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Mizoram Election 2023: मिजोरम में इस बार त्रिकोणीय मुकाबला, मतदान में मणिपुर समेत इन मुद्दों का असर, युवा मतदाताओं की भूमिका अहम
Mizoram Assembly Election 2023 Update: राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 50 कंपनियों की तैनाती की गई है।
Mizoram Assembly Election 2023 Update: मिजोरम विधानसभा की 40 सीटों पर आज मतदान का काम एक ही चरण में पूरा हो जाएगा। आज होने वाले मतदान में मिजोरम में 8.52 लाख से अधिक मतदाता 174 उम्मीदवारों के भाग्य का फैसला करेंगे। राज्य में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 50 कंपनियों की तैनाती की गई है।
इस बार के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री जोरमथांगा के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ नेशनल फ्रंट (एमएनएफ),जोरम पीपल्स मूवमेंट (जेडपीएम) और कांग्रेस के बीच त्रिकोणीय मुकाबला दिख रहा है। भाजपा ने 23 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। आम आदमी पार्टी पहली बार राज्य के चुनाव में उतरी है और पार्टी के चार प्रत्याशी अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। 27 निर्दलीय उम्मीदवारों की किस्मत का भी आज फैसला होना है। इस बार के चुनाव में पहली बार मतदान करने जा रहे युवा मतदाताओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी।
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174 उम्मीदवारों की किस्मत का होगा फैसला
राज्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालय के मुताबिक इस बार के चुनाव के लिए 1276 मतदान केंद्र बनाए गए हैं। इन मतदान केंद्रों पर 8,52,088 मतदाता 174 प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला करेंगे। आज महाधिकार का प्रयोग करने वालों में 4,13,064 पुरुष और 4,39,028 महिला मतदाता शामिल हैं।
इस बार के चुनाव में युवा मतदाताओं की भूमिका काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। मिजोरम में 18-19 आयु वर्ग के 50,611 मतदाता ऐसे हैं जो पहली बार मतदान करेंगे। प्रत्याशियों के हार जीत का फैसला करने में युवा महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। प्रदेश में 80 वर्ष से अधिक उम्र के 8490 वरिष्ठ नागरिकों की भी चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था, 50 कंपनियों की तैनाती
मिजोरम की म्यांमार के साथ 510 किलोमीटर और बांग्लादेश से लगी 318 किमी लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा खुली हुई है। इसलिए सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष फोकस किया गया है। राज्य में शांतिपूर्ण मतदान के लिए चुनाव आयोग और स्थानीय प्रशासन की ओर से पुख्ता तैयारियां की गई है। इसके लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की 50 कंपनियों को तैनात किया गया है।
राज्य के 30 संवेदनशील मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के कड़े प्रबंध किए गए हैं। मिजोरम में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान करीब 75 फ़ीसदी मतदान हुआ था। इस बार सभी की निगाहें इस बात पर लगी हुई हैं कि यह रिकॉर्ड इस बार टूटता है या नहीं।
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2018 के चुनाव के नतीजे
मिजोरम में 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान बड़ा उलटफेर देखने को मिला था। मिजो नेशनल फ्रंट ने 2018 के चुनाव में कांग्रेस को करारा झटका देते हुए पार्टी की 10 साल से जारी सत्ता छीन ली थी। 40 सदस्यीय मिजोरम विधानसभा में 2018 में मिजो नेशनल फ्रंट ने 37.8 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 26 सीटें हासिल की थीं। कांग्रेस को 5 सीटों पर जीत हासिल हुई थी जबकि भाजपा सिर्फ एक सीट जीतने में कामयाब हुई थी।
इन दलों ने लगाई पूरी ताकत
मिजो नेशनल फ्रंट (MNF) इस बार के चुनाव में अपनी सत्ता को बरकरार रखने के लिए चुनाव लड़ रहा है। वहीं, जोरम पीपुल्स मूवमेंट (ZPM), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस ने मौजूदा सरकार को सत्ता से बेदखल करने के लिए इस बार पूरी ताकत लगाई है।
राज्य में सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट और मुख्य विपक्षी पार्टी जेडपीएम ने राज्य की सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं जबकि भाजपा ने इस बार 23 सीटों पर अपने प्रत्याशियों को चुनावी अखाड़े में उतारा है। एक उल्लेखनीय बात यह भी है कि मिजो नेशनल फ्रंट ने अपने 25 मौजूदा विधायकों को फिर टिकट देकर चुनाव लड़ने का मौका दिया है।
इस बार के चुनाव में इन मुद्दों की गूंज
इस बार के विधानसभा चुनाव में मणिपुर हिंसा का भी असर दिखा है। मणिपुर में हिंसा के दौरान कई इलाकों में चर्चों पर भी हमले किए गए थे और इन हमलों की गूंज इस बार के मिजोरम विधानसभा चुनाव में भी सुनाई पड़ी है। मिजो नेशनल फ्रंट ने इस मुद्दे को काफी जोर-जोर से उठाया है।
इसके साथ ही मणिपुर में जातीय संघर्ष के कारण राज्य में पैदा हुआ शरणार्थी संकट भी चुनाव प्रचार के दौरान काफी गरम रहा। मणिपुर हिंसा के कारण करीब 72,000 से अधिक शरणार्थी राज्य में शरण मांग रहे हैं। यह संकट भी इस बार के चुनाव में प्रमुख मुद्दा बना रहा।
विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए तीखा हमला किया है। इसके साथ ही असम के साथ सीमा विवाद, नशीली दवाओं का बढ़ता चलन,विकास की धीमी रफ्तार और भ्रष्टाचार के मुद्दे की गूंज भी इस बार के चुनाव में सुनाई पड़ी है।