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अरे हिंदुओं से कोई लेना देना नहीं है हिंदू रेट आफ ग्रोथ का
लखनऊः हिंदू रेट आफ ग्रोथ सुनने में कुछ ऐसा लगता है जैसे हिंदुओं के विकास से जुड़ी कोई बात हो अगर आप ऐसा सोचते हैं तो आप गलत हैं।
दरअसल हिंदू रेट आफ ग्रोथ शब्दावली का हिंदुओं से या उनके विकास से कोई लेना देना नहीं है। जैसे फारसी भाषा के अनुसार हिन्दू शब्द का अर्थ चोर, डाकू, रहजन (मार्ग का लुटेरा) और ग़ुलाम (दास, बंदी) के अर्थो में आता है। अब उसका हमारी संस्कृति के हिंदू शब्द से कोई सामीप्य है ही नहीं।
इसी तरह से हिन्दू रेट आफ ग्रोथ नाम धीमी विकास दर को दिया गया था। दरअसल देश को आजादी मिलने के बाद जब हमने अपने ढंग से कामकाज और शासन को चलाना शुरू किया उस समय 1950 से लेकर 1980 के दशक तक हमारी विकास दर बहुत धीमी रही। जो कि मात्र 3.5 फीसदी वार्षिक के लगभग थी। इस धीमी विकास दर के लिए सबसे पहले प्रो. राजकृष्ण ने हिंदू रेट आफ ग्रोथ शब्दावली का इस्तेमाल किया।क्योंकि यह विकास दर गरीबी और ढांचागत सुविधाओं के अभाव को दर्शा रही थी।
देश की आर्थिक स्थिति भी कमजोर थी। मोटे तौर पर पूरी अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित थी। प्रो. राजकृष्ण ने कहा कि कुछ भी कर लें, लेकिन विकास दर इतनी ही रहती है। चूंकि देश की आबादी का अधिसंख्य हिस्सा हिंदू था इसलिए उन्होंने प्रतीकात्मक रूप से हिंदू रेट आफ ग्रोथ शब्दावली का इस्तेमाल किया।
कहा यह भी जाता है कि उन्होंने मजाक में यह बात कही थी लेकिन उनके बाद के अर्थशास्त्रियों और अर्थ व्यवस्था के जानकारों ने जाने अनजाने इस शब्दावली को जो प्रोत्साहन देना शुरू किया वह सिलसिला बदस्तूर जारी है।
एक कारण और भी है कि उस दौर में अर्थव्यवस्था घरेलू बचत पर आधारित थी। क्योंकि निवेश नाममात्र का था। वहीं जनसंख्या वृद्धि की रफ्तार प्रति व्यक्ति आय से बहुत अधिक थी। इस सबके चलते भी विकास दर बहुत धीमी थी।
प्रो. राजकृष्ण की इस शब्दावली के इस्तेमाल के लिए कड़ी आलोचना भी हुई। आलोचकों ने इसके लिए तत्कालीन सरकारों को जिम्मेदार ठहराया। लेकिन 1991 के बाद आर्थिक सुधारों और उदारीकरण से एक नए युग की शुरुआत हुई। जिसमें हिंदू रेट आफ ग्रोथ पीछे छूट गई और देश की अर्थ व्यवस्था घोड़े पर सवार होकर दौड़ने लगी।
अब हाल में हुई नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद आर्थिक विकास दर सात फीसद पर आगई है तो रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने एक बार फिर हिन्दू रेट आफ ग्रोथ शब्दावली का इस्तेमाल कर बीते दिनों की याद ताजा करा दी है।
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