2019 में सरकार किसी की भी आए, मंदिर तो बनकर रहेगा: मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर पर एक बार फिर बड़ा बयान दिया है। भागवत ने कहा कि 2014 में अगर राम मंदिर का मुद्दा नहीं भी होता तो भी सरकार बनती। लेकिन 2019 में राम मंदिर सबसे जरूरी है।

Aditya Mishra
Published on: 5 Feb 2019 9:15 PM IST
2019 में सरकार किसी की भी आए, मंदिर तो बनकर रहेगा: मोहन भागवत
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर पर एक बार फिर बड़ा बयान दिया है। भागवत ने कहा कि 2014 में अगर राम मंदिर का मुद्दा नहीं भी होता तो भी सरकार बनती। लेकिन 2019 में राम मंदिर सबसे जरूरी है। देहरादून में एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि 2014 में लहर दूसरी थी, जो राम मंदिर से अलग थी। लेकिन इस बार सरकार चाहे जो भी आए, सबसे जरूरी मुद्दा राममंदिर ही है, भगवान राम हमारे सबके प्रिय हैं। सरकार चाहें किसी की भी आए, राम मंदिर तो बनेगा ही, अगर ऐसा नहीं हुआ तो संतों से परामर्श कर हम एक्शन लेंगे।

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नितिन गडकरी के बयानों पर भागवत ने कहा कि वे बेहद सौम्य व्यक्ति हैं। उन्होंने जो बयान दिया वो मुझे मालूम नहीं, मगर अगर उनके मन में कुछ इच्छा होगी तो वो सबसे पहले मुझे जरूर बता देते या बता देंगे। वो षड्यंत्र करने वाले लोगों में से नही हैं। गौरतलब है कि हाल के दिनों में गडकरी अपने बयानों के चलते सुर्खियों में रहे हैं। कभी वे कहते हैं कि सपना पूरा न करने वालों को जनता पीटती भी है, हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि मीडिया में उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया।

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सोमवार को ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने तंज करते हुए कहा था कि नितिन गडकरी जी आप अकेले हिम्मती हैं। कृपया राफेल घोटाला, किसानों की बदहाली और संस्थाओं पर हो रहे हमले पर भी टिप्पणी करें। इसके जवाब में गडकरी ने कहा था कि राहुल जी मेरी हिम्मत के लिए आपके सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है, उन्होंने कहा कि आपको हमले करने के लिए भी दूसरों के कंधों का सहारा लेना पड़ रहा है।

आरक्षण पर भी भागवत ने कहा कि मैं आरक्षण के हमेशा पक्ष में हूं, मगर मेरा मानना है कि आरक्षण जाति और धर्म के आधार पर नहीं बल्कि जरूरतमंदों को मिलना चाहिए। इससे पहले आरक्षण पर भागवत कई बार कह चुके हैं क्रीमीलेयर वर्ग के तहत आने वाले लोगों के लिए आरक्षण कब तक चलेगा, इसका निर्णय वही लोग करेंगे। भागवत का कहना है कि आरक्षण के पीछे होने वाली राजनीति मुख्य समस्या है।

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