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ये मुर्गी देगी बर्ड फ्लू को टक्कर, नहीं होगा कोई असर, जानिए इसके बारे में
नर्मदा निधि मुर्गी देखने में बिल्कुल कड़कनाथ जैसी लगती है। नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय ने अखिल भारतीय समन्वित कुक्कुट प्रजनन अनुसंधान परियोजना के तहत ये द्विकाजी संकर नस्ल को विकसित किया है।
भोपाल: देश में बर्ड फ्लू का कहर जारी है। देश के 10 राज्यों में बर्ड फ्लू ने दस्तक दे दी है। बर्ड फ्लू की चेपट में मध्य प्रदेश झाबुआ का कड़कनाथ मुर्गा भी आ गया है, लेकिन एक मुर्गी ऐसी भी है जिस पर बर्ड फ्लू का खतरा बिल्कुल न के बराबर है। ये मुर्गी नर्मदा निधि है जिसमें अनकों गुण हैं।
नर्मदा निधि मुर्गी देखने में बिल्कुल कड़कनाथ जैसी लगती है। नानाजी देशमुख पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय ने अखिल भारतीय समन्वित कुक्कुट प्रजनन अनुसंधान परियोजना के तहत ये द्विकाजी संकर नस्ल को विकसित किया है। इसमें कुक्कुट विज्ञान विभाग ने मदद की है। इस नयी नस्ल को कड़कनाथ और देसी प्रजाति नस्ल को मिलाकर विकसित किया गया है। इस नई प्रजाति का नाम वैज्ञानिकों ने नर्मदा निधि रखा हुआ। इसे पूरी तरह से देसी बनाने के लिए इसके रंग और रूप का भी खास ख्याल रखा गया है।
बर्ड फ्लू बीमारी से हर पक्षी की जान खतरे में है, लेकिन नर्मदा निधि मुर्गी को पूरी तरह से सुरक्षित माना जा रहा है। वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि नर्मदा निधि, मुर्गियों में होने वाली बीमारियों से लड़ने की क्षमता है। वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के जरिए इसमें ऐसे जींस ट्रांसफर किए हैं, जो मध्यप्रदेश के ग्रामीण अंचलों के लिए अनुकूल हैं।
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साधारण मुर्गियों में आंख, नाक, त्वचा, पानी से संबंधित बीमारियां होती हैं, लेकिन नर्मदा निधि इन बीमारियों से लड़ने में सक्षम है। यहां तक कि बर्ड फ्लू को भी नर्मदा निधि हरा सकती है।
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गुणों की खान है मुर्गी
नर्मदा निधि मुर्गी में कई और ऐसी खासियत हैं। जो बाकी मुर्गियों और कड़कनाथ में भी नहीं है। इसका शरीर, साधारण मुर्गी से बड़ा और वजनी है। इसकी टांग होती है जिससे यह भागने में तेज होती है। इसके साथ-साथ ग्रामीण परिवेश में परभक्षी से बचाव करने में भी बेहतर है।
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वैज्ञैनिकों ने रिसर्च के माध्यम से इसके गुणों को इस प्रकार बनाया गया है, जिसकी मदद से यह ग्रामीण माहौल में जल्दी ढल जाती है। नर्मदा निधि के अंडे देसी मुर्गी के जैसे ही हल्के भूरे रंग के होते हैं। मुर्गे सिर्फ 9 से 10 सप्ताह की उम्र में ही 1 किलो ग्राम, 20 सप्ताह की उम्र में 1.5 से 2.20 किलो ग्राम वजन के हो जाते हैं। इस मुर्गी का वजन 1.3 से 1.70 किलो ग्राम तक होता है।
वेटरनरी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि नर्मदा निधि प्रजाति की मुर्गी कम लागत में किसानों को ज्यादा फायदा पहुंचा सकती है। यह खतरनाक बीमारियों से लड़ने में सक्षम है जिसके कारण इससे किसानों को नुकसान भी कम होता है।
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