TRENDING TAGS :
मोदी के लालकिले वाले बयान पर क्यों भड़के टिकैत, समझौते में क्या फंसेगा पेंच
सरकार और किसानों के बीच समझौते की मंजिल अभी बहुत दूर है। राकेश टिकैत के बातचीत के लिए नई शर्त रख देने से ये गतिरोध लंबा खिंच सकता है।
रामकृष्ण वाजपेयी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सर्वदलीय बैठक में निसंदेह अपनी तरफ से किसानों से वार्ता की पेशकश करके तीन कानूनों को लेकर आंदोलन कर रहे किसानों को बातचीत के लिए आगे आने का मौका दिया है। जिसका तात्कालिक असर यह हुआ कि आंदोलनकारी किसानों के संयुक्त मोर्चे के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने भी कहा कि हम भी एक काल की दूरी पर हैं। सरकार जब कहेगी वार्ता को आ जाएंगे। लेकिन आज मन की बात में जब नरेंद्र मोदी ने लालकिले की घटनाओं और तिरंगे के अपमान की बात उठाते हुए कहा कि देश इसे देखकर दुखी है। तो किसान नेता राकेश टिकैत भड़क गए। इससे लगता है कि सरकार और किसानों के बीच समझौते की मंजिल अभी बहुत दूर है। राकेश टिकैत के बातचीत के लिए नई शर्त रख देने से ये गतिरोध लंबा खिंच सकता है।
दिल्ली और लालकिले में हिंसा की मोदी ने की निंदा
कल तक दिल्ली और लालकिले में हुई हिंसा की घटनाओं की निंदा कर रहे टिकैत आज बगावती तेवर में थे और उन्होंने साफ कह दिया कि हमारे जो लोग जेल में बंद हैं, वो रिहा हो जाएं, फिर बातचीत होगी। प्रधानमंत्री ने पहल की है और वह सरकार और हमारे बीच की एक कड़ी बने हैं। किसान की पगड़ी का भी सम्मान रहेगा और देश के प्रधानमंत्री का भी। यही शर्त सरकार और किसानों के बीच होने वाली समझौता वार्ता को पीछे धकेल सकती है।
ये भी पढ़ेंः किसान नेताओं पर कार्रवाई से उठे सवाल, झंडा फहराने वाले कैसे बचे
मन की बात में मोदी के बयान पर भड़के टिकैत
ऐसा नहीं है कि पीएम मोदी ने मन की बात में ही ये बात कही है। वह इससे पहले बजट सत्र के लिए बुलाई सर्वदलीय बैठक में भी गणतंत्र दिवस पर लालकिले पर हुई तिरंगे के अपमान व राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में तोड़फोड़ की घटनाओं पर कह चुके थे कि कानून अपना काम करेगा। उनका इशारा दोषियों पर कार्रवाई की तरफ था।
ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा के बाद किसान नेताओं ने भी इसे शर्मनाक बताते हुए दंगाइयों से किनारा कसा था। अब जबकि सीसीटीवी फुटेज और साक्ष्यों के आधार पर कार्रवाई करते हुए पुलिस दोषियों की धरपकड़ रही है तो पकड़े गए लोगों को किसान आंदोलन का नेता बताते हुए टिकैत का यह कहना कि पहले हमारे नेताओं को छोड़ो तब बात करेंगे। काफी कुछ इशारा कर रहा है।
लाल किले पर तिरंगे का अपमान
अगर तिरंगे के अपमान और दिल्ली में हुई हिंसा में बेगुनाह पकड़े गए हैं। किसान नेता उनकी जिम्मेदारी कैसे ले रहे हैं। आखिर टिकैत पर कौन दबाव डाल रहा है जो बातचीत के लिए राजी होने की बात कहकर उससे पलट रहे हैं।
ये भी पढ़ेंः चुनावी जंग: कांग्रेस को दक्षिण से ज्यादा उम्मीदें, राहुल ने इन दो राज्यों में लगाई ताकत
अगर लालकिले में उत्पात हुआ है तिरंगे का अपमान हुआ है दिल्ली की सड़कों पर हिंसा हुई ट्रैक्टर रैली तय रूट से भटकी है तो जिम्मेदार कौन है। कानून तो अपना काम करेगा। दिल्ली पुलिस ने भी किसान नेताओं को ट्रैक्टर रैली में हुई हिंसा को लेकर नोटिस भेजकर तीन दिन में जवाब मांगा है। आरोपी नेताओं से पासपोर्ट सौंपने को भी कहा गया है।
संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा
इस पर संयुक्त किसान मोर्चा का यह कहना कि वे नोटिसों से डरने वाले नहीं हैं। अब इसमें डरने जैसी बात कहां से आ गई। कौन कहता है किसान डरें। जो निर्दोष हैं उनपर कैसा एक्शन। लेकिन जो बवाल में आगे रहे, उसमें शामिल रहे उन पर तो एक्शन होगा ही। सरकार के साथ वार्ता में रिहाई का पेंच अच्छे संकेत नहीं दे रहा है।
दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलों करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।
AI Assistant
Online👋 Welcome!
I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!