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भारत को बड़ा झटका, अमेरिकी निर्यात में आई सबसे बड़ी 'मासिक' गिरावट, 50% टैरिफ से हाल बेहाल
अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ लगाए जाने से भारतीय निर्यात में अगस्त 2025 में सबसे बड़ी मासिक गिरावट दर्ज हुई। कई सेक्टरों को गंभीर नुकसान हुआ और निर्यात पर बड़ा असर पड़ा।
India US trade impact: अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए 50% टैरिफ का सीधा और विनाशकारी असर भारतीय निर्यात पर दिखना शुरू हो गया है। एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, अगस्त में भारत का अमेरिका को निर्यात 16.3% गिरकर 6.7 अरब डॉलर रह गया है, जो 2025 की सबसे बड़ी मासिक गिरावट है। यह गिरावट सीधे तौर पर अमेरिकी बाजार में भारतीय वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के कारण हुई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह स्थिति बनी रही, तो भारत को 30-35 बिलियन डॉलर का भारी नुकसान हो सकता है।
'टैरिफ' का 'खेल' और 'निर्यात' पर 'वार'
पिछले कुछ महीनों से, भारत का अमेरिका को निर्यात लगातार घट रहा है। मई 2025 में जहां यह 8.8 अरब डॉलर था, वहीं जुलाई में यह 8 अरब डॉलर पर आ गया। लेकिन अगस्त में, जब अमेरिकी टैरिफ दोगुना होकर 50% हो गया, तो यह गिरावट और भी तेज हो गई। थिंक टैंक GTRI की रिपोर्ट के अनुसार, ट्रंप सरकार द्वारा लगाए गए इस हाई टैरिफ के कारण अमेरिका में भारतीय वस्तुओं की मांग कम हो गई है, जबकि घरेलू वस्तुओं की कीमत कम हो रही है।
'संकट' में हैं ये 'सेक्टर'
हालांकि अमेरिका में फार्मास्यूटिकल्स और स्मार्टफोन जैसे कुछ भारतीय निर्यात टैरिफ फ्री हैं, लेकिन कई अन्य सेक्टर, जैसे टेक्सटाइल, ज्वेलरी, चमड़ा, झींगा और कालीन, गंभीर संकट में हैं। इन सेक्टर्स पर टैरिफ का सबसे ज्यादा असर पड़ा है। ये वो सेक्टर हैं जो भारत के वैश्विक निर्यात का एक बड़ा हिस्सा हैं। GTRI के अनुमान के अनुसार, अगर वित्त वर्ष 2026 के अंत तक यह 50% टैरिफ बना रहता है, तो भारत को अमेरिकी निर्यात में 30-35 बिलियन डॉलर का भारी नुकसान हो सकता है। यह एक बड़ा झटका होगा, क्योंकि भारत के कुल माल निर्यात का लगभग 20% अमेरिका के पास जाता है।
क्यों लगाया गया 50% टैरिफ?
अमेरिका ने रूसी तेल खरीद को लेकर भारत पर एक्स्ट्रा टैरिफ का बोझ डाला है। अमेरिका का आरोप है कि भारत रूसी तेल खरीदकर युद्ध में रूस की मदद कर रहा है। हालांकि, भारत ने इस आरोप को गलत बताया है। इस आर्थिक युद्ध का खामियाजा भारत के निर्यातकों और श्रमिकों को भुगतना पड़ रहा है। अब सभी की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध सुधरेंगे और यह टैरिफ वॉर खत्म होगा।
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