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खतरे की घंटी! आंदोलन के समर्थन में रविवार को रतलाम में जुटेंगे किसान नेता
भोपाल : मध्य प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन को समर्थन देने देशभर के विभिन्न किसान संगठनों के नेता रविवार को रतलाम पहुंच रहे हैं। यहां मंदसौर में पुलिस गोलीबारी में मारे गए किसानों को श्रद्धांजलि दी जाएगी। समाजवादी समागम के राष्ट्रीय संयोजक डॉ़ सुनीलम, लोहिया विचार मंच के रामबाबू अग्रवाल, रामस्वरूप मंत्री ने शुक्रवार को एक बयान जारी कर कहा है कि रतलाम में 11 जून को श्रद्धांजलि सभा में देशभर के किसान संगठनों के नेता, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्रनेता शामिल होंगे।
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बयान में कहा गया है, "यहां पहुंच रहे नेता मध्य प्रदेश में चल रहे किसान आंदोलन का समर्थन करते हुए कर्ज माफी, बिजली बिल माफी, किसानों की न्यूनतम आय सुनिश्चत करने, स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने, सभी कृषि उत्पादों का समर्थन मूल्य तय कर संपूर्ण उत्पाद की खरीद, पैदावार एवं फसल बीमा तय करने की इकाई बनाने, मंदसौर गोली चालन की उच्च न्यायालय के न्यायाधीश से जांच कराने, दोषी पुलिस अधिकारियों पर हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग करेंगे।"
इस कार्यक्रम में जन आंदोलनों के राष्ट्रीय समन्वय की नेता मेधा पाटकर, जयकिसान आंदोलन के योगेंद्र यादव, अविक शाहा, बंधुआ मुक्ति मोर्चा के स्वामी अग्निवेश, राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के बी़ एम़ सिंह, पश्चिम ओडिशा कृषक संगठन के लिंगराज, किसान सघंर्ष समिति एवं भूमि अधिकार आंदोलन के पूर्व विधायक डॉ़ सुनीलम, अखिल भारतीय किसान सभा के जसविंदर सिंह, विचार मध्य प्रदेश के पूर्व विधायक गिरजाशंकर शर्मा, जेएनयू छात्रसंघ के अध्यक्ष मोहित पांडे, राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच के जिगनेश मेवानी सहित अन्य संगठनों के नेतागण शामिल होंगे।
डॉ. सुनीलम ने कहा है, "12 जनवरी, 1988 को मुलताई में किसान आंदोलन पर हुई गोलीबारी से राज्य सरकार ने कोई सबक नहीं सीखा है। मुलताई गोलीकांड में 24 किसान शहीद हुए थे, 150 किसानों को गोली लगी थी, तब सरकार ने न्यायिक आयोग का गठन किया था, जिसमें यह निष्कर्ष निकला था कि गोलीकांड प्रशासनिक, पुलिस अधिकारियों और किसान आंदोलन के नेताओं के बीच संवादहीनता का परिणाम था। लेकिन मंदसौर में भी अधिकारियों द्वारा संवाद की जगह पुलिस दमन का रास्ता अपनाया गया।"
उन्होंने कहा, "भाजपा सरकार ने किसान आंदोलन को कुचलने के लिए गोलीबारी का सहारा लिया। मुलताई गोलीकांड के बाद पुलिस ने 250 किसानों पर 67 फर्जी मुकदमे दर्ज किए थे, उसी तरह मंदसौर, रतलाम, उज्जैन, धार सहित किसान आंदोलन के प्रभाव क्षेत्र में सैकड़ों किसानों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं।"
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