Bihar Election 2025: क्या इस बार बिहार की राजनीति में उभरेगा कोई महिला चेहरा? जानें राबड़ी देवी के बाद अब अगला कौन?

Bihar Election 2025: जब साल 1997 में राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली, तो पूरा देश चौंक गया। एक गृहिणी, जो राजनीति की एबीसी भी नहीं जानती थीं, वे एक दिन बिहार की बागडोर थामेंगी यह कल्पना से परे था।

Harsh Srivastava
Published on: 17 May 2025 9:27 PM IST
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Bihar Election 2025: बिहार की राजनीति को अगर किसी एक शब्द में परिभाषित किया जाए, तो वह है "संघर्ष"। जाति, धर्म, क्षेत्रीय अस्मिता और वंशवाद की राजनीति से लेकर लालू-नीतीश जैसे चाणक्यवादी चेहरों तक, बिहार ने भारतीय राजनीति को वह सब कुछ दिया है जो किसी लोकतांत्रिक राज्य की राजनीति को जीवंत और बहसों से भरपूर बनाता है। लेकिन इन तमाम घमासानों के बीच एक सवाल दशकों से गूंजता रहा है "बिहार की सियासत में महिलाओं की जगह आखिर कहां है?"

जब साल 1997 में राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाली, तो पूरा देश चौंक गया। एक गृहिणी, जो राजनीति की एबीसी भी नहीं जानती थीं, वे एक दिन बिहार की बागडोर थामेंगी यह कल्पना से परे था। लेकिन यह कदम सिर्फ एक राजनीतिक स्टंट नहीं था, बल्कि इसने महिलाओं के लिए संभावनाओं के दरवाज़े खोले। राबड़ी देवी, जो कभी पर्दे के पीछे रहती थीं, अब सत्ता के सबसे ऊंचे मंच पर थीं।

लेकिन राबड़ी के बाद क्या?

राबड़ी देवी के बाद से अब तक बिहार की राजनीति में कोई महिला चेहरा उस ऊंचाई तक नहीं पहुंच पाया है। हां, कुछ नाम उभरे लेकिन या तो वे पृष्ठभूमि में चले गए या फिर पुरुष नेताओं की छाया में दब गए। 2025 का विधानसभा चुनाव अब नज़दीक है, और एक बार फिर यह सवाल तेज़ हो गया है क्या बिहार को मिलेगा कोई नया महिला चेहरा?

राबड़ी देवी: एक प्रयोग या बदलाव की शुरुआत?

राबड़ी देवी का मुख्यमंत्री बनना जितना साहसिक कदम था, उतना ही विवादित भी। उन पर हमेशा यह आरोप लगा कि वे लालू प्रसाद यादव की कठपुतली थीं। लेकिन इस ‘कठपुतली’ ने राज्य को 8 साल तक चलाया और यह कोई कम उपलब्धि नहीं है। उनकी सत्ता में भागीदारी ने यह जरूर साबित कर दिया कि महिलाएं अगर मौका पाएं, तो वे सत्ता संभाल भी सकती हैं। राबड़ी देवी ने बिहार में महिला नेतृत्व की एक मिसाल तो कायम की, लेकिन यह लहर क्यों आगे नहीं बढ़ पाई?

महिला नेता तो हैं, पर चेहरा कौन?

बिहार की वर्तमान राजनीति में कई महिलाएं सक्रिय हैं बीजेपी की रेणु देवी, कांग्रेस की अनीता सिंह, आरजेडी की मीसा भारती, और जीतनराम मांझी की बहू राजदुलारी देवी जैसी कई नाम हैं। लेकिन क्या इनमें से कोई एक ‘मुख्यमंत्री चेहरा’ बनने की संभावना रखती है?

