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सियासी वनवास खत्म: किसानों के लिए सड़कों पर उतरे सिद्धू, नियमों की उड़ीं धज्जियां
संसद में पारित कृषि सुधार विधेयकों के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कृषि सुधारों विधेयकों को किसानों के लिए वज्रपात बताते हुए सरकार पर हमला बोला।
अमृतसर: लंबे समय से सियासी वनवास में चल रहे कांग्रेस नेता और पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू बुधवार को किसानों के आंदोलन को समर्थन देने के लिए सड़कों पर उतर आए। उन्होंने संसद में पारित कृषि सुधार विधेयकों के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन में हिस्सा लिया। इस दौरान उन्होंने कृषि सुधारों विधेयकों को किसानों के लिए वज्रपात बताते हुए सरकार पर हमला बोला।
प्रदर्शन में शामिल होने के लिए सिद्धू ट्रैक्टर पर सवार थे और काफी संख्या में समर्थक भी उनके साथ कृषि बिलों के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। हालांकि इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं और सिद्धू सहित उनके किसी भी समर्थक ने मास्क नहीं लगा रखा था।
ट्रैक्टर पर सवार होकर निकले सिद्धू
सिद्धू ने दो दिन पहले ट्वीट कर कृषि सुधार विधेयकों को किसान विरोधी बताया था और किसानों के प्रदर्शन और धरने में हिस्सा लेने की घोषणा की थी। सिद्धू के सड़क पर उतरने के कारण काफी संख्या में लोग सड़कों पर उतर आए। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ पैदा हुए विवाद के बाद सिद्धू लंबे समय से सियासी वनवास में चल रहे थे। इस दौरान वे सार्वजनिक कार्यक्रमों के साथ ही सोशल मीडिया पर भी नहीं दिख रहे थे। हालांकि आज जब वे सड़क पर उतरे तो उन्होंने प्रदर्शनकारियों को संबोधित भी किया और कृषि विधेयकों को किसान विरोधी बताया।
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कोविड नियमों की उड़ीं धज्जियां
सिद्धू के ट्रैक्टर पर सवार होकर प्रदर्शन में पहुंचने से पहले ही किसानों और कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लग चुका था। प्रदर्शन के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाई गईं। भीड़ में मौजूद लोगों ने मास्क तक नहीं लगाया लगा रखा था।
यहां तक कि सिद्धू खुद बिना मास्क के प्रदर्शन में हिस्सा लेने पहुंचे थे। प्रदर्शन के दौरान केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। भंडारी पुल पर काफी संख्या में पुलिस बल तैनात था मगर प्रदर्शनकारियों के खिला कोरोना संकट की वजह से लागू एपिडेमिक एक्ट के तहत कोई कार्रवाई नहीं की गई।
सोशल मीडिया से
मूकदर्शक बनी रही पुलिस
कोरोना संकट के कारण लागू किए गए नियमों की धज्जियां उड़ाने के कारण सिद्धू की रैली को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। हालांकि पुलिस पूरी तरह मूकदर्शक बनी रही और किसी के भी खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए सिद्धू ने केंद्र सरकार पर बड़ा हमला किया और कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों पर वज्रपात कर दिया है।
किसानों पर अत्याचार है विधेयक
उन्होंने कहा कि संसद में जबर्दस्ती से पारित किया गया कृषि विधेयक किसानों पर अत्याचार है। उन्होंने इस संघर्ष में किसानों का साथ देने का वादा किया। अपने संबोधन के दौरान सिद्ध ने राज्य की सियासत में कुछ भी बोलने से परहेज करते हुए सिर्फ किसानों के मुद्दे पर बात की।
उन्होंने कहा कि इस काले कानून के खिलाफ संघर्ष करने के लिए हम सभी को एकजुट होना होगा। केंद्र की मोदी सरकार ने देश में ऐसे कानून को लागू किया है जो यूरोप और अमेरिका में फेल साबित हो चुका है।
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सोशल मीडिया से
संघर्ष में किसानों का साथ देने का वादा
उन्होंने कहा कि पंजाब के किसानों ने ही देश के लिए हरित क्रांति तैयार की और आज उन्हें फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य तक नहीं मिल रहा है। किसानों को शोषण से बचाने के लिए सरकार की ओर से कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है। उन्होंने इस संघर्ष में किसानों का पूरी तरह साथ देने का वादा भी किया।
सिद्धू की टीम में शामिल था यह शख्स भी
इस प्रदर्शन और मार्च से पहले मंगलवार को सिद्धू के आवास पर हुई एक बैठक में इसकी रणनीति तैयार की गई थी। इसके लिए बाकायदा एक टीम का गठन किया गया था। काबिलेगौर बात यह भी है कि इसमें सौरभ मिट्ठू मदान को भी रखा गया था।
सौरभ वही शख्स है जिसने अक्टूबर 2018 में जोड़ा फाटक के पास दशहरे के मौके पर कार्यक्रम का आयोजन किया था। इस कार्यक्रम के दौरान ट्रेन से कुचलकर 59 लोगों की मौत हो गई थी। इस कार्यक्रम में सिद्धू की पत्नी ने भी हिस्सा लिया था। इस मामले में सौरव के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया था।
रिपोर्टर: अंशुमान तिवारी
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