फानी, माला, हेलेन, नरगिस: जानिए क्यों इतने सेक्सी नाम रखे जाते हैं चक्रवातों के?

विश्व मौसम विज्ञान संगठन/एशिया आर्थिक एवं सामाजिक आयोग और पैशिफिक पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन ने ओमान के मस्कट में वर्ष 2000 में आयोजित अपने 27वें सत्र में इस बात पर सहमत हुए थे कि वे बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में आने वाले चक्रवाती तूफानों के नाम तय करेंगे।

Shivakant Shukla
Published on: 3 May 2019 9:42 PM IST
फानी, माला, हेलेन, नरगिस: जानिए क्यों इतने सेक्सी नाम रखे जाते हैं चक्रवातों के?
X

नई दिल्ली: माला, हेलेन, नरगिस और निलोफर...ये गुजरे जमाने की बॉलीवुड अदाकाराओं के नाम जैसे सुनाई भले ही देते हों, लेकिन दरअसल यह जानलेवा चक्रवाती तूफानों के नाम हैं जिन्होंने अपने प्रभाव क्षेत्रों में काफी तांडव मचाया है।

शुक्रवार को चक्रवात ‘फणि’ के ओड़िशा तट पर पहुंचने के साथ ही लोगों में यह जिज्ञासा पैदा हो गई कि इन तूफानों के नाम कैसे रखे जाते हैं। ‘फणि’ का नाम बांग्लादेश ने सुझाया था। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) के अतिरिक्त महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि ‘फणि’ का मतलब सांप का फण है।लेकिन सवाल है कि इन चक्रवातों के नाम कैसे रखे जाते हैं।

ये भी पढ़ें— 83 करोड़ रुपए से ज्यादा का पानी पी गए 196 डिफाल्टर, अब होगी कार्रवाई

विश्व मौसम विज्ञान संगठन/एशिया आर्थिक एवं सामाजिक आयोग और पैशिफिक पैनल ऑन ट्रॉपिकल साइक्लोन ने ओमान के मस्कट में वर्ष 2000 में आयोजित अपने 27वें सत्र में इस बात पर सहमत हुए थे कि वे बंगाल की खाड़ी और अरब सागर में आने वाले चक्रवाती तूफानों के नाम तय करेंगे।

सदस्य देशों के बीच लंबे विचार-विमर्श के बीच उत्तर हिंद महासागर में आने वाले चक्रवाती तूफानों का नामकरण सितंबर 2004 से शुरू हुआ। बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से सटे आठ देश नामों के सुझाव देते हैं, जिन्हें क्रमिक तौर पर सूचीबद्ध किया गया है। इन देशों में बांग्लादेश, भारत, मालदीव, म्यांमा, ओमान, पाकिस्तान, श्रीलंका और थाइलैंड शामिल हैं। यह देश वर्णक्रमानुसार तूफानों के नाम सुझाते हैं।

ये भी पढ़ें— छठा चरण : 189 दागी प्रत्याशी मैदान में, 374 करोड़ के साथ सिंधिया सबसे आगे

यहां स्थित क्षेत्रीय विशेषीकृत मौसम विज्ञान केंद्र (आरएसएमसी) नामों की सूची से चक्रवाती तूफानों को एक पहचान देता है। इस पहचान प्रणाली के दायरे में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों आते हैं। लिहाजा, उदाहरण के तौर पर बांग्लादेश ने सूची में पहले स्थान पर ‘ओनिल’ का नाम सुझाया। ‘ओनिल’ सितंबर-अक्टूबर 2004 के बीच गुजरात तट के पास अरब सागर से उत्पन्न हुआ था। इसने राज्य में दस्तक दी थी, लेकिन नुकसान भारत और पाकिस्तान दोनों को हुआ था।

थाइलैंड की ओर से सुझाया गया चक्रवात ‘फेटई’ बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न हुआ था और उसने आंध्र प्रदेश में दस्तक दी थी। इससे पिछले साल दिसंबर में तटीय जिले बहुत प्रभावित हुए थे। अगला चक्रवात जब भी आएगा तो उसका नाम भारत के सुझाने पर ‘वायु’ रखा जाएगा। इन आठ देशों की ओर से सुझाए गए 64 नामों में से 57 इस्तेमाल में लाए जा चुके हैं।

ये भी पढ़ें— रायबरेली: प्रियंका के रोड शो में उमड़ा जन सैलाब, स्वागत में बरसाए गए फूल

भारत की ओर से सुझाए गए नामों में अग्नि, जली, बिजली, आकाश शामिल हैं। श्रीलंका, बांग्लादेश और पाकिस्तान ने क्रमश: माला, हेलेन और निलोफर के नाम सुझाए थे। इन सूचियों का इस्तेमाल वर्णक्रमानुसार हो सकता है और उन्हें कुछ वर्षों के अंतराल पर दोहराया नहीं जाता, जबकि अटलांटिक और ईस्टर्न पैसिफिक सूचियों में नामों को कुछ वर्षों के अंतराल पर दोहराया जाता है।

(भाषा)

Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!