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Extinct Animals In India: भारत में चीते ही नहीं यह जानवर भी हो चुके हैं विलुप्त, जानिए नाम
Extinct Animals In India: भारत से चीते के अलावा भी कई जानवर विलुप्त हो गए हैं। साथ ही कुछ जीव जन्तुओं के जीवन पर खतरा मंडरा रहा है।
भारत से विलुप्त हो चुका सुमात्रन गैंडे (Pic : Social Media)
Extinct Animals In India: नामीबिया से लाए गए चीतो को मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में बने क्वारंटाइन के बाड़ों में छोड़ा गया। जिसकी चर्चा दिन रात चारों ओर हो रही है, लेकिन क्या आप जानते हैं भारत से चीते के अलावा भी कई जानवर विलुप्त हो गए हैं। आपने बाध, शेर, गैंडे और हाथी के बारे में खूब सुना होगा, लेकि्न भारत के यही जानवर नहीं हैं जो विलुप्त हो रहे हैं। इसके अलावा भी भारत के कई जानवर हैं जिनके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है। आज हम आपको ऩ्यूजट्रैक की स्पेशल स्टोरी में बताएंगे भारत से विलुप्त हुए जंगली जीव जन्तुओं के बारे में।
मालाबार सिवेट
7 किलो की सिवेट बिल्ली पश्चिमी घाट के तट पर पाई जाती थी। भारत में 1990 के बाद इसे कभी नहीं देखा गया।
मालाबार सिवेट
हिमालयी बटेर
यह पक्षी अंतिम बार मसूरी में 1867 में देखा गया था। यह मध्यम आकार का पक्षी कभी उत्तराखंड में पाया जाता था।
हिमालयी बटेर
भारतीय ऑरोच
भारतीय ऑरोच भारत के गर्म और शुष्क क्षेत्रों में पाए जाते थे, इनकी ऊंचाई और वजन की अगर बात की जाए तो यह 6.6 फीट उंचे और इनका वजन 1000 किलोग्राम के आसपास होता है। यह भारतीय बाइसन या गौर भारत में पाए जाने वाले जंगली जानवरों की सबसे बड़ी प्रजाति मानी जाती है। यह जेबू और गौर भारतीय मवेशी है। जो विलुप्त हो रहे भारतीय आरोच के समान है।
भारतीय ऑरोच
सुमात्रन गैंडे
भारत में सुमात्रन गैंडे को विलुप्त होने वाले जानवरों की श्रेणी में घोषित किया गया है। यह गैंडा दो सींगों वाला सबसे छोटा गैंडा माना जाता था। यदि अगर इनकी विदेशो में बात की जाए तो केवल 275 सुमात्रन गैंडे भारत के पड़ोसी देशों में पाए जाते हैं।
भारतीय ऑरोच
पिंक-हेडेड डक
पिंक-हेडेड डक नाम का पक्षी भारत में सबसे सुंदर पक्षियों में से एक थी। पिंक-हेडेड डक एक बड़ी डाइविंग ब्लैकिश-ब्राउन डक थी, लंबे गर्दन वाले डक तो पूरे भारत में पाए जाते हैं लेकिन पिंक-हेडेड डक भारत से गायब चुका पक्षी है।
पिंक-हेडेड डक
भारत में कब से विलुप्त हुए चीते
भारत में चीतों के विलुप्त होने की मुख्य वजह से इनका शिकार और चीतों को रहने का ठिकाना नहीं होने को माना जाता है, साथ ही ऐसा भी कहा जाता है कि मध्यप्रदेश के कोरिया के महाराजा रामानुज प्रताप सिंह देव ने 1947 में देश के अंतिम तीन चीतों को मरवा दिया था। जिसके बाद से भारत में चीते नहीं रह गए थे। साल 1952 में भारत सरकार ने आधिकारिक रुप से देश से चीतों के विलुप्त होने की घोषणा कर दी थी।
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