Narendra Modi Political Guru: मोदी और वकील साहब, Video में देखें कौन थे लक्ष्मणराव

Narendra Modi Political Guru:अगर हम नरेंद्र मोदी के मामले में इन बातों को देखें तो उनके प्रेरणा स्रोत के रूप में लक्ष्मण राव इनामदार का नाम आता है। जिन्हें वक़ील साहब भी कहते हैं।

Yogesh Mishra
Written By Yogesh Mishra
Published on: 24 Nov 2022 3:45 PM GMT (Updated on: 16 Sep 2024 6:45 PM GMT)
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Narendra Modi Political Guru: हर आदमी की ज़िंदगी में कोई न कोई ऐसा शख़्स होता है, जो उसे ऊँचाई तक लेकर जाता है। या उसे ऊँचा उठने की प्रेरणा देता है। मेरा व्यक्तिगत तौर पर यह मानना है कि किसी भी आदमी की ज़िंदगी की सफलता या ऊँचाई तक पहुँचने में उस आदमी का योगदान बहुत नहीं होता है। उसके पीछे होती है भगवान की कृपा। आपके भाग्य का सहयोग। माता पिता और बड़ों का आशीर्वाद। और कोई एक ऐसा रोल मॉडल जो आप को निरंतर ऊर्जस्वित करता रहता है। प्रेरित करता रहता है।

अगर हम नरेंद्र मोदी के मामले में इन बातों को देखें तो उनके प्रेरणा स्रोत के रूप में लक्ष्मण राव इनामदार का नाम आता है। जिन्हें वक़ील साहब भी कहते हैं। नरेंद्र मोदी कई बार बातों में और मन की बात में भी इनका ज़िक्र कर चुके हैं। टीवी पर दिये गये अपने एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि आरएसएस के दिनों में उनके बेस्ट फ़्रेंड लक्ष्मनराव इनामदार रहे। जिन्हें प्यार से वक़ील साहब कह कर के लोग पुकारा करते थे।

नरेंद्र मोदी पर लक्ष्मणराव जी का काफी गहरा प्रभाव है। मोदी जी ने उसी इंटरव्यू में कहा था कि वे लक्ष्मण राव की इतनी इज्जत करते थे कि उन्होंने उन ऊपर एक किताब भी लिखी है। लक्ष्मण राव न केवल एक सखा बल्कि नरेंद्र मोदी के गुरु भी थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'सेतुबंध' पुस्तक में लक्ष्मणराव इनामदार का उल्लेख किया है। मोदी के जीवन पर किताबें लिखने वाले लोगों का मानना है कि मोदी के जीवन पर अगर किसी एक व्यक्ति का सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा तो वह थे लक्ष्मराव इनामदार।

कौन थे लक्ष्मणराव

लक्ष्मण माधवराव इनामदार का जन्म 21 सितम्बर, 1917 को ग्राम खटाव, जिला सतारा, महाराष्ट्र में हुआ था। इनके पूर्वज श्रीकृष्णराव खटावदार ने शिवाजी के काल में स्वराज की बहुत सेवा की थी, अतः शिवाजी के पौत्र छत्रपति शाहूजी महाराज ने इन्हें सरदार की उपाधि और कुछ ज़मीन दान में दी थी। तबसे यह परिवार इनामदार कहलाने लगा।

वकील साहब एक बड़े कुटुंब के सदस्य थे।उनके सात भाई और दो बहन थीं। उनकी शिक्षा ग्राम दुधोंडी, खटाव तथा सतारा में हुई। 1939 में सतारा में जब सितारा में वह एल.एल.बी. कर रहे थे, उस समय हैदराबाद के निजाम के खिलाफ आंदोलन बहुत चरम पर था। लक्ष्मणराव जी ने अपनी पढ़ाई छोड़कर के इस आंदोलन में सक्रियता से शिरकत की। छात्रों के सात कंधे से कंधा मिला कर के आंदोलन लड़े।

1943 में महाराष्ट्र के कुछ एक युवक एक वर्ष के लिए प्रचारक बने। उनमें से एक 'वकील साहब' को गुजरात में नवसारी नामक स्थान पर भेजा गया। पर वह एक वर्ष जीवन की अंतिम सांस तक चलता रहा। 1952 में वे गुजरात के प्रांत प्रचारक बने।

उनके परिश्रम से गुजरात में 150 शाखाएं चलने लगीं। वे स्वास्थ्य ठीक रखने के लिए आसन, व्यायाम, ध्यान, प्राणायाम तथा साप्ताहिक उपवास आदि का निष्ठा से पालन करते थे। 1973 में क्षेत्र प्रचारक का दायित्व मिलने पर गुजरात के साथ महाराष्ट्र, विदर्भ तथा नागपुर में भी उनका प्रवास होने लगा। अखिल भारतीय युवा प्रमुख बनने के बाद उनके अनुभव का लाभ पूरे देश को मिलने लगा। स्वयंसेवक का मन और संस्कार ठीक रहे, इसका वह बहुत ही ख़्याल रखा करते थे।

1982-83 में उनका स्वास्थ्य बहुत खराब हो गया। एक सम्पन्न स्वयंसेवक ने उन्हें इलाज के लिए कुछ राशि देनी चाही। पर वकील साहब ने वह राशि निर्धनों के लिए चल रहे चिकित्सा केन्द्र को दिलवा दी। एक स्वयंसेवक ने संघ कार्यालय के लिए एक पंखा भेंट करना चाहा।

वकील साहब ने उसे यह राशि श्री गुरुदक्षिणा में समर्पित करने को कहा। वकील साहब भाषा, बोली या वेशभूषा से सौराष्ट्र के एक सामान्य गुजराती लगते थे। वे गुजरात में आरएसएस के प्रचारक के होने की वजह से आजीवन अविवाहित रहे। बिल्कुल सादा जीवन जीते थे। लक्ष्मणराव इनामदार ने 15 जुलाई, 1985 को पुणे में अपना शरीर छोड़ा।

इनामदार जा को आरएसएस में नरेंद्र मोदी के करियर को आकार देने का श्रेय जाता है। जब नरेंद्र मोदी आरएसएस के प्रचारक बने उस समय इनामदार जी आरएसएस के प्रमुख गुजरात के हुआ करते थे। नरेंद्र मोदी के अनुसार इनामदार एक मात्र ऐसे व्यक्ति थे, जिस उन्होंने व्यक्तिगत मामलों में विश्वास दिलाया था ।

इनामदार को मोदी को राजनीति विज्ञान में बीए कराने के लिए प्रेरित करने का श्रेय भी दिया जाता है, जिसके लिए इनामदार जी ने मोदी को लिखित सामग्री भी उपलब्ध कराई थी। इनामदार जी के लिए मोदी के सम्मान पर टिप्पणी करते हुए, मोदी की जीवनी के लेखक नीलांजन मुखोपाध्याय कहते हैं, 'मैंने मोदी में इस तरह की श्रद्धा किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति के प्रति नहीं देखी है।'

इस लिहाज़ से हम देखें तो कह सकते हैं कि आज नरेंद्र मोदी जो कुछ हैं, उसमें और उसके पीछे इनामदार जी ही हैं। इनामदार जी का ज़िक्र मोदी जी करके हमेशा इस बात का इज़हार भी करते हैं।

Durgesh Sharma

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