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आंतरिक सुरक्षा पर मंत्रियों की जवाबदेही पर विपक्ष होगा हमलावर
नई दिल्ली ब्यूरो : अगले सप्ताह जब संसद के मानसून का आगाज होगा तो सवा तीन साल की मोदी सरकार को पहली बार आंतरिक सुरक्षा पर विपक्ष की सबसे बड़ी घेराबंदी से गुजरना होगा। अमरनाथ यात्रियों पर हमला मोदी सरकार के लिए सबसे बड़ा धक्का बनकर सामने आया है।
जम्मू-कश्मीर में यात्रा से लेकर सीमा पार से पाकिस्तान की घुसपैठ व सुरक्षा बलों पर निरंतर हमलों की घटनाओं को लेकर विपक्ष के निशाने पर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी होंगे। ज्ञात रहे कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी तो अमरनाथ यात्रियों पर हमलों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निजी तौर पर जवाबदेही स्वीकार करने की मांग कर चुके हैं।
संसद में विपक्षी पार्टियों के नेता निजी बातचीत में इस बात को पूरी मुखरता से कह रहे हैं कि देश की आंतरिक सुरक्षा मशीनरी जर्जर हालत में है। जीएसटी को लेकर देशभर में व्यापारियों व उद्योग जगत में व्याप्त भ्रम को लेकर भी कांग्रेस व बाकी विपक्षी पार्टियां विभिन्न कर स्लैब को लेकर मची अफरातफरी पर जीएसटी मामले में मनमानी करने का आरोप चस्पा कर चुकी हैं।
विपक्ष यह भी मानता है कि आंतरिक सुरक्षा मोर्चे व खुफिया तंत्र को आंतकी मंसूबों की सटीक सूचनाएं न मिल पाना और इस बात को उजागर कर रहा है कि इस हालत में आने वाले दिनों में और भी खतरे झेलने पड़ सकते हैं। मंत्रिमंडल में काबिल चेहरों की कमी पर पीएम मोदी को विपक्ष के कड़े तीरों का सामना करना होगा। देश की सीमाओं पर व्याप्त खतरों के बावजूद देश में एक पूर्णकालिक रक्षा मंत्री न होने को विपक्ष को बड़ा मुद्दा बना सकता है।
ज्ञात रहे कि साढ़े तीन माह पहले मनोहर पर्रिकर रक्षा मंत्री पद से हटकर गोवा के मुख्यमंत्री बन चुके हैं। उसके बाद अतिरिक्त कार्यभार के तौर पर रक्षा जैसा बेहद भारी भरकम मंत्रालय अरुण जेटली के जिम्मे है। विपक्षी पार्टियां मानती हैं कि पिछले संसद सत्र के बाद जेटली जीएसटी कांउसिल की बैठकों और नई कर व्यवस्था को लेकर मचे सियासी तूफान में इतने व्यस्त हैं कि रक्षा मंत्रालय पर फोकस के लिए उनके पास वक्त ही नहीं है।
हाल में चीन से लगी सीमा पर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प पर सरकार कटघरे में रही हैं। प्रधानमंत्री मोदी व चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग के साथ जी 20 देशों की बैठक में विभिन्न मुद्दों पर विचारों का आदान प्रदान होने के बावजूद हालात सामान्य नहीं दिख रहे। विपक्षी पार्टियां सीमाओं पर तनाव के साथ ही पाकिस्तान के साथ चीन की बढ़ती गोलबंदी से सामरिक खतरा और तेजी से बढ़ा है। माना जा रहा है कि गौर रक्षा के नाम पर देश के कुछ हिस्सों में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों पर हमलों की घटनाओं का मुद्दा भी जोरशोर से उठेगा।
ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस व लालू प्रसाद यादव की आरजेडी नेताओं पर सीबीआई के शिंकजे पर विपक्ष में भले ही मिश्रित प्रतिक्रिया हो लेकिन मंगलवार को विपक्षी नेताओं की बैठक से जो खबरें बाहर आईं हैं उन पर भरोसा करें तो विपक्षी दलों ने यह तय किया कि है कि संसद के आगामी मानसून सत्र में केंद्र सरकार को कटघरे में खड़ा करने के लिए वे रोज बैठकें करेंगे ताकि सरकार को किसी भी मामले पर आसानी से बच निकलने का मौका न मिलने पाए।
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