जानिए राष्ट्रीय संग्रहालय के इवेंट में मांसाहार पर क्यों लगाई गई रोक

राष्ट्रीय संग्रहालय में चलने वाली प्रदर्शनी में मांसाहारी भोजन पर रोक लगा दी गई है। हफ्ते भर चलने वाली इस प्रदर्शनी का नाम 'हिस्टोरिकल गेस्ट्रोनोमिका' दिया गया है जिसमें ऐतिहासिक व्यंजनों पर खास फोकस है। संग्रहालय के एक आला अधिकारी के मुताबिक, 'भावनाओं' को देखते हुए मांसाहार पर पाबंदी लगाई गई है।

suman
Published on: 20 Feb 2020 10:39 PM IST
जानिए राष्ट्रीय संग्रहालय के इवेंट में मांसाहार पर क्यों लगाई गई रोक
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नई दिल्ली: राष्ट्रीय संग्रहालय में चलने वाली प्रदर्शनी में मांसाहारी भोजन पर रोक लगा दी गई है। हफ्ते भर चलने वाली इस प्रदर्शनी का नाम 'हिस्टोरिकल गेस्ट्रोनोमिका' दिया गया है जिसमें ऐतिहासिक व्यंजनों पर खास फोकस है। संग्रहालय के एक आला अधिकारी के मुताबिक, 'भावनाओं' को देखते हुए मांसाहार पर पाबंदी लगाई गई है।

बता दें कि संग्रहालय की इस इवेंट में परोसे जाने वाले भोजन का मेन्यू जारी किया गया था। मेन्यू जारी होते ही प्रदर्शनी के आयोजकों के खिलाफ लोगों ने विरोध जताना शुरू कर दिया। विरोध को देखते हुए केवल शाकाहारी भोजन परोसने का फैसला किया गया। राष्ट्रीय संग्रहालय की ओर से आयोजित यह प्रदर्शनी 25 फरवरी तक चलेगी।

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ये रही वजह

यह खान-पान पर आधारित है जिसे राष्ट्रीय संग्रहालय (संस्कृति मंत्रालय) और 'वन स्टेशन मिलियन स्टोरिज (ओएसएमएस)' ने मिलकर आयोजित किया है। ओएसएमएस एक प्राइवेट कंपनी है जिसने इस इवेंट में बढ़चढ़ कर भागीदारी निभाई है। संग्रहालय के अतिरिक्त महानिदेशक सुब्रत नाथ ने कहा कि ओएसएमएस के अधिकारियों ने मेन्यू में मांसाहार परोसे जाने को लेकर पहले कोई बात नहीं की थी।

इस प्रदर्शनी में हड़प्पा काल के खाने-पीने के तौर-तरीकों की जानकारी दी जा रही है। मगर उस समय के खाने के हिसाब से जो थाली परोसी जा रही है, उसमें से मांसाहार हटा दिया गया है। हिस्टोरिकल गेस्ट्रोनोमिका इवेंट 19 फरवरी से शुरू हुआ है और 25 तक चलेगा। इसी इवेंट का एक हिस्सा है- इंडस डाइनिंग एक्सपीरियंस। इस हिस्से में सिंधु घाटी यानी हड़प्पा काल की सभ्यता के खाने-पीने के बारे में बताया जा रहा है। उस वक्त के लोग जैसा खाना खाते थे, वैसा ही परोसा जा रहा है।

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भावनाओं पर आधारित

सुब्रत नाथ ने कहा, उन्होंने (ओएसएमएस) हमसे इजाजत ली थी लेकिन मेन्यू में पर कोई चर्चा नहीं हुई थी। हमने मान लिया था कि उन्हें हमारी संस्थागत नीतियों के बारे में जानकारी होगी कि हम मांसाहार नहीं परोसते। अभी 10 दिन पहले ही हमने गुरु नानक उत्सव मनाया था और उस वक्त ऐसा कोई विवाद सामने नहीं आया। नाथ ने कहा कि वेबसाइट पर कुछ नॉन-वेज आइटम्स के बारे में जानकारी दी गई थी लेकिन जैसे ही हमें पता चला इसे हटा लिया गया। नाथ ने हालांकि साफ किया कि मांसाहार नहीं परोसने की नीति कोई लिखित नहीं है, बल्कि यह भावनाओं से जुड़ा मामला है। संग्रहालय में कई देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, हमें उन लोगों की भावनाओं का सम्मान करना होगा जो हमारे पास आते हैं। हम यहां मांसाहारी भोजन नहीं परोस सकते। यह एक अलिखित नीति है जो भावनाओं पर आधारित है। हमने हमने सोचा था कि उन्हें (ओएसएमएस) इस बारे में जानकारी होगी।

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