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किसान आंदोलन के बाद मध्य प्रदेश में पैदा हुआ गंभीर कृषि संकट
नई दिल्ली : अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) ने मध्य प्रदेश के मंदसौर इलाके के दौरे के बाद वहां 'गंभीर कृषि संकट' का मंगलवार को आरोप लगाया। मंदसौर में बीते सप्ताह किसान आंदोलन के दौरान पुलिस गोलीबारी में पांच किसानों की मौत हो गई थी।
एआईकेएस प्रतिनिधिमंडल ने दो मृतकों -चैन राम पाटीदार(23) और अभिषेक पाटीदार (17) के शोकसंतप्त परिवार से मुलाकात की।
एआईकेएस ने एक बयान में कहा, "दल ने पाया कि इलाके में गंभीर संकट की स्थिति है, क्योंकि ज्यादातर फसलों की कीमतें बहुत गिर गई हैं और यह बीते साल के मुकाबले करीब 60 फीसदी नीचे है।"
वामपंथी विचारधारा वाले इस संगठन ने कहा कि बीते साल नोटबंदी कीमतों में गिरावट की वजह बनी, जबकि गेहूं व दाल आयात जैसी गलत नीतियां और अच्छी फसल कीमतों में अतिरिक्त कमी का कारण बनीं।
संगठन ने कहा कि सोयबीन की कीमत बीते साल पांच-छह हजार रुपये प्रति कुंटल थी, जबकि इस साल इसकी कीमत 2,200 से 2,400 रुपये प्रति कुंटल है। चना की कीमत बीते साल 9,000-10,000 रुपये प्रति कुंटल थी, जो इस साल घटकर 4,000 रुपये प्रति कुंटल हो गई है।
इसी तरह बेहतरीन गुणवत्ता वाले गेहूं की कीमत 1200 रुपये प्रति कुंटल है, जो न्यूनतम समर्थन मूल्य 1625 रुपये से कम है। बीते साल यह 1900 रुपये और 2000 रुपये प्रति कुंटल था।
एआईकेएस ने कहा कि नोटबंदी के बाद व्यापारी नकदी लेनदेन के लिए दो फीसदी कम भुगतान कर रहे हैं। किसान संस्था ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार के अधिकारियों ने पीड़ितों के परिवारों से मुलाकात नहीं की। स्थानीय सांसद और विधायक ने भी शिष्टाचार के तौर पर दौरा नहीं किया।
एआईकेएस ने मांग की कि पुलिस गोलीबारी में मारे गए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजे की एक करोड़ रुपये की राशि हर हाल में दी जाए।
संगठन ने कहा है कि किसानों पर लगाए गए सभी मामले वापस लिए जाएं और किसानों की वास्तविक मांगों को निपटाने के लिए तत्काल बातचीत की जानी चाहिए।
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