1. मीसा भारती: राबड़ी देवी और लालू यादव की सबसे बड़ी बेटी। राज्यसभा सांसद हैं और पार्टी में प्रभावशाली भी। लेकिन मीसा भारती के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वे ज़मीन से कटे हुए नेता के रूप में देखी जाती हैं। उनके पास जनाधार नहीं है, और अब तक कोई भी बड़ा चुनाव जीत नहीं सकीं हैं।

2. रेणु देवी: बीजेपी की सीनियर नेता और उपमुख्यमंत्री रह चुकी हैं। संगठन में मजबूत पकड़ है और पिछड़े वर्ग की नेता होने का फायदा भी है। लेकिन बीजेपी उन्हें कभी मुख्यमंत्री पद के दावेदार के तौर पर पेश नहीं करती।

3.अनामिका सिंह, प्रगति मेहता जैसे युवा चेहरे: इनके पास ऊर्जा है, भाषण देने की क्षमता है, और जमीनी जुड़ाव भी है। लेकिन मीडिया और पार्टी हाईकमान की ओर से उन्हें पर्याप्त प्लेटफॉर्म नहीं मिलता।

महिला के लिए राह अब भी कठिन

बिहार की राजनीति अब भी पुरुष वर्चस्व से बाहर नहीं निकल पाई है। यहां सत्ता तक पहुंचने के लिए मजबूत जातीय समीकरण, संगठन में पकड़, और ज़मीनी कनेक्शन जरूरी होता है। महिला नेताओं को अब भी या तो ‘पारिवारिक विरासत’ के सहारे देखा जाता है या ‘कोटा राजनीति’ के तहत। इस मानसिकता को बदलना सबसे ज़रूरी है।

महिला आरक्षण कानून और नया परिदृश्य

हाल ही में संसद में पास हुआ महिला आरक्षण कानून अब विधानसभा में भी लागू होने की संभावना है। इससे महिलाओं को 33% आरक्षण मिलेगा। यह बदलाव बिहार जैसे राज्य के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है। 2025 का चुनाव इस लिहाज़ से भी खास है कि महिला वोटर अब निर्णायक भूमिका निभा रही हैं। 2020 के विधानसभा चुनाव में महिलाओं की वोटिंग प्रतिशत पुरुषों से ज़्यादा थी। ऐसे में सभी पार्टियों को अब महिला वोटर्स को लुभाने के लिए मजबूत महिला चेहरों की ज़रूरत है।

क्या भविष्य की कोई राबड़ी तैयार हो रही है?

इस सवाल का जवाब आसान नहीं है। लेकिन यह तय है कि अब बिहार की राजनीति में महिला नेताओं की मांग बढ़ रही है। सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर शिक्षित, युवा लड़कियों तक अब महिलाएं सिर्फ वोटर नहीं, नेता बनना चाहती हैं। छात्रसंघ की राजनीति से लेकर पंचायत स्तर तक महिलाएं अब धीरे-धीरे नेतृत्व करना सीख रही हैं। आरजेडी हो या जेडीयू, बीजेपी हो या कांग्रेस सभी को एक नए महिला चेहरा की तलाश है जो राबड़ी देवी की विरासत को आगे बढ़ा सके, लेकिन अपने तरीके से।

बिहार की राजनीति में नारी नेतृत्व का दूसरा अध्याय कब?

राबड़ी देवी ने एक परंपरा शुरू की, लेकिन उसे आगे बढ़ाना बाकी है। 2025 का चुनाव वह अवसर हो सकता है जहां कोई नया चेहरा बिहार की राजनीति को नई दिशा दे। यह चेहरा गांव से आ सकता है, किसी विश्वविद्यालय से, या फिर किसी सोशल मूवमेंट से। लेकिन एक बात तय है बिहार अब महिलाओं को केवल दर्शक बनाकर नहीं रख सकता, उन्हें निर्णायक बनाना होगा। शायद अगली मुख्यमंत्री एक महिला हो, और वह ना सिर्फ बिहार के लिए बल्कि पूरे देश के लिए एक नई उम्मीद बने। राबड़ी देवी के बाद बिहार की राजनीति एक नई रानी का इंतज़ार कर रही है जो सत्ता की भाषा को फिर से परिभाषित कर सके।

Harsh Srivastava

Harsh Srivastava

News Cordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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