मिनटों में उड़े पाकिस्तानी आतंकी: जानें ऑपरेशन सिंदूर में इस्तेमाल हुए स्पेशल हथियारों के बारे में, युद्ध में कहीं नहीं टिकेगा दुश्मन देश

Operation Sindoor Used Weapons: भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को बता दिया है कि "अगर छेड़ोगे तो छोड़ेंगें नहीं।"

Yogesh Mishra
Published on: 7 May 2025 7:28 PM IST
Operation Sindoor Movie
X

Operation Sindoor Movie Update (Image Credit-Social Media)

Operation Sindoor Used Weapons: पहलगाम में आतंकियों द्वारा कायराना हमला करके छब्बीस लोगों को मौत के घाट उतार देन की घटना के बाद देश के लोग भारी ग़ुस्से में थे। पर लोगों को नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर यकीन था। तभी लोग पाकिस्तान से युद्ध करने तक के लिए तैयार हो रहे थे। लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ फूट पड़ने वाले ग़ुस्से के बीच हमारी सेना ऐसा कोई रास्ता निकाल लेगी, जिससे साँप भी मर जाये और लाठी भी न टूटे, यह लोगों को यक़ीन नहीं था। पर भारतीय सेना ने ऐसा कर दिखाया । आज भारतीय सेना के पराक्रम की चारों तरफ़ जय जय हो रही है।

सेना ने बीते बारह दिनों में एक ऐसा आपरेशन प्लान किया, जिसके नतीजे भारतीयों को गर्व से भर देने वाले तो थे ही। इस आपरेशन का नाम भी भारतीय महिलाओं को भावनात्मक रुप से बाँधने वाला निकला। पहलगाम में आतंकियों ने केवल पुरुषों को अपना निशाना बनाया था। महिलाओं व बच्चों को नहीं। नतीजतन, इस जघन्य कांड में तमाम महिलाओं के सुहाग छिन गये। सिंदूर भारतीय महिलाओं के सुहाग का एक प्रतीक है। ऐसे में आपरेशन ‘सिंदूर’ महिलाओं के दिवंगत पतियों के लिेए एक सच्ची श्रद्धांजलि हो सकती है।इस सैन्य प्रतिक्रिया को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम देकर, भारत ने यह स्पष्ट कर दिया कि यह उन महिलाओं के लिए था जिन्होंने अपना सब कुछ खो दिया। आपरेशन सिंदूर को अंजाम देने का काम भारत ने सेना की कर्नल सोफिया क़ुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह को देकर भी एक बड़ा संदेश देने में कामयाबी हासिल की है।


भारत ने उरी और पुलवामा हमले के 12 दिन बाद कार्रवाई की थी। जबकि पहलगाम की घटना के 13 दिन बाद आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई हुई। ऑपरेशन सिंदूर भारत की सैन्य ताकत, ख़ुफ़िया क्षमता और आतंकवाद के खिलाफ दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। इस हमले के लिए भारत ने फ़्रांस व ब्रिटेन द्वारा विकसित स्कल्प ( SCALP), राफेल विमानों के लिए ख़रीदे गये बम हैमर (HAMMER ), सुपर सोनिक क्रूज़ मिसाइल्स ब्रम्होस, एंटी रेडिएशन मिसाइल रुद्रम और मल्टी बैरल राकेट लांचर पिनाका जैसे हथियारों का इस्तेमाल किया।


भारत ने इस हमले में बंकर बस्टर बम सरीखे उन्नत हथियारों का इस्तेमाल किया। यह हमला इज़रायली सैन्य रणनीति से मिलता जुलता कहा जा सकता है। जो ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ और ‘प्रीसिशन स्ट्राइक’ शैली से प्रेरित मानी जाती है।इस रणनीति के तहत पहले टार्गेट को लॉक किया जाता है। फिर अचूक मिसाइलों से तबाही मचाई जाती है।


‘प्रिसिशन टार्गेट’ के तहत ड्रोन आधारित निगरानी से दुश्मन के ठिकानों को लॉक किया जाता है। भारत का स्वदेशी हवाई नियंत्रण प्रणाली नेट्रा AWACS- Airborne Warning and Control System और इसरो के सैन्य राडार RIST-2BR1 सैटलाइट इस तरह के कामों को अंजाम देने के लिए बहुत मुफीद माने जाते हैं।


पाकिस्तान ने चीन में बने HQ-9 जो सरफेस टू एयर मिसाइल सिस्टम एयर डिफेंस के लिये लगा रखा था। भारत ने अभियान को अंजाम देने के लिए SEAD सैन्य अभियान की रणनीति अपनाई। जिसका उद्देश्य दुश्मन के वायु रक्षा नेटवर्क को नष्ट करना होता है। इसमें सुखोई-30 MKI विमानों से रुसी मूल की kh-31 P एंटी रेडिएशन मिसाइल का इस्तेमाल किया। इज़रायल प्राय: इस रणनीति का इस्तेमाल करता है।


