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भाजपा अपने किसानों से ले रही फीडबैक, आ रही फैसले की घड़ी
वर्तमान हालात में किसानों का आंदोलन जिस तरह से लंबा खिंचता जा रहा है ऐसे हालात बने रहे तो भाजपा को चुनावों में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इसे लेकर सरकार और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के बीच मंथन के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सक्रिय हो गए हैं।
रामकृष्ण वाजपेयी
लखनऊ: एमएसपी और तीन नये कृषि कानूनों को लेकर अड़ियल रुख अपनाने के परिणाम को लेकर भाजपा की पेशानी पर बल पड़ गए हैं क्योंकि पार्टी को इस साल से लेकर अगले साल तक कम से डेढ़ दर्जन राज्यों के चुनावों का सामना करना है।
वर्तमान हालात में किसानों का आंदोलन जिस तरह से लंबा खिंचता जा रहा है ऐसे हालात बने रहे तो भाजपा को चुनावों में दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है। इसे लेकर सरकार और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के बीच मंथन के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा सक्रिय हो गए हैं। नड्डा उत्तर प्रदेश और हरियाणा के भाजपा के किसानों नेताओं संग दिल्ली में पार्टी मुख्यालय में मीटिंग कर रहे हैं।
कृषि कानूनों पर किसानों का फीडबैक लेंगे जेपी नड्डा
गौरतलब है कि भाजपा से जुड़े किसान संगठनों के नेता लगातार पार्टी नेतृत्व पर इस बात का दबाव बना रहे थे कि किसान आंदोलन के चलते उनका क्षेत्र में निकालना कठिन होता जा रहा है। समझा जाता है कि जेपी नड्डा नए कृषि कानूनों पर किसानों का फीडबैक लेंगे। बैठक में जाट किसानों में उभरे असंतोष को दूर करने की रणनीति पर भी विचार होगा। केंद्र सरकार इस बैठक को कितना तवज्जो दे रही है यह इस बात से स्पष्ट हो जाता है कि बैठक में गृह मंत्री अमित शाह भी शामिल हो रहे हैं।
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बैठक में केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान, सांसद सत्यपाल सिंह के अलावा उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान के 10 सांसद और 26 विधायक भी शामिल हैं। कुछ पूर्व सांसद और पूर्व विधायकों के अलावा संघ के आनुषांगिक किसान संगठनों के पदाधिकारी भी मौजूद रह सकते हैं।
पंचायतों के आयोजन में जुट चुके हैं किसान
किसान आंदोलन करीब 83 दिन से चल रहा है। केंद्र सरकार और संयुक्त किसान मोर्चा के बीच 11 दौर की बातचीत बेनतीजा रहने के बाद गतिरोध बना हुआ है। जबकि किसान नेता आंदोलन को देशव्यापी रूप देने के लिए किसान पंचायतों के आयोजन में जुट चुके हैं।
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भाजपा की चिंता का मुख्य कारण किसान आंदोलन और पंचायतों में विपक्षी दलों की बढ़ती भागीदारी है। कांग्रेस, रालोद लगातार किसान पंचायतों में जुटे हैं। ये पंचायतें उन इलाकों में हो रही हैं जहां जाट किसानों की बहुलता है।
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