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CAA के विरोध प्रदर्शन पर गृह मंत्रालय के दिया ऐसा बयान, जानिए क्या कहा...
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूरा देश जल रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कई जगहों पर प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुका है. इस कानून को लेकर गृह मंत्रालय ने कहा कि लोगों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन इस कानून को कैसे लागू करना है हमे पता है।
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश के कई राज्यों में शुक्रवार को भी विरोध प्रदर्शन हुआ। दिल्ली, यूपी, पश्चिम बंगाल, गुजरात, केरल और कर्नाटक से विरोध प्रदर्शन की खबरें आ रही हैं। पश्चिम बंगाल, पंजाब और बिहार समेत कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वह अपने राज्यों में एनआरसी को लागू नहीं होने देंगे।
नागरिकता संशोधन कानून को लेकर पूरा देश जल रहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। कई जगहों पर प्रदर्शन हिंसक रूप ले चुका है। इस कानून को लेकर गृह मंत्रालय ने कहा कि लोगों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन इस कानून को कैसे लागू करना है हमे पता है।
कई राज्यों ने नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लागू करने से इंकार कर दिया है। इस पर गृह मंत्रालय (MHA) के मुताबिक कहा गया है कि कानून को लागू करने का अधिकार केंद्र के पास है। इसे अंतिम रूप देंगे जिसमें सब शामिल होंगे। यह डिजिटल और आसान प्रक्रिया होगी ताकि लोगों को किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़े।
देश भर में हो रहे विरोध प्रदर्शन पर गृहमंत्रालय ने कहा, 'हमने सभी से विचार विमर्श करके यह बिल लाए और इसपर चर्चा हुई लेकिन उनके पास कोर्ट जाने का अधिकार है। लोगों के पास विरोध करने का अधिकार है। जो लोग सुझाव देना चाहते हैं वे दे सकते हैं, हम नियम बनाने की प्रक्रिया में हैं।
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बता दें कि कई राज्य इस कानून के विरोध में हैं। उन्होंने इस कानून को अपने राज्यों में लागू करने से इंकार कर दिया। अब बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने भी कहा है कि वो एनआरसी अपने राज्य में लागू नहीं करेंगे। हालांकि सीएए पर कुछ भी नहीं कहा। वहीं दूसरी ओर पश्चिम बंगाल, पंजाब और केरल के मुख्यमंत्रियों ने भी सीएए लागू करने से इनकार कर दिया है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश ने कहा है कि वे इसे लागू नहीं करेंगे। इन दोनों राज्यों में कांग्रेस की सरकारें हैं।
महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार ने भी फिलहाल सीएए को लागू करने से इंकार किया है. उनका कहना है कि मामला अभी कोर्ट में है इसलिए इस पर कोई फैसला नहीं लिया जाएगा। कई संविधान विशेषज्ञों का मत है कि नया कानून पूरी तरह से केंद्र सरकार का विषय है। इस पर राज्य कोई फैसला नहीं दे सकते. जानकारों का कहना है कि भारत का नागरिक कौन होगा यह तय करने का अधिकार केन्द्र सरकार को है न कि राज्यों को। ऐसे में राज्य सरकारों को इस कानून को लागू करना ही पड़ेगा।
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