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गणेश जी के संदर्भ में दो बातें और अनुभव
गंगा को बचाने के लिए यदि लोग मुझे मुसलमान या किसी भी धर्म का मान लें या कहने लगें तो स्वीकार्य है, क्योंकि गंगा सारे धर्मों से ऊपर है।
साभार- सोशल मीडिया
Ganesh Visarjan: 'एक कलश मिटटी, एक कलश पानी' की कांवर यात्रा सावन के महीने में हम लोग हर वर्ष करते हैं। 2013 में कानपूर में गंगा तट से इस कांवर यात्रा यज्ञ की शरुआत की गयी थी। पूरे शहर में चर्चा और धूम मच गयी थी। लोग मुझे दिल से प्यार करने लगे और जुड़ने लगे थे। अगली ही गणेश चतुर्थी के कुछ दिन पहले शहर के तमाम लोग मेरे पास आये और कहा कि मोती झील पार्क में करीब 500 गणेश प्रतिमाएं तैयार हैं। आप चल कर पूजा अर्चना कर हरी झंडी दिखाएं तो वे मूर्तियां अपनी अपनी जगहों पर जा कर स्थापित हों।
गंगा सारे धर्मों से ऊपर
मैंने कहा मेरी एक शर्त है, आप लोग मुझसे वादा करें कि इनमें से कोई भी मूर्ति गंगा या किसी नदी में विसर्जित नहीं की जाएगी, तभी मैं चलूँगा। उनमे से एक सज्जन सहसा बोल उठे 'पांडे जी, आप तो मुसलमान लगते हैं।' मैंने कहा कि गंगा को बचाने के लिए यदि लोग मुझे मुसलमान या किसी भी धर्म का मान लें या कहने लगें तो स्वीकार्य है, क्योंकि गंगा सारे धर्मों से ऊपर है, जीवनदायनी है, सारे ही धर्म धरती पर कुछ सौ या हज़ार साल से हैं, गंगा करोंड़ों अरबों साल से है।
भगवान गणेश के पिता भगवान शिव ने गंगा जी को सिर पर धारण किया हुआ है। भगवान गणेश भी दुखी होते होंगे अपनी मूर्तियों को नदियों, समुद्रों में विसर्जित होता देख कर। जहां तक मेरा सवाल है मैं अन्दर से जो हूं वही रहूंगा। विराट जीवंत संवेदनशील ईश्वरमय ईश्वरीय सृष्टि का एक अति सूक्ष्म जीवंत संवेदनशील अंग (हिस्सा)। और मैं ही नहीं ,हम सब यही हैं।
और दूसरा अनुभव मेरी लम्बी कविता 'धरती जानती है' लिखते समय की है। कविता लिखते-लिखते गणेश जी से थोड़ी मेरी हंसी ठिठोली भी चली। मुझे एहसास हुआ कि गणेश जी ने भी मुस्कराकर आनंद लिया इस कविता का।
कविता के कुछ अंश भी आपके सामने रख रहा हूं-
आज,
विसर्जन कीजिये गुस्से का,
विसर्जन कीजिये द्वेष का,
विसर्जन कीजिये लोभ का,
विसर्जन कीजिये मोह का,
विसर्जन कीजिये आलस का,
विसर्जन कीजिये चिंता का,
विसर्जन कीजिये निराशा का,
विसर्जन कीजिए दुराचार का,
विसर्जन कीजिए अहम और गुरुरयका,
विसर्जन कीजिये किसी भी परिणाम की अत्यन्त जल्दी का
विसर्जन कीजिये नकारात्मक विचारों का,
विसर्जन कीजिये बुरी आदतों का,
निसंदेह सभी विघ्न दूर होंगे...।
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