र-छात्राओं को सम्बोधित करते हुए कहा कि ‘‘मानवीय उत्कर्षता ही मानव जीवन की सार्थकता है।
‘‘मानवीय उत्कर्ष’’मानव जीवन की सार्थकता है- डाॅ0 चिन्मय पण्ड्या
मुख्य मीडिया प्रभारी उमानंद शर्मा ने बताया कि, आशियाना में चल रहे 51 क कुण्डीय गायत्री महायज्ञ के समापन के अवसर पर गायत्री परिवार के कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए डाॅ0 चिन्यम पण्ड्या ने कहा कि गायत्री परिवार के प्रत्येक कार्यकर्ताओं को समाज के लिए आदर्श से भरा हुआ उनका रोल माडल उनका जीवन होना चाहिये।
चूकिं आप व्यक्ति नहीं युग निर्माण के संदेश वाहक हैं। यह अपेक्षा युगऋषि ने की है। यज्ञ में परमार्थ के भाव से 38 लोगों ने देह दान का संकल्प लिया है। जो के.जी.एम.यूको सौंप दिया जायेगा, साथ ही साथ एस.जी.पी.जी.आई. लखनऊ की देखरेख में रक्त दान शिविर चला जिसमें लगभग 24 लोगों ने 24 यूनिट रक्त दान किया।
यज्ञ परिसर में चल रहे पुस्तक मेले में युगऋषि का साहित्य श्रद्धालुओं द्वारा क्रय किया गया, पण्डाल में युगऋषि के जीवन दर्शन पर लगी प्रदर्शिनी को काफी लोगों ने देखा और सराहा।
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