पाकिस्तान ने अपनी हवाई रक्षा के लिए चीन निर्मित HQ-9 सिस्टम लगा रखा है। यह सौ टारगेटों को ट्रैक कर सकता है। एक साथ छह मिसाइल्स को नष्ट कर सकता है। चीन का यह राडार सुपरसोनिक मिसाइलों को ट्रैक करने में तो सक्षम है। पर उसे रोक नहीं सकता है। भारत ने पाकिस्तान पर हमले को लिए ब्रह्मोस व रुद्रम मिसाइल का प्रयोग किया। जिसकी विशेषता होती है कि ये इतनी कम ऊँचाई पर उड़ती हैं कि राडार के लिए पता करना मुश्किल होता है।चीन के सभी उत्पादों के बारे में एक आम दंत कथा है कि ये कभी समय पर काम नहीं आते। कब धोखा दे जायें, कहा नहीं जा सकता । पाकिस्तान में लगे चीनी राडार के साथ भी यही हुआ।


इन तैयारियों व रणनीति के मार्फ़त भारत मे पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को ध्वस्त करने में कामयाबी पाई। पिछले तीन दशकों में पाकिस्तान ने व्यवस्थित तरीके से आतंकी ढांचे का निर्माण किया है। यह भर्ती और प्रशिक्षण केंद्रों, प्रारंभिक और रिफ्रेशर पाठ्यक्रमों के लिए प्रशिक्षण क्षेत्रों और आकाओं के लिए लॉन्चपैड का एक जटिल नेटवर्क है।


भारत ने जिन टारगेट पर कार्रवाई की उनमें जैश-ए-मोहम्मद (जेईएम) से जुड़े बहावलपुर में मरकज सुभान अल्लाह, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से जुड़े मुरीदके में मरकज तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के एक अन्य गढ़ तेहरा कलां में सरजाल शामिल हैं। इसके अलावा, सियालकोट में महमूना जोया, जो हिजबुल मुजाहिदीन (एचएम) से जुड़ा है, और बरनाला में मरकज अहले हदीस, जो एलईटी से जुड़ा है, को भी निशाना बनाया गया। भारतीय सेना ने कोटली में मरकज अब्बास (जेईएम) और मस्कर राहील शाहिद (एचएम), मुजफ्फराबाद में शवाई नल्ला कैंप (एलईटी) और सैयदना बिलाल कैंप (जेईएम) पर भी हमले किए।


बहावलपुर थार रेगिस्तान के पार राजस्थान की सीमा पर स्थित है। ये मौलाना मसूद अजहर के नेतृत्व वाले जैश-ए-मोहम्मद का गढ़ रहा है। मसूद अजहर, भारत द्वारा इंडियन एयरलाइंस की उड़ान आईसी-814 के यात्रियों के बदले में छोड़े गए तीन आतंकवादियों में से एक था। बहावलपुर शहर में 1968 में मसूद अजहर का जन्म हुआ था। यहीं पर 1988 में एक विमान दुर्घटना में पाकिस्तान के तानाशाह जिया-उल-हक की मृत्यु हुई थी।आपरेशन सिंदूर में मसूद के परिवार के चौदह लोग मारे गये। मसूद यह कहता फिर रहा है कि बेहतर होता कि वह भी मर जाता।


लाहौर के पास मुरीदके हाफ़िज़ सईद के नेतृत्व वाले आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा का गढ़ है, जिसने 26/11 मुंबई आतंकी हमलों को अंजाम दिया था। मुरीदके में मरकज़-ए-तैयबा है, जो लश्कर-ए-तैयबा का बेस कैंप है। मुरीदके में 2008 के मुंबई हमलावरों अजमल कसाब और डेविड हेडली को प्रशिक्षण दिया गया था।

पीओके में कोटली, जम्मू से नियंत्रण रेखा के ठीक पार है। जम्मू-कश्मीर में पुंछ इसके उत्तर-पूर्व में और राजौरी दक्षिण-पूर्व में है। यहां भी आतंकी ट्रेनिंग सेंटर हैं।मुजफ्फराबाद पीओके की राजधानी है। इसके पूर्व में जम्मू-कश्मीर के बारामुल्ला और कुपवाड़ा जिले हैं। यह उन आतंकी समूहों के लिए जाना जाता है जिनके सदस्यों को भारत में घुसने के लिए पाकिस्तानी सेना मदद करती है।

इन सभी कार्रवाइयों में सबसे उल्लेखनीय तथ्य यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इन सभी ऑपरेशनों के दौरान पूरी रात निगरानी करते रहे। यह दर्शाता है कि जब भी पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों द्वारा भारत में आतंकवादी गतिविधियाँ की गईं, तो प्रधानमंत्री ने उनके खिलाफ़ कोई समझौता नहीं किया।

Admin 2

Admin 2

Next Story